मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह राजनीतिक गलियारों में तो घिरे ही हैं, कानूनी पचड़े में भी फंस गए हैं. कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर बयान पर हाईकोर्ट के निर्देश के बाद मुकदमा दर्ज हो चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कह दिया है कि मंत्री होकर ऐसी भाषा. विपक्षी कांग्रेस पार्टी इस्तीफे की मांग को लेकर राज्यपाल के पास पहुंच चुकी है. वहीं, पाकिस्तानी मीडिया उनके बयान का इस्तेमाल दुनिया में यह प्रोपेडैंडा फैलाने के लिए कर रहा है कि भारत में अल्पसंख्यकों को मुख्य धारा से दूर धकेला जा रहा है.
चौतरफा घिरे जनजातीय मामलों से संबंधित विभाग के मंत्री कुंवर विजय शाह ने विवाद बढ़ने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मध्य प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से मुलाकात के बाद माफी भी मांग ली, लेकिन हंसते हुए. उनके लिए कहीं राहत है तो वह यह कि बीजेपी और मध्य प्रदेश सरकार उनके पीछे खड़ी नजर आ रही है. सवाल उठ रहे हैं कि बीजेपी विजय शाह पर एक्शन से क्यों हिचक रही है? इसे चार पॉइंट में समझा जा सकता है.
1- कद्दावर आदिवासी चेहरा
कुंवर विजय शाह लगातार आठ बार के विधायक हैं. आदिवासी समाज से आने वाले विजय शाह अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हरसूद सीट से 2018 में भी चुनकर पहुंचे थे, जब एसटी सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा था. खंडवा के जंगली इलाके से सत्ता के गलियारों में मंत्री पद तक पहुंचे विजय शाह सूबे में बीजेपी के सत्ता में आने के भी पहले से विधायक हैं. आदिवासी समाज के बीच बीजेपी की सियासी जमीन मजबूत करने के लिए भी शाह को क्रेडिट दिया जाता है.
2- आदिवासी वोट
मध्य प्रदेश के कुल मतदाताओं में से करीब 22 फीसदी भागीदारी आदिवासी समाज की हैं. आदिवासी समाज के लिए आरक्षित सीटों की बात करें तो 47 सीटें एसटी आरक्षित हैं. 230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा की करीब 90 सीटें ऐसी हैं, जहां जीत-हार तय करने में आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. कहा जाता है कि मध्य प्रदेश की सत्ता की तस्वीर आदिवासी मतदाताओं के रुख पर निर्भर करती है और यह पिछले दो विधानसभा चुनावों के नतीजों से भी साबित होता है.
साल 2013 के विधानसभा चुनाव में 47 में 31 एसटी सीटें जीतने वाली बीजेपी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में सफल रही, वहीं 2018 में कांग्रेस 30 एसटी सीटें जीत सत्ता का सूखा समाप्त कराने में. बीजेपी नहीं चाहेगी कि विजय शाह जैसे बड़े आदिवासी नेता पर एक्शन से आदिवासी समाज के बीच कोई गलत संदेश जाए और पार्टी को नुकसान उठाना पड़े. एमपी बीजेपी की हाल में हुई बैठक में भी वरिष्ठ नेताओं ने यही चिंता व्यक्त की.
3- हार्डकोर वोटर
कुंवर विजय शाह के बयान से बीजेपी नेतृत्व नाराज है. मुख्यमंत्री मोहन यादव से लेकर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा तक उन्हें तलब कर चुके हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा उनकी रिपोर्ट तलब कर चुके हैं. बीजेपी नेताओं की टीम कर्नल सोफिया के घर पहुंच परिजनों से मिलकर भी आ गई. बयान 11 मई को आया और आज 16 मई है. इन छह दिनों में डैमेज कंट्रोल के लिए बीजेपी की तरफ से तमाम कवायदें हुईं, नहीं हुआ तो बस एक्शन. इसे बीजेपी की पॉलिटिकल लाइन से जोड़कर भी देखा जा रहा है. विजय शाह की भाषा भले ही ठीक नहीं, लेकिन उनका टार्गेट तो हार्डकोर हिंदू वोटर ही था. विजय शाह पर एक्शन से कहीं यह लॉयल वोटबैंक नाराज न हो जाए, यह भी एक वजह हो सकती है कि पार्टी फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रही है.
4- अपनी जीत बताएगा विपक्ष
बीजेपी विजय शाह पर एक्शन से इसलिए भी हिचक रही है, क्योंकि पार्टी नेताओं को लग रहा है कि अगर ऐसा हुआ तो विपक्ष इसे अपनी जीत के तौर पर प्रचारित करेगा. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस मुद्दे पर एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी, जिसमें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मुख्यमंत्री मोहन यादव, संगठन महासचिव हितानंद शर्मा और अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे. इस बैठक में वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस्तीफे को लेकर कुछ नहीं कहा है, इसलि इस पर जोर देने की जरूरत नहीं है. एमपी बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की राय यह भी थी कि विपक्षी पार्टियां शाह के इस्तीफे को देशभर में अपनी जीत के तौर पर पेश करेंगी.
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विजय शाह ने क्या बयान दिया था?
मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर का बखान कर रहे थे. इसी दौरान विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम लिए बिना ऐसी टिप्पणी कर दी, कि बखेड़ा खड़ा हो गया. उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा था कि जिन लोगों ने हमारी बेटियों का सिंदूर उजाड़ा था, मोदी जी ने उन्हीं की बहन भेजकर उनकी ऐसी की तैसी करा दी. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, पूर्व मंत्री रघुनंदन शर्मा जैसे नेता विजय शाह पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. वहीं, केंद्रीय मंत्री दुर्गादास उइके, मध्य प्रदेश सरकार की मंत्री प्रतिमा बागरी और भारत आदिवासी पार्टी के विधायक कमलेश्वर डोडियार मंत्री शाह का बचाव कर रहे हैं.
बिकेश तिवारी