36 दिन की फरारी के बाद अरेस्ट... जानें कौन हैं अमृतपाल की खालिस्तानी साजिश के 9 मास्टरमाइंड

खालिस्तान समर्थक भगोड़ा अमृतपाल फरार होने के 36 दिन बाद पकड़ा गया है. उसे असम के डिब्रूगढ़ जेल भेजने की तैयारी चल रही है. अमृतपाल लंबे समय तक पुलिस की नजरों से बचकर यहां-वहां छिपता रहा. आइए जानते हैं कि उसकी खालिस्तानी साजिश के 9 मास्टरमाइंड कौन थे?

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अमृतपाल की खालिस्तानी साजिश के 9 मास्टरमाइंड. अमृतपाल की खालिस्तानी साजिश के 9 मास्टरमाइंड.

aajtak.in

  • चंडीगढ़,
  • 23 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 7:58 AM IST

खालिस्तान समर्थक भगोड़ा अमृतपाल आखिरकार फरारी के 36 दिन बाग गिरफ्तार हो गया है. पंजाब पुलिस 8 राज्यों में उसकी तलाश कर रही थी. चुस्त नाकाबंदी, वाहनों की चेकिंग और लगातार पेट्रोलिंग के बाद भी वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ रहा था. दरअसल, पुलिस से बचने में उसकी हर कदम पर मदद की जा रही थी. आइए सबसे पहले आपको बताते हैं कि वे कौन किरदार हैं, जो अमृतपाल की खालिस्तानी साजिश के लिए फंडिंग से लेकर प्लानिंग तक का काम संभाल रहे थे.

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किरणदीप कौर: यह अमृतपाल की पत्नी है. इसी साल 10 फरवरी को दोनों की शादी हुई है. पुलिस को आशंका है कि किरणदीप को अमृतपाल को हो रही विदेशी फंडिंग की जानकारी है. इसके अलावा, खुफिया एजेंसियों को इस बात की आशंका है कि किरणदीप कौर आनंदपुर खालसा फोर्स (AKF) और 'वारिस पंजाब दे' के लिए धन जुटाने का काम करती थी.पुलिस ने कथित विदेशी फंडिंग के मामले में किरणदीप कौर से करीब एक घंटे तक पूछताछ की थी.

तूफान सिंह: वारिस पंजाब दे का सक्रिय सदस्य है और अमृतपाल सिंह बेहद करीबी भी. आरोप है कि लवप्रीत तूफान ने अमृतपाल के खिलाफ टिप्पणी करने पर एक व्यक्ति का अपहरण कर लिया था. यह अमृतपाल के लिए लोगों को डराने-धमकाने का काम करता था. अमृतपाल ने तूफान सिंह को रिहा कराने के लिए 24 फरवरी को अजनाला थाने पर धावा बोल दिया था.

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पप्पलप्रीत सिंह: यह अमृतपाल का मेन हैंडलर था. अमृतपाल इसे अपना मेंटर मानता है. पप्पलप्रीत के कहने पर ही अमृतपाल ने कट्टरपंथी सिख उपदेशक से एक साधारण व्यक्ति का रूप लिया. वह पंजाब में खालिस्तान का माहौल खड़ा करने के लिए आईएसआई के सीधे संपर्क में था. वह राज्य में आतंकवाद की साजिश कर रहा था.

दलजीत सिंह कलसी: यह अमृतपाल का फाइनेंसर था. दलजीत आईएसआई और अमृतपाल के बीच की अहम कड़ी भी है. वह पाकिस्तान के कई देशों में स्थित महावाणिज्य दूतावासों में तैनात अफसरों से संपर्क में था. विदेश से फंडिग के लिए उसने स्टर्लिंग इंडिया एजेंसी नाम की एक कंपनी बनाई थी. पड़ताल में पता चला था कि पिछले दो साल में विदेश से करीब 35 करोड़ रुपये उसने जुटाए थे. इस राशि का बहुत सा हिस्सा उसने अमृतपाल और वारिस पंजाब दे पर खर्च किया था.

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गुरमीत सिंह: आरोप है कि गुरमीत ने अमृतपाल के लिए लोकल नेटवर्क खड़ा करने में मदद की थी. इसके अलावा 18 मार्च को उसे भगाने में भी हर तरह के इंतजाम किए थे. पुलिस ने उसे एनएसए के तहत गिरफ्तार कर डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में रखा था.

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भगवंत सिंह: यह अमृतपाल का सोशल मीडिया मैनेजर और मीडिया कॉर्डिनेटर था. अजनाला पुलिस स्टेशन पर हुए हमले में उसकी बड़ी भूमिका थी. वह खुद को सोशल मीडिया इन्फ्लुएंशर बताता था. उसके फेसबुक पर करीब 6.11 लाख फॉलोअर थे. पुलिस ने उसके इंस्टाग्राम, यूट्यूब चैनल को ब्लॉक कर उसे एनएसए के तहत अरेस्ट किया था.

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हरजीत सिंह: यह अमृतपाल का चाचा है और कट्टर खालिस्तान समर्थक नेता. अमृतपाल सबसे पहले जिस कार से भागा था, उसे हरजीत ही चला रहा था. अमृतपाल दुबई में उसी के साथ काम करता था. अमृतपाल के पंजाब लौटने के कुछ महीनों के भीतर ही हरजीत भी लौट आया था. ऐसी आशंका है कि हरजीत को अमृतपाल को दुबई से पंजाब भेजने की साजिश की पूरी जानकारी थी और वह भी इसका हिस्सा था.

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तेजिंदर सिंह: यह अमृतपाल का खास गुर्गा है. वह हर वक्त उसकी सुरक्षा में तैनात रहता था. अजनाला केस में भी तेजिंदर आरोपी है. तेजिंदर पहले भी जेल जा चुका है. इसके खिलाफ पहले से लड़ाई और शराब तस्करी का मामला दर्ज है. तेजिंदर सोशल मीडिया पर हथियारों के साथ फोटो भी पोस्ट करता है.

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बलजीत कौर: अमृतपाल जब पंजाब से फरार हुआ तो वह हरियाणा के कुरुक्षेत्र में गया था. वह यहां 32 वर्षीय बलजीत कौर के घर पर रुका था. वह यहां 19 मार्च से 21 मार्च तक ठहरा था. रात को खाना खाते वक्त बलजीत कौर के भाई ने अमृतपाल को पहचान लिया था, लेकिन सबने मिलकर बलजीत के भाई को शांत करवा दिया था. उसका भाई एसडीएस कार्यालय में काम करता है. अमृतपाल ने बलजीत कौर और उसके भाई के फोन से कुछ नंबरों पर फोन कॉल किया था. कॉल करने के बाद मोबाइल से नंबर डिलीट कर दिया. बलजीत कौर ने एमबीए किया हुआ है. वह इंस्टाग्राम के जरिये अमृतपाल के संपर्क में आई थी.

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