नदियों के रास्ते सफर: तैरते लग्जरी 'होटल' में टूरिस्ट निकले घूमने, घने जंगलों से भी गुजरेंगे

Ganga Vilas Cruise: हवाई और सड़क परिवहन के बाद पर्यटक अब नदियों के रास्ते भारत के शहरों में आना चाहते हैं. क्रूज़ गंगा विलास भारत में निर्मित पहला रिवरशिप है जो काशी से बोगीबील (डिब्रूगढ़) तक सबसे लंबी जलयान (क्रूज) यात्रा कराएगी. ये यात्रा कुल 3200 किलोमीटर की होगी. 50 दिन का यह सफर भारत और बांग्लादेश के 27 रिवर सिस्टम से गुजरेगा.

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विदेशी सैलानियों संग गाज़ीपुर पहुचा गंगा विलास क्रूज़. विदेशी सैलानियों संग गाज़ीपुर पहुचा गंगा विलास क्रूज़.

विनय कुमार सिंह

  • गाजीपुर ,
  • 10 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 9:45 AM IST

कोलकाता से वाराणसी के लिए गंगा जलमार्ग से चलने वाला गंगा विलास क्रूज (Ganga Vilas Cruise) विदेशी सैलानियों को लेकर सोमवार शाम 7 जनवरी को गाजीपुर पहुंचा था. क्रूज में सवार सभी सैलानियों का स्वागत किया गया. इस पानी पर तैरते किसी लग्जरी होटलनुमा 'क्रूज' सवार सैलानियों ने गाजीपुर में ही रात्रि विश्राम किया. इसके बाद सैलानी जिला मुख्यालय में लार्ड कॉर्नवालिस मकबरे का दीदार करने के बाद वाराणसी के लिए सड़क मार्ग से रवाना हो गए. 

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लार्ड कार्नवालिस पहुंचते ही सभी विदेशी सैलानियों का भव्य स्वागत किया. वहीं, तयशुदा टाइम टेबल के मुताबिक इस क्रूज के रात तक वाराणसी पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही थी. हालांकि, दोपहर तक क्रूज गाजीपुर के पक्का पुल के गंगा घाट पर खड़ा दिखा. देखें Video:-

यात्रियों के साथ चल रहे टूर गाइड राज सिंह ने बताया, गंगा विलास क्रूज पर कोलकाता से 30 सैलानी सवार हुए थे. जो गंगा किनारे बसे गांवों और शहरों को देखते हुए आ रहे हैं. गंगा में पर्यटन का रोमांचक अनुभव भी यात्री ले रहे हैं और नदी की विपरीत परिस्थितियों के हिसाब से इस क्रूज़ में सारी व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं. खास बात यह है कि गंगा विलास क्रूज भारत में ही बना है, और इसके सारे क्रू मेंबर देश के विभिन्न प्रान्तों से हैं. 

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वहीं, एसपी सिटी गोपी नाथ सोनी ने बताया कि सोमवार शाम को गंगा विलास क्रूज सैलानियों के साथ पहुंचा था. सभी सैलानी लार्ड कॉर्नवालिस मकबरे पहुंचे, जहां उनका स्वागत किया गया और यहां से सभी सैलानी सड़क मार्ग से वाराणसी रवाना हो गए और फिलहाल क्रूज़ गाज़ीपुर में ही खड़ा है, और ये माना जा रहा है कि ड्रेजिंग मशीन से कई जगह गंगा में सिल्ट हटाते हुए इस क्रूज़ को रास्ता दिया जाएगा. यहां बता दें कि गंगा में जहाजों के आवागमन के मद्देनजर जमे गाद को निकालने के लिए ड्रेजिंग मशीन का इस्तेमाल किया जाता है. 

 

 

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