scorecardresearch
 

‘मीरा’ की भक्ति और ‘कर्ण’ का बलिदान... सेंट्रल डांस फेस्टिवल में मंच पर जीवंत हो रही है भारत की सांस्कतिक विरासत

यह फेस्टिवल सिर्फ एक सांस्कृतिक आयोजन भर नहीं है, बल्कि भारत की गहरी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं का उत्सव है. इसके जरिए भक्ति, साहस, नैतिकता और एकता जैसे मूल्यों की समझ एक बार फिर जेहन में उतरती है

Advertisement
X
कमानी सभागार में 'मीरा' नृत्य नाटिका की प्रस्तुति
कमानी सभागार में 'मीरा' नृत्य नाटिका की प्रस्तुति

हिप हॉप और रॉक के इस दौर में शांत, सुकून और आत्मा के संगीत की जब बात आती है तो यह खोज अद्भुत भारतीय शास्त्रीय संगीत की छांव में जाकर पूरी होती है. राजधानी दिल्ली में मौजूद लोगों के लिए ये मौका सोने पर सुहागे जैसा है, क्योंकि उनके बीच श्रीराम भारतीय कला केंद्र जैसा ऐसा उपवन है, जिसमें कला की शीतल बयार बहा करती है. 

अपने प्रांगण में तैयार कलाकारों के साथ श्रीराम भारतीय कला केंद्र अपने खास सेंट्रल डांस फेस्टिवल 2025 का आयोजन कर रहा है. यह फेस्टिवल 25 मई से शुरू हो चुका है और , 27 मई व 29 मई 2025 को कमानी ऑडिटोरियम में आयोजित हो रहा है. 

इस खास प्रस्तुतियों की शृंखला में मीरा, परिक्रमा और कर्ण की कहानियों को नृत्य नाटिकाओं के जरिए पेश किया जा रहा है. यह आयोजन भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, ICCR, संगीत नाटक अकादमी, हिंदी अकादमी, उत्तर प्रदेश सरकार और श्रीराम पिस्टन्स, मारुति सुजुकी, DLF जैसी निजी संस्थाओं के सहयोग से हो रहा है.

यह फेस्टिवल सिर्फ एक सांस्कृतिक आयोजन भर नहीं है, बल्कि भारत की गहरी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं का उत्सव है. इसके जरिए भक्ति, साहस, नैतिकता और एकता जैसे मूल्यों की समझ एक बार फिर जेहन में उतरती है और खास बात है इसकी प्रस्तुतियों की टाइमिंग, जब देश अपने सैनिकों को याद कर रहा है और अपने सैनिकों के बलिदान को सलाम कर रहा है.

Advertisement

आगामी प्रस्तुतियां
परिक्रमा: आत्मा की यात्रा (27 मई 2025)
'परिक्रमा' जीवन, मृत्यु और पुनर्जनन के चक्र को दर्शाती है. आत्मा को छू जाने वाली यह प्रस्तुति मयूरभंज छऊ, कलारीपयट्टु और योग जैसी भारतीय कलाओं का मिश्रण है. पंच तत्व और पद्म पुराण से प्रेरित यह नाटिका आत्ममंथन और नई शुरुआत की भावना को खूबसूरती से दिखाती है.

कर्ण: रश्मिरथी (29 मई 2025)
महाभारत के महान योद्धा कर्ण की कहानी, जो निष्ठा, कर्तव्य और सत्य के बीच संघर्ष करती है. यह प्रस्तुति रामधारी सिंह 'दिनकर' की कविता 'रश्मिरथी' से प्रेरित है. छऊ और कलारीपयट्टु नृत्य शैलियों के जरिए कर्ण के जीवन के द्वंद्व को जीवंत किया जाएगा. यह कहानी आज के समय में भी साहस और नैतिकता की प्रासंगिकता को दर्शाती है.

ये नाटिकाएं केंद्र डांस रेपर्टरी के 25 प्रशिक्षित कलाकार पेश करेंगे, जो कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी, छऊ और अन्य भारतीय नृत्य शैलियों में माहिर हैं. संगीत, कॉस्ट्यूम, मंच सज्जा और लाइटिंग को इस तरह तैयार किया गया है कि दर्शकों को एक यादगार अनुभव मिले. फेस्टिवल की निदेशक पद्मश्री शोभा दीपक सिंह ने कहा, "कभी-कभी देश अपनी पहचान को नए सिरे से मजबूत करता है. हाल की घटनाओं ने हमें आजादी की कीमत और एकता की ताकत याद दिलाई है. मीरा, परिक्रमा और कर्ण की कहानियाँ सिर्फ प्रदर्शन नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक भावनाओं का प्रतीक हैं."

Advertisement

केंद्र के निदेशक जयंती कस्तुआर ने बताया, "जब देश नई ऊर्जा के साथ खड़ा है, तब ये प्रस्तुतियाँ हमें साहस, त्याग और लचीलापन जैसे मूल्यों की याद दिलाती हैं. ये कहानियां हमारी संस्कृति की खूबसूरती को दर्शाती हैं." ये सभी आयोजन, कमानी ऑडिटोरियम, कॉपरनिकस मार्ग, मंडी हाउस, नई दिल्ली में हो रहे हैं. सभी प्रस्तुतियां शाम 7:00 बजे से होंगीं.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement