अयोध्या: राजीव नयन, आजानुबाहु और निश्छल मुस्कान... ऐसे होंगे गर्भगृह में विराजने वाले बाल स्वरूप श्रीराम

वाल्मीकि रामायण के वर्णन के अनुसार श्रीराम की आंखें कमल जैसी, हाथ घुटनों तक लंबे और चेहरे पर निश्छल हंसी थी. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित होने वाली 5 वर्षीय बाल रामलला की मूर्ति अद्भुत होगी. बाल रामलला की मूर्ति में रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण में वर्णित काया की झलक दिखाई देगी.

Advertisement
Ram Mandir Ram Mandir

बनबीर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 30 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:31 AM IST

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति की बैठक के दौरान प्राण प्रतिष्ठित की जाने वाली मूर्ति पर चर्चा हुई. राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय समेत अन्य सदस्यों ने निर्माण हो चुकी तीनों मूर्तियां को देखा. ट्रस्टी अनिल मिश्रा की मानें तो तीनों मूर्तियां को देखने के बाद चयनित मूर्ति को लेकर काफी कुछ सहमति बन गई है. हालांकि इसकी घोषणा जनवरी के प्रथम सप्ताह में की जाएगी.

Advertisement

मूर्ति के चयन के पहले सभी बिंदुओं और पहलुओं पर विचार विमर्श भी किया गया है. हालांकि जिन मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है वह रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण में वर्णित रामलला के स्वरूप जैसी होगी. धनुष बाण मूर्ति का हिस्सा नहीं होंगे बल्कि साज सज्जा का हिस्सा होंगे.

तीन मूर्तियों में जीवंत होंगे सबसे अद्भुत, आकर्षक रामलला 
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित होने वाली 5 वर्षीय बाल रामलला की मूर्ति अदभुद होगी. बाल रामलला की मूर्ति में रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण में वर्णित काया की झलक दिखाई देगी. जैसे नीलकमल जैसी आंखें, चंद्रमा की तरह चेहरा, घुटनों तक लंबे हाथ, होठों पर निश्चल मुस्कान, दैवीय सहजता के साथ गंभीरता... यानि ऐसी जीवंत मूर्ति जो देखते ही मन को भा जाए और एकटक देखने के बाद भी आंखें तृप्त होने के बजाय प्यासी ही रहें. 

Advertisement

कुछ ऐसा हो होगा रामलला का बालस्वरूप
51 इंच की ऐसी विलक्षण मूर्ति के लिए 3 चुनिंदा कलाकारों ने तीन अलग-अलग मूर्तियां बनाई हैं. इसमें से दो कर्नाटक की श्याम शिला से तैयार की गई है तो एक सफेद संगमरमर की है. मूर्ति तैयार करने के पहले विशेषज्ञों ने इन पत्थरों की गहनता से जांच भी की है. अयोध्या का श्री राम जन्मभूमि मंदिर इस तरह बन रहा है कि 1000 साल तक इसके जीर्णोधार की जरूरत न पड़े. इसीलिए मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित होने वाली मूर्ति को लेकर भी कई मानक तय किए गए हैं. चयनित होने वाली मूर्ति को इन्हीं मानकों की कसौटी पर परखा जाएगा. 

पौराणिक आधार पर होना है मूर्ति चयन
सबसे पहले यह देखा जाएगा की रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण में वर्णित श्रीराम के बाल स्वरूप से कौन सी मूर्ति सबसे अधिक मेल खाती है. इसके बाद इस बात का परीक्षण होगा कि हल्दी, चंदन , धूप , अगरबत्ती के धुएं और अन्य पूजन सामग्रियों से मूर्ति पर कोई दाग या प्रभाव तो नही पड़ता. यही नहीं रामनवमी के दिन जब इस पर सूर्य की किरण पड़े तो कौन सी मूर्ति ज्यादा अच्छी लगेगी. तैयार हुई मूर्ति में किस मूर्ति की आयु सबसे अधिक है. इस तरह के कुछ मानक हैं और मूर्ति के चयन की घोषणा के पहले इन्हीं महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार विमर्श हो रहा है. 

Advertisement

सफेद संगरमर या श्यामशिला?
मूर्ति की घोषणा से पहले मूर्ति विशेषज्ञ इन मूर्तियों की जांच पड़ताल भी करेंगे. हालांकि जानकार बताते हैं कि श्यामशिला से तैयार की गई दो अलग-अलग बाल स्वरूप मूर्तियों में से ही किसी एक का चयन किया जाएगा. सफेद संगमरमर से निर्मित मूर्ति के चयन की संभावना लगभग न के बराबर है.इसके पीछे का तर्क यह है कि राम लला श्याम वर्ण के थे इसलिए श्यामशिला से निर्मित मूर्ति सबसे उपयुक्त होगी.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement