TikTok स्टार ने पोर्क खाने से पहले 'दुआ' पढ़ी, बवाल हो गया

इस महिला ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया. इसमें उसने सूअर का मांस खाने से पहले एक ऐसा शब्द कह दिया, जिसके कारण विवाद खड़ा हो गया है. चलिए जानते हैं उसे कितनी कड़ी सजा हुई है.

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महिला को नफरत फैलाने के मामले में जेल की सजा (तस्वीर- सोशल मीडिया) महिला को नफरत फैलाने के मामले में जेल की सजा (तस्वीर- सोशल मीडिया)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 9:24 AM IST

इंडोनेशिया में एक टिकटॉक स्टार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है. उसने एक ऐसा वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया, जिसके कारण विवाद खड़ा हो गया. इसमें महिला सूअर का मांस खाती नजर आ रही है. हैरानी की बात ये है कि वो इससे पहले पवित्र इस्लामिक शब्द भी कहती है. वीडियो वायरल होने के बाद उसे दो साल जेल की सजा सुनाई गई. साथ ही 20 लाख रुपये का जुर्माना भी भरना होगा. अगर वो जुर्माने का पैसा नहीं देती है, तो जेल में रहने की अवधि तीन महीने तक और बढ़ा दी जाएगी. 

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महिला की पहचान लीना लुतफियावती के तौर पर हुई है. उसके दो मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. वो सूअर का मांस खाने से पहले 'बिस्मिल्लाह' शब्द कहती दिखती है. लीना खुद भी मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखती है. उसे नफरत फैलाने के आरोप में ये सजा सुनाई गई है. ईशनिंदा के आरोप में मुकदमा चलने के बाद उसने अपने सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर खेद व्यक्त किया और माफी मांगी. उसने मंगलवार को एक और बार माफी मांगी.

माफी मांगने के बाद क्या बोली लीना

लीना ने कहा, 'मैं हैरान हूं. मैंने कई बार माफी मांग ली है. असल में, मुझे पता था कि मैं गलत हूं लेकिन मैंने उम्मीद नहीं की थी कि मुझे दो साल की सजा हो जाएगी.' बता दें, इंडोनेशिया दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश है और इस्लाम में सूअर का मांस खाना हराम यानी निषिद्ध माना जाता है. हालांकि आलोचक इस कानून का अकसर विरोध करते रहे हैं. उनका कहना है कि देश के सख्त ईशनिंदा कानूनों का इस्तेमाल सहिष्णुता और विविधता की लंबे समय से चली आ रही प्रतिष्ठा को खत्म करने के लिए किया जाता है. 

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पहले भी लोगों को हुई है सजा

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडोनेशिया के कार्यकारी निदेशक उस्मान हामिद का कहना है कि लीना के साथ जो कुछ भी हुआ वो हैरान करने वाला नहीं है. खासतौर पर सरकार द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने के वादे के बावजूद. उन्होंने कहा कि इस कानून का इस्तेमाल अल्पसंख्यक समूहों और असंतुष्टों को निशाना बनाने के लिए किया जाता है. जकार्ता के गवर्नर बासुकी तजहाजा पुरनामा, जो ईसाई धर्म का पालन करते हैं, उन्हें भी 2017 में दो साल की जेल की सजा हुई थी. एक भाषण के दौरान कुरान की एक आयत पढ़ने के लिए उन्हें ईशनिंदा का दोषी पाया गया था. वहीं 2018 में एक चीनी महिला को 18 महीने की कैद हुई थी. उसने मस्जिद में नमाज की तेज आवाज से दिक्कत को लेकर शिकायत की थी.

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