शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने रविवार को अपने साप्ताहिक कॉलम 'रोकठोक' में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे से एकजुट होने की अपील की. उन्होंने दावा किया कि अगर ये दोनों ठाकरे भाई साथ आते हैं, तो यह महाराष्ट्र को एक 'नई दिशा' देगा.
संजय राउत ने दावा किया कि बीजेपी का महाराष्ट्र की एकता और मराठी अस्मिता से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की नीति पहले मुंबई को लूटने, फिर मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश बनाने, अलग विदर्भ का खेल खेलने और अंत में महाराष्ट्र की पहचान को खत्म करने की है. राउत ने कहा कि लोग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को नहीं भूले हैं, जब उन्होंने नागपुर में आंदोलन के दौरान 'विदर्भ ही मेरा एकमात्र राज्य है' वाले पोस्टर लेकर प्रदर्शन किया था.
उद्धव गुट के नेता ने चेतावनी दी कि अगर ठाकरे बंधुओं की एकता और नेतृत्व नहीं बचा, तो एक दिन मुंबई अडानी-लोढ़ा जैसे बड़े पूंजीपतियों की झोली में चली जाएगी और शायद वह महाराष्ट्र का हिस्सा भी नहीं रहेगी.
ठाकरे ब्रदर्स की एकजुटता से बढ़ा भरोसा
5 जुलाई को उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे करीब दो दशक बाद पहली बार एक साथ मंच पर आए, जब राज्य सरकार ने पहली कक्षा से हिंदी लागू करने वाले दो सरकारी आदेश वापस लिए. संजय राउत ने कहा कि इस मंच साझा करने से मराठी मानुष में भरोसा जगा है. हालांकि उन्होंने साफ किया कि अब तक राजनीतिक गठबंधन की औपचारिक घोषणा नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि केवल एकता नहीं, गठबंधन ज़रूरी है, तभी महाराष्ट्र को नई दिशा मिल सकती है.
बीजेपी पर सीधा हमला
संजय राउत ने कहा कि ठाकरे भाइयों की एकता से दिल्ली और महाराष्ट्र की सत्ता में बैठे लोग घबरा गए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री फडणवीस जानबूझकर राज ठाकरे से मुलाकात कर राजनीतिक माहौल गर्मा रहे हैं. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि राज ठाकरे इस बारे में खुद स्पष्टीकरण देंगे.
चुनाव से पहले संकेत
संजय राउत ने संकेत दिया कि मुंबई और ठाणे में होने वाले निकाय चुनावों के पहले मराठी मतदाता को एकजुट करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि मराठी मानुष को सबसे पहले मुंबई और ठाणे के लिए लड़ाई लड़नी होगी. उन्होंने अंत में कहा कि अगर किसी को लगता है कि ठाकरे किसी भी दबाव के आगे झुक जाएंगे, तो वे मूर्ख हैं.
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