भारत की वायुसेना (IAF) आज दुनिया की सबसे चुनौतीपूर्ण जगहों पर काम करती है – हिमालय की ऊंची चोटियों से लेकर रेगिस्तान और समुद्री इलाकों तक. लेकिन पुराने जेट्स और कम संख्या की वजह से इसकी ताकत कम हो रही है. ऐसे में 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट Su-57 एक बड़ा मौका बन सकता है. Photo: Aero India 2025
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान Su-57 डील पर चर्चा होगी. भारत की वायुसेना को 42 स्क्वाड्रन (हर स्क्वाड्रन में 18 जेट्स) की जरूरत है, लेकिन अभी सिर्फ 31 स्क्वाड्रन ही काम कर रही हैं. यानी करीब 200 जेट्स की कमी है. Photo: AFP
पुराने मिग-21 जैसे जेट्स रिटायर हो रहे हैं, जबकि चीन ने 10 सालों में 435 नए फाइटर जेट्स जोड़े हैं. पाकिस्तान भी चीन के J-35A जैसे स्टील्थ जेट्स खरीदने की योजना बना रहा है. चीन के पास J-20 जैसे 1000 से ज्यादा स्टील्थ जेट्स आने वाले हैं. भारत अगर पीछे रहा तो हवाई युद्ध में कमजोर पड़ जाएगा. Photo: Reuters
सीमा पर तनाव बढ़ रहा है. स्टील्थ जेट्स के बिना भारत का एयर डिफेंस कमजोर हो जाता है. अमेरिका के पास F-35, रूस के पास Su-57 और चीन के पास J-20 हैं. भारत को भी पांचवीं पीढ़ी का जेट चाहिए ताकि हवाई वर्चस्व बना रहे. Photo: Reuters
वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने कहा है कि अगले 20 सालों में हर साल 35-40 नए जेट्स चाहिए. Su-57 इस कमी को जल्दी भर सकता है. Su-57 (नाटो नाम: फेलॉन) रूस का सबसे उन्नत फाइटर जेट है. यह पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ जेट है, जो रडार से बच जाता है. भारत के लिए इसका एक्सपोर्ट वर्जन Su-57E है. Photo: AFP
रडार से लगभग अदृश्य. दुश्मन के एयर डिफेंस को चकमा देकर हमला कर सकता है. आफ्टरबर्नर के बिना सुपरसोनिक स्पीड पर उड़ सकता है. इससे ईंधन बचता है और रेंज बढ़ती है (करीब 3500 किमी). किंजल मिसाइल ले जा सकता है, जो आवाज से 10 गुना तेज उड़ती है. Photo: Reuters
हिमालय जैसे इलाकों के लिए परफेक्ट. 20,000 मीटर ऊंचाई तक जा सकता है. पायलट को 360 डिग्री व्यू मिलता है. हेलमेट डिस्प्ले से कॉकपिट छोटा और स्मार्ट. बहुत तेज मोड़ ले सकता है, जिससे डॉगफाइट में जीत आसान. Su-57 का मूल्य F-35 से कम है. रखरखाव भी सस्ता. Photo: Reuters
भारत के पायलटों को Su-30MKI का अनुभव है, इसलिए Su-57 उड़ाना आसान होगा. 2010 में भारत और रूस ने FGFA प्रोजेक्ट शुरू किया था, लेकिन 2018 में भारत बाहर हो गया क्योंकि स्टील्थ और टेक्नोलॉजी शेयरिंग पर असहमति थी. फरवरी में एरो इंडिया शो में रूस ने Su-57E का ऑफर दिया. Photo: Reuters
HAL के नासिक प्लांट में 100% टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (TOT) के साथ बनाया जा सकता है. Su-57, S-400 के अतिरिक्त रेजिमेंट्स और S-500 एयर डिफेंस पर बात होगी. रोस्टेक के सीईओ सर्गेई चेमेज़ोव ने कहा कि भारत को जो चाहिए, हम देंगे. 40-60 जेट्स की खरीद की योजना है. Photo: Reuters
पहले रूस से डिलीवरी, फिर भारत में प्रोडक्शन होगा. Su-30MKI को भी Su-57 टेक से अपग्रेड करने का प्लान है. AL-51 इंजन (जो 2025 के अंत तक तैयार) को शामिल किया जा सकता है. रूस सोर्स कोड देगा, जो फ्रांस के राफेल डील में नहीं मिला. इससे भारत जेट को अपनी जरूरतों के हिसाब से बदल सकेगा. Photo: Reuters
AMCA (भारत का अपना स्टील्थ जेट) 2035 तक तैयार नहीं होगा. Su-57 अंतरिम समाधान देगा. HAL में प्रोडक्शन से नौकरियां और टेक्नोलॉजी बढ़ेगी. AMCA प्रोजेक्ट को मदद मिलेगी. चीन और पाकिस्तान के स्टील्थ जेट्स का जवाब. हाइपरसोनिक मिसाइल्स से स्ट्राइक पावर बढ़ेगी. अमेरिकी F-35 पर निर्भर न रहना. Photo: Reuters
यूक्रेन युद्ध से रूस पर पश्चिमी प्रतिबंध हैं. Su-30MKI स्पेयर्स पहले प्रभावित हुए. पहले FGFA में Su-57 की स्टील्थ कम बताई गई. अब अपग्रेड हो रहा है, लेकिन टेस्टिंग जरूरी है. F-35 का ऑफर है, लेकिन महंगा (6750 करोड़ प्रति जेट) और TOT कम. CAATSA सैंक्शंस का खतरा. Photo: Aero India 2025
रूस अभी 12 Su-57 सालाना बनाता है, 2028 तक 20 बनाएगा. डिलीवरी में समय लग सकता है. कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि AMCA और तेजस पर ध्यान दें, विदेशी जेट न खरीदें. पुतिन-मोदी मीटिंग में अगर डील फाइनल हुई तो 2026-27 तक पहला बैच आ सकता है. Photo: Aero India 2025