महाराष्ट्र: मराठी के नाम पर राज ठाकरे पर नफरत फैलाने का आरोप, हाईकोर्ट के तीन वकीलों ने NSA लगाने की मांग की

राज ठाकरे के भाषण को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट के तीन वकीलों ने महाराष्ट्र के डीजीपी को शिकायत देकर FIR दर्ज करने की मांग की है. आरोप है कि उनके बयान ने गैर-मराठी लोगों के खिलाफ हिंसा और नफरत का माहौल बनाया. शिकायत में भाषाई आधार पर हमलों को संविधान का उल्लंघन बताया गया है और NSA के तहत कार्रवाई की मांग की गई है.

Advertisement
MNS चीफ राज ठाकरे के खिलाफ वकीलों ने NSA लगाने की मांग की है. (File Photo: ITG) MNS चीफ राज ठाकरे के खिलाफ वकीलों ने NSA लगाने की मांग की है. (File Photo: ITG)

विद्या

  • मुंबई,
  • 14 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 1:49 PM IST

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे के हालिया भाषणों पर विवाद गहराता जा रहा है. बॉम्बे हाई कोर्ट के तीन वरिष्ठ वकीलों ने महाराष्ट्र के DGP को एक चिट्ठी लिखकर शिकायत की है और राज ठाकरे के खिलाफ FIR दर्ज करने और उनके कथित भड़काऊ भाषण की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है, और उनके 'भड़काऊ' बयानों के लिए उनपर एनएसए लगाने की मांग की गई है.

Advertisement

वकीलों का कहना है कि मराठी महाराष्ट्र की प्रादेशिक भाषा है और सभी भारतीय नागरिकों का यह कर्तव्य है कि वे मराठी भाषा का सम्मान करें, लेकिन बीते कुछ दिनों में एमएनएस कार्यकर्ताओं द्वारा अन्य राज्यों के नागरिकों पर भाषा को लेकर की गई मारपीट, अपमान और हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं, जो गंभीर और असंवैधानिक स्थिति पैदा करती हैं.

यह भी पढ़ें: 'उद्धव-राज ठाकरे की एकता से महाराष्ट्र को मिलेगी नई दिशा', संजय राउत बोले- बीजेपी का मराठी अस्मिता से लेना-देना नहीं

राज ठाकरे के बयानों को बताया भड़काऊ

शिकायत में कहा गया है कि, 5 जुलाई को मुंबई के वर्ली में एक कार्यक्रम के दौरान राज ठाकरे ने कथित तौर पर कहा कि "जो भी हमसे गलत भाषा में बात करेगा उसे एक मिनट में चुप करा देंगे." साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि "ऐसी घटनाओं को वीडियो कार्ड से न शूट किया जाए." वकीलों का आरोप है कि यह बयान कानून-व्यवस्था के नजरिए से खतरनाक है और संविधान के कई अनुच्छेदों का उल्लंघन करता है.

Advertisement

राज ठाकरे के बयानों के बाद तनाव का माहौल!

शिकायतकर्ताओं के मुताबिक, राज ठाकरे के भाषण के बाद एमएनएस कार्यकर्ताओं ने आक्रामक रवैया अपनाते हुए अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं पर हमले किए और उनके कार्यालयों में तोड़फोड़ की. विभिन्न जगहों पर इन घटनाओं को लेकर एफआईआर भी दर्ज की गई हैं.

वकीलों ने आरोप लगाया है कि "मराठी भाषा" के नाम पर हो रहे ये हमले राजनीतिक नफरत को बढ़ावा दे रहे हैं. यह बात स्पष्ट है कि राज्य में भाषाई आधार पर हिंसा फैलाकर सांप्रदायिक और क्षेत्रीय विभाजन किया जा रहा है, जो समाज के ताने-बाने के लिए खतरा है.

महिलाओं और बुजुर्गों पर भी हमले के आरोप

शिकायत में यह भी बताया गया है कि एमएनएस कार्यकर्ताओं ने कई घटनाओं में महिलाओं और बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार किया, उन्हें धमकाया और पीटा. यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि नैतिक और सामाजिक मूल्यों का भी हनन है.

वकीलों ने राज ठाकरे के बयानों को आईपीसी के अनुच्छेद 14 - कानून के समक्ष समानता, अनुच्छेद 19(1)(a) - विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अनुच्छेद 19(1)(d) और (e) - भारत में कहीं भी आने-जाने और बसने की स्वतंत्रता, अनुच्छेद 21 - जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार, अनुच्छेद 29 - अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा जैसे अनुच्छेदों का उल्लंघन बताया है.

Advertisement

राज्य और देश की सुरक्षा को खतरा बताया

वकीलों ने दावा किया है कि इस तरह के भाषण केवल महाराष्ट्र में ही नहीं, बल्कि देशभर में नफरत का माहौल बना रहे हैं. इससे सामाजिक एकता, शांति और राष्ट्र की सुरक्षा को खतरा हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर समय रहते इन बयानों और हिंसक घटनाओं पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो आम जनता की मानसिक स्थिति, कारोबार और शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

यह भी पढ़ें: 'हिंदी में बात करेंगे या मराठी...', जब पीएम मोदी ने उज्ज्वल निकम को फोन कर बताई राज्यसभा भेजने की बात

वकीलों ने राज ठाकरे के बयानों को  धारा 123 (45) - जाति, धर्म, भाषा के आधार पर वैमनस्य फैलाने, धारा 124 - देश की एकता पर हमला करने, धारा 232 - आतंक फैलाने, धारा 345(2) - जानबूझकर वैमनस्य फैलाने, धारा 357 - सार्वजनिक दहशत फैलाने और  NSA के तहत कार्रवाई की मांग की है.

राज ठाकरे पर एनएसए लगाने की मांग

वकीलों ने मांग की है कि इस गंभीर मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत राज ठाकरे और उनके कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई की जाए. उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में रहने वाले सभी नागरिकों को संविधान के तहत जीवन, स्वतंत्रता, समानता और धार्मिक अधिकारों की गारंटी दी जानी चाहिए.

Advertisement

वकीलों का कहना है कि सरकार की यह पहली जिम्मेदारी है कि वह राज्य में अराजकता और नफरत फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाकर कानून-व्यवस्था बनाए रखे और यह सुनिश्चित करे कि किसी भी हालात में मराठी भाषी या मुस्लिम समुदाय को जाति, धर्म या भाषा के आधार पर नुकसान न हो.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement