पल भर में पाकिस्तान में तबाही... चीन-US भी पीछे... DRDO ने जिस हाइपरसोनिक मिसाइल के इंजन का किया परीक्षण वो बेमिसाल

DRDO ने हाल ही स्क्रैमजेट इंजन का परीक्षण किया था. ये इंजन भारत की नई सीक्रेट हाइपरसोनिक मिसाइल में लगा है. अगर ये मिसाइल जम्मू से दागी तो 64 सेकेंड में इस्लामाबाद तबाह हो सकता है. क्योंकि भारत की इस मिसाइल की स्पीड 11 हजार km/hr से थोड़ी ज्यादा है.

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ये है भारत की नई हाइपरसोनिक मिसाइल, जिसमें स्क्रैमजेट इंजन लगेगा. (फाइल फोटोः PTI) ये है भारत की नई हाइपरसोनिक मिसाइल, जिसमें स्क्रैमजेट इंजन लगेगा. (फाइल फोटोः PTI)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 28 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 11:36 AM IST

DRDO ने 26 अप्रैल 2025 को में स्क्रैम जेट की सफल टेस्टिंग की. इसे हाइपरसोनिक मिसाइल में लगाया जाएगा. इस टेस्टिंग के साथ ही भारत अब उन देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जिसके पास हाइपरसोनिक हथियार है. ये भी हो सकता है कि ये इंजन हाइपरसोनिक मिसाइल की इतनी स्पीड दे कि अमेरिका-चीन भी पिछड़ जाएं. 

इस मामले में फिलहाल रूस सबसे आगे है. लेकिन अब भारत भी रेस में आ पहुंचा है. पहले यह प्लान ब्रह्मोस-2 मिसाइल को लेकर थी. लेकिन रूस-यूक्रेन जंग की वजह से हो रही देरी की वजह से भारत ने अपनी ही तकनीक, हथियार और मिसाइल बना लिया. 

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इस इंजन से बनी मिसाइल कुछ ही सेकेंड में इस्लामाबाद पहुंच जाएगी. मिसाइल तो पहले ही बन चुकी है. नवंबर 2024 में परीक्षण भी हो चुका है. नाम है LRAShM यानी long range hypersonic missile. लेकिन नया इंजन इसे और स्पीड देगा. पहले इंजन से ये मिसाइल 11,113.2 km/hr की स्पीड यानी एक सेकेंड में 3.087 किलोमीटर जा सकती है. 

इस नई मिसाइल की रेंज है 1500 km से थोड़ी ज्यादा. यानी इतनी दूरी तय करने में इस मिसाइल को करीब 8 मिनट लगेंगे. दिल्ली से इस्लामाबाद 690 km, कराची 1100 km और कोलकाता से ढाका 250 km और चिट्टेगॉन्ग 370 km. यानी एक दो मिनट से 6-7 मिनट के अंदर इन देशों में तबाही पक्की. 

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कहां तक रेंज... 

पाकिस्तान सीमा पर रखकर यह मिसाइल दागी जाए तो पूरा पाकिस्तान इसकी रेंज में आएगा. चीन से सटी सीमा पर रखकर दागी जाए तो लगभग 45 फीसदी चीन इसकी रेंज में आएगा. यानी हिमालय की तरफ से. अगर इसे समंदर के किनारे रख कर दागा जाए तो अरब सागर, बंगाल की खाड़ी, हिंद महासागर में दुश्मन देशों के जहाजों को नष्ट कर सकती है. यानी इस एक मिसाइल से रूस और चीन के बाद भारत की धाक एशिया में बढ़ गई है. 

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अलग-अलग रेंज के हथियार लगा सकते हैं...

भारत की LRAShM यानी यह हाइपरसोनिक लॉन्ग रेंज एंटी-शिप मिसाइल कई तरह के हथियारों को ले जाने में सक्षम है. वह भी अलग-अलग रेंज तक. अगर हथियार का वजन कम होगा तो इसकी रेंज 1500 किलोमीटर से ज्यादा हो जाएगी. इस मिसाइल को कई तरह के रेंज सिस्टम से ट्रैक किया जा सकता है. 

भारत के पास हाइपरसोनिक मिसाइल ट्रैक करने का सिस्टम

भारत के पास हाइपरसोनिक मिसाइल को ट्रैक करने का सिस्टम भी मौजूद है. जबकि यह सिस्टम दुनिया के कई ताकतवर देशों के पास मौजूद नहीं है. यह मिसाइल कई तरह के टर्मिनल मैन्यूवर कर सकता है. यानी दुश्मन चाहकर भी इसे टारगेट नहीं कर सकता. यह मिसाइल अपनी गति, दिशा और मार्ग को जरूरत पड़ने पर थोड़ा बदल सकता है. साथ ही इसकी सटीकता बेहद मारक है. 

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भारत को इससे क्या-क्या फायदा? 

- भारतीय समुद्री क्षेत्र (IOR) से दुनिया का 80 फीसदी तेल व्यवसाय होता है. यहीं से दुनिया भर के जहाज गुजरते हैं. ऐसे में इन जहाजों की सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना इस मिसाइल का इस्तेमाल कर सकती है. 
- चीन या पाकिस्तान अगर भारतीय समुद्री क्षेत्र में किसी तरह की घुसपैठ करने का प्रयास करते हैं, तो उनके जासूसी जहाज या युद्धपोत को यह मिसाइल चुटकियों में समंदर में ही दफना सकती है. 
- दुनिया में इस समय जितने भी एयर डिफेंस सिस्टम है, वो इस मिसाइल को आसानी से ट्रैक नहीं कर सकते. क्योंकि इसकी स्पीड बहुत ज्यादा है. यानी यह दुश्मन टारगेट पर बर्बादी बरसा कर ही रहेगी. 
- क्षेत्रीय समुद्री इलाकों में सुरक्षा के लिए इसकी तैनाती की जा सकती है. जैसे मलाका की खाड़ी से लेकर पारस की खाड़ी तक की सुरक्षा इससे कर सकते हैं. बस इसे समंदर के किनारे तैनात करने की जरूरत है. 

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हाइपरसोनिक मिसाइल क्या होते है? 

हाइपरसोनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) वो हथियार होते हैं, जो ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा गति में चले. यानी कम से कम मैक 5 (Mach 5). साधारण भाषा में इन मिसाइलों की गति 6100 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है. इनकी गति और दिशा में बदलाव करने की क्षमता इतनी ज्यादा सटीक और ताकतवर होती हैं, कि इन्हें ट्रैक करना और मार गिराना अंसभव होता है. 

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क्या सभी मिसाइल हाइपरसोनिक हो सकते हैं? 

आमतौर पर क्रूज मिसाइल या बैलिस्टिक मिसाइलों की गति काफी ज्यादा तेज होती है. लेकिन इनकी तय दिशा और यात्रा मार्ग की वजह से इन्हें ट्रैक किया जा सकता है. इन्हें मारकर गिराया जा सकता है. अगर इनकी गति ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा यानी 6100 किलोमीटर प्रतिघंटा कर दी जाए. साथ ही स्वतः दिशा बदलने लायक यंत्र लगा दिए जाएं तो यह हाइपरसोनिक हथियारों में बदल जाते हैं. इन्हें ट्रैक करना और मार गिराना लगभग असंभव हो जाता है. 

कितने प्रकार के होते हैं हाइपरसोनिक हथियार? 

हाइपरसोनिक हथियार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं. पहला- ग्लाइड व्हीकल्स यानी हवा में तैरने वाले. दूसरा- क्रूज मिसाइल. अभी दुनिया का फोकस ग्लाइड व्हीकल्स पर है. जिसके पीछे छोटी मिसाइल लगाई जाती है. फिर उसे मिसाइल लॉन्चर से छोड़ा जाता है. एक निश्चित दूरी तय करने के बाद मिसाइल अलग हो जाती है. उसके बाद ग्लाइड व्हीकल्स आसानी से उड़ते हुए टारगेट पर हमला करता है. इन हथियारों में आमतौर पर स्क्रैमजेट इंजन लगा होता है, जो हवा में मौजूद ऑक्सीजन का उपयोग करके तेजी से उड़ता है. इससे उसे एक तय गति और ऊंचाई मिलती है. 

किन देशों के पास हैं हाइपरसोनिक मिसाइल? 

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हाइपरसोनिक मिसाइल अमेरिका, रूस और चीन के पास हैं. कहते हैं कि उत्तर कोरिया भी ऐसी मिसाइल विकसित कर चुका है. जो धरती से अंतरिक्ष या धरती से धरती के दूसरे हिस्से में सटीकता से मार कर सकते हैं. वैसे भारत भी ऐसी मिसाइल को विकसित करने में जुटा हुआ है.  

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