पंजाब में बाढ़ का कहर, अब तक 29 की मौत, ढाई लाख लोग घर छोड़ने पर मजबूर

पंजाब में पिछले एक महीने से जारी भीषण बाढ़ में अब तक 29 लोगों की मौत हो चुकी है और 2.56 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं. 12 जिलों में बाढ़ का कहर जारी है, जिसमें सबसे ज्यादा जानें पठानकोट में गई हैं. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और पुलिस राहत कार्य में जुटी है. हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.

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लोगों को सुरक्षित निकालने में जुटी सेना (File Photo: ITG) लोगों को सुरक्षित निकालने में जुटी सेना (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • चंडीगढ़,
  • 01 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:50 PM IST

पंजाब में बाढ़ ने पिछले एक महीने में तबाही मचा दी है. 1 अगस्त से शुरू हुई इस आपदा में अब तक 29 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 2.56 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. राज्य सरकार ने इसे दशकों की सबसे भीषण बाढ़ आपदा बताया है.

न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में बाढ़ से 29 लोगों की मौत हुई है जिसमें सबसे ज्यादा 6 मौतें पठानकोट जिले में हुई हैं. अमृतसर, बरनाला, होशियारपुर, लुधियाना, मंसा और रूपनगर में तीन-तीन मौतें दर्ज की गई हैं, जबकि बठिंडा, गुरदासपुर, पटियाला, मोहाली और संगरूर में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है. इसके अलावा, तीन लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं.

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15,688 लोगों को सुरक्षित निकाला गया

अब तक 15,688 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. इनमें सबसे ज्यादा 5,549 लोग गुरदासपुर से, 3,321 फिरोजपुर से, 2,049 फाजिल्का से और 1,700 अमृतसर से निकाले गए हैं. पठानकोट से 1,139 और होशियारपुर से 1,052 लोगों को बचाया गया.

बाढ़ ने 1,044 गांवों को प्रभावित किया है. इसमें गुरदासपुर के 321, अमृतसर के 88, फाजिल्का के 72, फिरोजपुर के 76, होशियारपुर के 94 और पठानकोट के 82 गांव शामिल हैं. कुल 96,061 हेक्टेयर कृषि भूमि भी बाढ़ की चपेट में आई है.

अमृतसर सबसे ज्यादा प्रभावित 

सबसे ज्यादा प्रभावित आबादी अमृतसर (35,000) में है, इसके बाद फिरोजपुर (24,015), फाजिल्का (21,562) और पठानकोट (15,053) का नंबर आता है. भारी बारिश और हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कैचमेंट क्षेत्रों से आने वाले पानी ने सतलुज, ब्यास और रावी नदियों को उफान पर ला दिया है.

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एनडीआरएफ की 20 टीमें गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर, फाजिल्का और बठिंडा में राहत कार्य कर रही हैं. सेना, पुलिस और स्थानीय प्रशासन भी बचाव में जुटे हैं. हालांकि, मवेशियों और बुनियादी ढांचे की क्षति का सही आकलन पानी घटने के बाद ही हो पाएगा.
 

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