प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, भूस्खलन और चक्रवात भारत में इन दिनों बहुत बड़ी समस्या बन गए हैं. ये आपदाएं न सिर्फ लोगों की जिंदगी और संपत्ति को नुकसान पहुंचा रही हैं, बल्कि धीरे-धीरे भारत के भौगोलिक नक्शे को भी बदल रही हैं. शहरों की शक्ल और इलाकों का ढांचा बदल रहा है. आइए, समझते हैं कि यह सब कैसे हो रहा है?
1. भारत के कौन से क्षेत्र बाढ़ और भूस्खलन से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं?
भारत के कई हिस्से इन आपदाओं से जूझ रहे हैं...
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ये इलाके भौगोलिक स्थिति और मौसम के कारण सबसे ज्यादा खतरे में हैं.
2. भारत में बार-बार भूस्खलन और बाढ़ आने के क्या कारण हैं?
इन आपदाओं के पीछे कई कारण हैं...
ये कारण मिलकर भारत में आपदाओं को बार-बार ला रहे हैं.
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3. ये आपदाएं भारत की भौगोलिक संरचना को कैसे बदल रही हैं?
प्राकृतिक आपदाएं धरती की शक्ल बदल रही हैं...
ये बदलाव धीरे-धीरे हो रहे हैं, लेकिन लंबे समय में भारत का नक्शा बिल्कुल अलग दिख सकता है.
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4. क्या भारतीय शहर प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अधिक संवेदनशील हो रहे हैं?
हां, शहर अब ज्यादा खतरे में हैं...
शहरों में आबादी और निर्माण बढ़ने से ये आपदाओं के लिए कमजोर हो रहे हैं.
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. इन आपदाओं को कम करने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?
सरकार ने कई कदम उठाए हैं...
फिर भी, इन कदमों को और तेज करने की जरूरत है.
2. क्या भारत में बढ़ती बाढ़ और भूस्खलन के लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है?
हां, ज्यादातर विशेषज्ञ मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन एक बड़ा कारण है. गर्मी बढ़ने से ग्लेशियर पिघल रहे हैं. बारिश अनियमित हो रही है. लेकिन पेड़ों की कटाई और गलत निर्माण भी इसमें शामिल हैं. यह सिर्फ प्रकृति की गलती नहीं, हमारी आदतों का भी नतीजा है.
भारत में बाढ़, भूस्खलन और प्राकृतिक आपदाओं का डेटा (2025 तक अनुमानित)
भारत में प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़ और भूस्खलन हर साल भारी नुकसान पहुंचाते हैं. नीचे हाल के आंकड़ों और अनुमानों के आधार पर सांख्यिकीय जानकारी दी जा रही है...
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र: भारत के कुल 329 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में से 40 मिलियन हेक्टेयर (12% से ज्यादा) बाढ़ के खतरे में है. हर साल औसतन 75 लाख हेक्टेयर जमीन बाढ़ से प्रभावित होती है.
जान-माल का नुकसान: हर साल लगभग 1,600 लोग बाढ़ में जान गंवाते हैं. पिछले 10 सालों (1996-2005) में औसत वार्षिक नुकसान 4745 करोड़ रुपये था, जो पहले के 53 सालों के 1805 करोड़ रुपये से कहीं ज्यादा है.
विस्थापन: 2015 से 2024 के बीच भारत में 3.2 करोड़ लोग बाढ़, तूफान और भूस्खलन जैसी आपदाओं से विस्थापित हुए. 2024 में अकेले 4.58 करोड़ बार लोग बेघर हुए.
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भूस्खलन: हिमालयी क्षेत्रों में हर साल 200-300 भूस्खलन की घटनाएं होती हैं. 2023 में हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश से 100 से ज्यादा भूस्खलन दर्ज किए गए.
चक्रवात: हर साल औसतन 2-3 बड़े चक्रवात तटीय इलाकों (ओडिशा, पश्चिम बंगाल) में आते हैं. 2023 में चक्रवात मिचांग ने चेन्नई को प्रभावित किया.
फसल और संपत्ति: बाढ़ से हर साल फसलों, घरों और सार्वजनिक सुविधाओं को 1805 करोड़ रुपये का नुकसान होता है, जो बढ़ता जा रहा है.
जलवायु परिवर्तन का असर: पिछले 10 सालों में मौसम से जुड़ी आपदाओं (बाढ़, तूफान) से 21.9 करोड़ विस्थापन हुए, जो सालाना 2.24 करोड़ के हिसाब से है.
(ये आंकड़े मौसम विभाग और अन्य स्रोतों से लिए गए अनुमान हैं, जो 2025 तक के रुझानों पर आधारित हैं. सटीक डेटा हर साल बदल सकता है, लेकिन खतरा बढ़ता जा रहा है. सावधानी और तैयारी जरूरी है.)
ऋचीक मिश्रा