Diwali 2024: 31 अक्टूबर या 1 नवंबर, कब मनाएं दिवाली? 7 प्रसिद्ध पंडितों ने दिया ये जवाब

Diwali 2024: हिंदू धर्म में दिवाली के पर्व का विशेष महत्व है. प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को दिवाली मनाई जाती है. लेकिन इस बार लोगों में दिवाली की तारीख को लेकर भारी संशय बना हुआ है. कोई कह रहा है, दीपावली 31 अक्टूबर को है तो कुछ लोग 01 नवंबर को दिवाली मनाने की बात कर रहे हैं. तो आइए जानते हैं कि दिवाली की सही तारीख क्या है.

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दिवाली 2024 कब है और शुभ मुहूर्त दिवाली 2024 कब है और शुभ मुहूर्त

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 11:45 AM IST

Diwali 2024: हर साल की तरह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का विशेष विधान है. इस दिन संध्या और रात्रि के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी विघ्नहर्ता भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा और आराधना की जाती है. पुराणों के अनुसार, कार्तिक अमावस्या की अंधेरी रात में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक पर आती हैं और हर घर में विचरण करती हैं. 

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इस बार दिवाली की तिथि को लेकर लोग असमंजस में हैं. कुछ लोगों का मानना है कि दिवाली 31 अक्टूबर को है तो कुछ लोग 1 नवंबर को दिवाली मनाने की सलाह दे रहे हैं. अक्सर पर्व की सही तिथियों को लेकर किसी ना किसी कारण से लोगों में मतभेद और कंफ्यूजन बना रहता है. तो आइए ज्योतिर्विदों से जानते हैं कि दिवाली की सही तिथि या डेट क्या होगी, साथ ही जानते हैं कि दिवाली के दिन मां लक्ष्मी-गणेश जी के पूजन का मुहूर्त क्या रहेगा और दिवाली की पूजन विधि क्या होगी. 

दिवाली 2024 तिथि (Diwali 2024 Date)

दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस बार कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर होगा. ऐसे में अमावस्या की तिथि के अनुसार कुछ विद्वान या पंडित दिवाली 31 अक्टूबर को मनाने की सलाह दे रहे हैं तो वहीं कुछ 1 नवंबर को दिवाली मनाने के पक्ष में हैं.

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31 अक्टूबर को दिवाली मनाने का कारण

बीएचयू के प्रोफेसर विनय पांडे के मुताबिक, 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाई जानी चाहिए. क्योंकि, इसी दिन शाम को अमावस्या और प्रदोष काल का संयोग बन रहा है जिसमें दीप दान, मां लक्ष्मी का पूजन, उल्का मुख दर्शन किया जा सकता है. 

वहीं, स्वास्तिकपीठाधीश्वर के स्वामी अवधेश पुरी महाराज के मुताबिक भी 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनानी चाहिए. क्योंकि 31 अक्टूबर को पूरी रात अमावस्या रहेगी. साथ ही, प्रदोष काल और महानिशीथ काल में ही दीपावली पूजन करना शुभ होता है. 

1 नवंबर को क्यों मनानी चाहिए दिवाली?

वहीं, कुछ ज्योतिषार्यों और पंडितों के मुताबिक, 1 नवंबर को भी दिवाली मनाना उचित रहेगा. क्योंकि उनके मुताबिक, दिवाली उदयातिथि के अनुसार ही मनानी चाहिए.  

अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता महंत नवल किशोर दास ने बताया कि 1 नवंबर को दिवाली मनाना शुभ रहेगा. क्योंकि उसी दिन दिवाली की उदयातिथि पड़ रही है. उदया तिथि का मतलब सूर्योदय के साथ शुरू होने वाली तिथि.

वहीं, ज्योतिष राज मिश्रा के मुताबिक 1 नवंबर को ही दिवाली मनानी चाहिए. क्योंकि उदयातिथि से ही किसी भी तिथि की शुरुआत होती है. 

इन लोगों को 1 नवंबर को दिवाली मनाना होगा उचित

पंडित राजकुमार शास्त्री के मुताबिक, 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों ही दिन दिवाली मनाना उचित होगा. अगर लोगों को अपने घरों में पूजन करना है तो 31 अक्टूबर को लोग निशीथ काल में पूजन कर सकते हैं. अगर व्यापारियों को पूजन करना है तो उनके लिए 1 नवंबर को दिन तक का मुहूर्त मिलेगा जिसमें पूजन करना उचित होगा.

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ज्योतिर्विद अरविंद शुक्ला ने दिवाली की तिथि को लेकर क्या कहा

ज्योतिर्विद अरविंद शुक्ला के मुताबिक, दीपावली उस दिन मनाई जाती है जिस दिन रात्रि में अमावस्या हो. यानी इस बार अमावस्या 31 अक्टूबर को पड़ रही है इसलिए दिवाली का त्योहार 31 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा. दिवाली से पहले धनतेरस आता है जिसको त्रयोदशी कहते हैं और उसके बाद रूप चतुर्दशी आती है जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है और फिर, अमावस्या तिथि को दिवाली मनाई जाती है.

पंडित दिवाकर त्रिपाठी जी ने बताई दिवाली की सही तिथि

पंडित दिवाकर त्रिपाठी जी ने शास्त्रों को ध्यान में रखते हुए बताया है कि दीपावली का त्योहार रात को मनाया जाने वाला पर्व है, यह रोशनी का पर्व है. शास्त्रों में ऐसा वर्णन मिलता है कि दीपावली का त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाना चाहिए. 

इस बार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से शुरू होगी और तिथि का समापन 1 नवंबर को शाम को 6 बजकर 16 मिनट पर होगा. 

पंडित जी के मुताबिक, शास्त्रों में अमावस्या के दिन रात में पूजा करने का विधान है. दीपावली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा रात में की जाती है. यानी, 31 अक्टूबर की पूरी रात अमावस्या तिथि रहेगी, लेकिन 1 नवंबर की रात आने से पहले वह समाप्त हो जाएगी. 1 नवंबर की रात को प्रतिपदा तिथि होगी. मतलब कि रात्रि व्यापनी अमावस्या 31 अक्टूबर को ही रहेगी. 

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शास्त्र ये कहता है कि रात्रि व्यापनी अमावस्या में दीपावली का पूजन करना उचित है और इसलिए, 31 अक्टूबर के दिन प्रदोष काल में ही लक्ष्मी का पूजन करना उचित होगा. जो लोग सिंह लग्न में पूजन करते हैं, वो देर रात पूजन करेंगे.  

यानी ज्यादातर पंडितों के मुताबिक, 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाना ज्यादा शुभ रहेगा.

दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त (Diwali 2024 Shubh Muhurat)

इस बार दिवाली पर पूजन के लिए दो मुहूर्त मिलेंगे. 31 अक्टूबर को पहला शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में है.

पहला मुहूर्त- शाम 5 बजकर 36 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट के बीच रहेगा, जो प्रदोष काल का समय है. 

दूसरा मुहूर्त- शाम 6 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगा और ये पूजन वृषभ लग्न में होगा. इन दोनों मुहूर्त में आप लक्ष्मी-गणेश जी का पूजन कर सकते हैं.

व्यापारियों के लिए पूजा का मुहूर्त

पंडित शैलेंद्र पांडेय के मुताबिक, 1 नवंबर को व्यापारी अपनी दुकानों में दिवाली का पूजन कर सकते हैं. जिसका मुहूर्त मध्यरात्रि 12 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 10 मिनट तक मिलेगा.

दिवाली पूजन विधि (Diwali Pujan Vidhi)

दिवाली पर पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी रखें. चौकी पर लाल या गुलाबी वस्त्र बिछाएं. पहले गणेश जी की मूर्ति रखें. फिर उनके दाहिने और लक्ष्मी जी को रखें. आसन पर बैठें और अपने चारों ओर जल छिड़क लें. इसके बाद संकल्प लेकर पूजा आरम्भ करें. एक मुखी घी का दीपक जलाएं. फिर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को फूल और मिठाइयां अर्पित करें.

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इसके बाद सबसे पहले गणेश और फिर मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें. अंत में आरती करें और शंख ध्वनि करें. घर में दीपक जलाने से पहले थाल में पांच दीपक रखकर फूल आदि अर्पित करें. इसके बाद घर के अलग-अलग हिस्सों में दीपक रखना शुरू करें. घर के अलावा कुएं के पास और मंदिर में दीपक जलाएं. दीपावली का पूजन लाल, पीले या चमकदार रंग के वस्त्र धारण करके करें. काले, भूरे या नीले रंग से परहेज करें.

दिवाली का महत्व (Diwali Significance)

दिवाली के दिन भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त करके वापस अयोध्या आए थे. इस दिन से हर साल कार्तिक अमावस्या पर दिवाली मनाई जाती है. दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है, साथ ही भगवान राम के आने की खुशी में दीप जलाए जाते हैं.  

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