'नथुनियां के गुना टूटल ये राजा...', टाल के गैंगस्टर दुलारचंद यादव की कहानी जो अनंत सिंह के लिए चुनौती बन गया था

मोकामा का टाल क्षेत्र फिर से एक राजनीतिक हत्या का गवाह बना है. गंगा के किनारे की ये जमीन खेती-बाड़ी के लिए जितनी उपजाऊ है उतनी ही सघन और टफ यहां की सियासत है. दुलारचंद की हत्या के बाद ये पूरा इलाका एक बार फिर से सहमने लगा है. यहां दुलारचंद यादव और अनंत सिंह के बीच अदावत की कहानी पुरानी है.

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गुरुवार शाम को मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या एक राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान हुई (Photo: ITG) गुरुवार शाम को मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या एक राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान हुई (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 31 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 12:44 PM IST

नथुनियां के गुना टूटल ए राजा
जवनियां में गड़िया छूटल ए राजा
बड़ी धूमधाम से शादी मोर भइले
शादी होके पिया बंबई चल गइले 
हमरो करमवा फूटल ए राजा...

पहलवानी का शौक रखने वाले दुलारचंद यादव स्थानीय लोकगीतों में जब गला आजमाते तो माहौल बना देते. उन्होंने ये गीत चुनावी अभियान के दौरान एक इंटरव्यू में गाया था. गुरुवार को माकामा में चुनाव प्रचार के दौरान उनका कत्ल कर दिया गया. अनंत सिंह से उनकी अदावत बहुत पुरानी थी. अनंत सिंह को वो छोटे सरकार नहीं मानते थे. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि अब मोकामा में बड़ा सरकार आ गया है और उसका नाम है पीयूष प्रियदर्शी. 

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दुलारचंद यादव खुद चुनाव नहीं लड़ रहे थे बल्कि वे मोकामा सीट पर अनंत सिंह के खिलाफ जन सुराज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे पीयूष प्रियदर्शी का प्रचार कर रहे थे. 

मोकामा की धरती पर बाहुबल का जोर वर्षों से चुनाव को रक्तरंजित करता आया है. गंगा की लहरों के किनारे मौजूद इस जमीन पर फसल और सियासत दोनों ही ऊर्वर है. 

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इस बार मोकामा सीट बिहार की सियासत का पोस्टरब्वॉय बना हुआ है. इस सीट पर एक साथ कई वीवीआईपी उतरे हैं. इस बार जेडीयू से इस सीट पर पूर्व विधायक, बाहुबली नेता और बेलगाम जुबान चलाने वाले अनंत सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. इस इलाके में उनकी मजबूत पकड़ है लेकिन उन पर कई आपराधिक केस दर्ज हैं. इससे पहले अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी ने इस सीट से उप चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थीं. इस बार अनंत सिंह खुद मैदान में हैं.

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इस सीट से आरजेडी की ओर से बिहार के दूसरे दबंग नेता सूरजभान की पत्नी वीणा देवी चुनाव लड़ रही हैं. आरजेडी ने भूमिहार वोट साधने के लिए वीणा देवी को टिकट दिया है.

इस सीट से तीसरे उम्मीदवार हैं जन सुराज के पीयूष प्रयदर्शी. पीयूष प्रयदर्शी उर्फ लल्लु मुखिया धानुक जाति से हैं और अति पिछड़ा समाज से आते हैं.

दुलारचंद यादव की हत्या की तस्वीर (Photo: ITG)

मोकामा में पैठ रखने वाले दुलारचंद पीयूष प्रियदर्शी का ही प्रचार कर रहे थे तभी उनपर हमला हुआ और हगामे के बीच उन्हें गोली मार दी गई. इस मामले में पुलिस ने दुलारचंद के परिजनों के बयान पर जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह, कर्मवीर सिंह, कंजय सिंह और छोटन सिंह पर हत्या सहित कई धाराओं में केस दर्ज कर लिया है. 

इसी के साथ ही मोकामा में राजनीतिक हत्याओं की लिस्ट में एक और केस जुड़ गया है.

दुलारचंद यादव की कहानी

दुलारचंद यादव गंगा के टाल क्षेत्र में बसी बस्तियों का एक जाना-माना नाम थे. यादव समुदाय में उनकी अच्छी साथ थी. दुलारचंद यादव की हत्या तारतर गांव में हुई. उनका जन्मइसी गांव में ही हुआ था और वह वहीं के निवासी थे लेकिन अभी वह बाढ़ में रहा करते थे.

लालू यादव के साथ सियासी रिश्ता जोड़ने में यादव कनेक्शन काम आया. और लालू से उनकी अच्छी जमी. रौबदार मूंछें रखने वाले दुलारचंद यादव आरजेडी के गिने-चुने नेताओं में से थे जो क्षेत्रीय राजनीति की पेचिदगियों को समझते थे. इलाके के सामाजिक-जातीय-राजनीतिक समीकरणों को समझने के लिए उनकी सलाह हमेशा से अहम रहती थी. 

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मोकामा के एक स्थानीय पत्रकार कहते हैं, "दुलारचंद यादव कभी लालू तो कभी नीतीश के करीबी रहे. 1990 के दशक में इनका बाढ़ और मोकामा टाल में खासा प्रभाव था और जनता इन्हें बाहुबली के तौर पर जानती थी." पटना जिले के घेाषबरी और बाढ़ थानों में उनके ऊपर कई मामले दर्ज हैं.

हाल ही में चुनावी मिजाज को समझते हुए दुलारचंद यादव अनंत सिंह और सूरजभान के खिलाफ तीखे बयान दे रहे थे. एबीपी को दिए एक इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि अनंत सिंह और सूरजभान में कौन बड़ा बाहुबली है तो उन्होंने कहा था, "दोनों जिस दिन थे, उस दिन थे, अभी तो देख रहे हैं कि एगो के... चश्मा पहनना पड़ता है, एगो के पैर है घायल. बैंडेज नहीं कराएगा तो नहीं चल पाएगा. जनता को चूसने की वजह से ऐसा हुआ है, दुलारचंद यादव ने ऐसा नहीं किया है." इस दौरान दुलारचंद यादव ने पीयूष प्रियदर्शी को अपना शिष्य बनाया था. 

1990 में अनंत सिंह के भाई के खिलाफ भी लड़ा था चुनाव

प्रभात खबर की रिपोर्ट के अनुसार दुलारचंद यादव पर हत्या, रंगदारी जैसे 11 केस दर्ज थे. 1990 में अदालत से जमानत मिलने के बाद वे राजनीतिक जीवन में सक्रिय थे. 1990 में दुलारचंद यादव ने अनंत सिंह के भाई के खिलाफ चुनाव लड़ा था लेकिन वे मामूली अंतर से हार गए थे.  

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दुलारचंद यादव का परिवार अच्छी खासी किसानी से जुड़ा हुआ था. पिता इलाके में समाजसेवी माने जाते थे. दुलारचंद यादव ने शुरुआत में कोयले की सप्लाई की और ठेकेदारी का काम किया. यहां से कमाई के बाद वे राजनीति में आए. 

ट्रैक्टर पर आई डेडबॉडी

अभी मोकामा का तारतर गांव पुलिस छावनी में बदल गया है. प्रशासन ने काफी मान-मनोव्वल की तब दुलारचंद यादव का शव स्थानीय लोगों ने पोस्टमार्टम के लिए ले जाने दिया. यहां से पुलिस की सख्त सुरक्षा में एक ट्रैक्टर पर दुलारचंद यादव के शव को रखकर पोस्टमार्टम के लिए बाढ़ ले जाया गया. 
 

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