अमेरिकी सेना में दाढ़ी-पगड़ी पर बैन, भारत के सिख नेता बोले- ये धार्मिक भावनाओं के खिलाफ

अमेरिकी सेना ने नई नियमावली जारी की है, जिसमें दाढ़ी और लंबे बाल रखने पर रोक लगाई गई है. इसके कारण सिख, मुस्लिम और ऑर्थोडॉक्स यहूदी सैनिक अब अपने धर्म और सेवा में से किसी एक का चुनाव करने को मजबूर हैं. पंजाब और भारत के सिख नेताओं ने इसे धार्मिक भावनाओं पर हमला बताया है. SGPC और राजनीतिक दलों ने अमेरिका से इस फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की है.

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US Army के नए नियम से भड़का सिख समुदाय (Photo by Grok) US Army के नए नियम से भड़का सिख समुदाय (Photo by Grok)

अमन भारद्वाज

  • नई दिल्ली,
  • 06 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 8:19 PM IST

अमेरिकी सेना नई ग्रूमिंग पॉलिसी के कारण विवादों में है. नई नियमावली के तहत दाढ़ी और लंबे बाल रखने पर रोक लगाई गई है. इसमें धार्मिक छूट को खत्म कर दिया गया है जिससे सिख, मुस्लिम और ऑर्थोडॉक्स यहूदी सैनिकों को अपने धर्म और सेवा में से किसी एक का चुनाव करना पड़ेगा. कई लोग इसे अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ बता रहे हैं.

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बयानबाजी से बढ़ा विवाद 

ये संघर्ष तब और बढ़ गया जब अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेजसेथ ने दाढ़ी रखने वाले सैनिकों को 'बीयर्डोस' और 'मोटे जनरल' कहकर मजाक उड़ाया. उनके इस बयान की लोगों ने निंदा की और इसे अपमानजनक और भेदभावपूर्ण करार दिया.

सिख संगठनों ने जताई नाराजगी

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने अमेरिकी फैसले पर गंभीर आपत्ति जताई है. SGPC के प्रवक्ता गुरचरण ग्रेवाल ने कहा कि ये पहली बार नहीं है जब सिखों या पंजाबी समुदाय को निशाना बनाया गया है. इससे पहले भी जब पगड़ी हटाई गई और सिखों को हाथकड़ी लगाई गई तब उन्हें अपमानित किया गया. ये न तो लोकतांत्रिक है और न ही सही. उन्होंने बताया कि SGPC अमेरिका के गुरुद्वारों के साथ मिलकर मामले की जानकारी इकट्ठा करेगी और अगले कदम का फैसला करेगी.

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सिख धर्म के पांच ककार (केश, कच्छेरा, कंघा, किरपान और कड़ा) धार्मिक विश्वास के अनिवार्य अंग हैं. किसी भी आदेश या नियम से इन पर रोक लगाना सिख धर्म के नियमों और भावनाओं के खिलाफ है. यही कारण है कि SGPC और पंजाब के नेता इस फैसले पर कड़ा विरोध कर रहे हैं.

शिरोमणि अकाली दल ने बताया भेदभावपूर्ण

बठिंडा से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इसे निंदा योग्य और भेदभावपूर्ण करार दिया. उन्होंने कहा कि सिखों ने अमेरिकी सेना में अपनी धार्मिक पहचान बनाए रखते हुए सेवा दी है. उनकी धार्मिक पहचान को छीनना न्यायसंगत नहीं है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए.

भाजपा पंजाब ने बताया मूल अध‍िकार पर हमला 

BJP पंजाब के उपाध्यक्ष फतेहजंग सिंह बाजवा ने इसे पीछे की ओर ले जाने वाला फैसला बताया. उन्होंने कहा कि ये बैन धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार पर हमला है. सिखों की सेना में बहादुरी और बलिदान की गौरवशाली परंपरा रही है. किसी सेना की असली ताकत लोगों के एक रूप दिखने में नहीं बल्कि उद्देश्य की एकता में होती है.

कांग्रेस का विरोध

कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने कहा कि ये धर्मनिरपेक्ष सोच के खिलाफ है. एक सच्चा सिख अपने धर्म के नियम छोड़ सकता है लेकिन कभी भी दाढ़ी और पगड़ी नहीं हटाएगा. ये दोनों उसके विश्वास के पवित्र अंग हैं.

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AAP नेता की प्रतिक्रिया

श्री आनंदपुर साहिब से AAP सांसद मलविंदर कांग ने कहा कि अमेरिकी सरकार का सिख सैनिकों को दाढ़ी और बाल काटने का निर्देश सिखों के ऐतिहासिक और धार्मिक मूल्य पर हमला है. इस फैसले की कड़ी निंदा करते हुए केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय से आग्रह है कि तुरंत अमेरिका से बात करें और इस फैसले को वापस लेने के लिए कहें.

राजनीतिक दलों में सहमति

पंजाब के विभिन्न राजनीतिक दलों और सिख नेताओं ने अमेरिकी नीति को भेदभावपूर्ण और गैर-लोकतांत्रिक करार देते हुए इसे वापस लेने की मांग की है. उनका संदेश साफ है कि विविधता का सम्मान करें, धार्मिक विश्वास की रक्षा करें और सच्ची स्वतंत्रता को बनाए रखें.

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