US China Deal Impact on India: अमेरिका-चीन में दोस्ती और डील, भारत के लिए गुड न्यूज नहीं... ये 4 चुनौतियां

अमेरिका और चीन में डील हो चुकी है. अमेरिका ने चीन पर टैरिफ कम करके 47 फीसदी कर दिया है, जो भारत के मुकाबले कम है. वहीं चीन ने रेयर अर्थ मिनरल्‍स की सप्‍लाई शुरू करने का भरोसा दिया है.

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चीन अमेरिका के बीच डील से भारत को नुकसान या फायदा (Photo: AI) चीन अमेरिका के बीच डील से भारत को नुकसान या फायदा (Photo: AI)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्‍ली,
  • 30 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 1:24 PM IST

डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और शी जिनपिंग (Xi Jinping) की साउथ कोरिया में मुलाकात के बाद अमेरिका और चीन में व्‍यापार समझौता हो गया है. ट्रंप ने तत्‍काल प्रभाव से चीन पर 10% टैरिफ घटा दिया है और अब टैरिफ 57 फीसदी से कम होकर 47 फीसदी हो चुका है, जो भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ से कम है.

टैरिफ कम होने के बदले में चीन ने अमेरिका से बड़ी मात्रा में सोयाबीन खरीदने का वादा किया है और रेयर अर्थ मिनरल्‍स की सप्‍लाई भी शुरू करने का भरोसा दिलाया है. इसके अलावा, अमेरिका-चीन में कुछ अन्‍य चीजों को लेकर भी डील हुई है, लेकिन अधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है. अब सवाल उठता है कि US-China Trade Deal से भारत के लिए क्‍या टेंशन होगा या फिर राहत मिलेगी? 

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US-China ट्रेड डील होने और भारत से व्‍यापार पर अभी सहमति नहीं बनने के कारण, भारत के लिए वैश्विक स्‍तर पर कई सारी चुनौतियां दिखाई देती हैं, जो भारतीय इकोनॉमी के लिए परेशानी बढ़ा सकती हैं. आइए समझते हैं कि वे कौन से संकेत हैं, जो भारत के लिए परेशानी बढ़ा सकते हैं.

1. अब भारत से कम चीन पर टैरिफ
अमेरिका को निर्याता में चीन सबसे आगे है, जिसके बाद भारत और अन्‍य देश आते हैं. अमेरिका और चीन में ट्रेड वॉर छिड़ने से अमेरिकी कंपनियों ने चीन के बजाय भारत और वियतनाम जैसे देशों से आयात करना शुरू कर दिया था. भारत को इसका सबसे ज्‍यादा लाभ मिल रहा था. लेकिन अब चीन पर भारत से कम टैरिफ लगने से फिर से अमेरिकी कंपनियां चीन की तरफ रुख कर सकती हैं. साल 2024 में चीन ने संयुक्त राज्य अमेरिका को करीब 438.7 अरब डॉलर का माल सप्‍लाई किया था. वहीं भारत ने अमेरिका को करीब 79.44 अरब डॉलर का सामान सप्‍लाई किया. 

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2. भारत के कृषि पर असर
भारत चीन को मुंगफली, मिर्च, अनाज और सोयाबीन से लेकर तमाम चीजें सप्‍लाई करता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का चीन में एग्रीकल्‍चर प्रोडक्‍ट्स की सप्‍लाई करीब 14.9 अरब डॉलर थी. लेकिन अब चीन ने अमेरिका को बड़ी मात्रा में सोयाबीन खरीदन का भरोसा दिया है. ऐसे में हो सकता है कि चीन अमेरिका से कुछ और एग्री प्रोडक्‍ट्स मंगाए, जिस कारण भारत से एग्रीकल्‍चर प्रोडक्‍ट्स की सप्‍लाई कम हो सकती है. 

3. मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर पर असर
डील होने से अमेरिक और चीन के बीच रिश्‍ते सुधर रहा है. ऐसे में चीन से बाहर जाने वाली अमेरिकी कंपनियां अपना प्‍लान चेंज कर सकती है, जो पिछले कई सालों से चल रहा है. चीन के बाद अमेरिकी कंपनियों की पहली पसंद भारत है, जिस कारण भारत के मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर को नुकसान हो सकता है. इसके अलावा, भारत के इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स, टेक्‍सटाइल और ऑटो पार्र्ट्स सेक्‍टर पर भी दबाव हो सकता है. 

4. भारतीय शेयर बाजार को भी नुकसान
अमेरिका और चीन में डील होने से विदेशी निवेशक चीन और अमेरिकी बाजार में निवेश की तैयारी कर सकते हैं. वहीं भारतीय शेयर बाजार में अपना एक्‍सपोजर कम कर सकते हैं. जिस कारण इसका असर मार्केट पर पड़ेगा. शायद यही कारण है कि डील होने के बाद आज सेंसेक्‍स करीब 500 अंक और निफ्टी 150 अंक टूट चुका है.  

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भारत के लिए क्‍या पॉजिटिव संकेत? 
दो बड़ी इकोनॉमी वाले देशों के बीच डील होना वैश्विक स्थिरता का संकेत है. इससे निवेशकों में निवेश का माहौल बनेगा. विदेशी निवेशक स्थिर मार्केट में पैसा लगाना पसंद करेंगे. ऐसे में भारतीय मार्केट में विदेशी निवेशकों को निवेश बढ़ सकता है, क्‍योंकि यहां घरेलू खपत की मजबूती है और लिक्विडटी दबाव में भी बनी हुई है. 
 

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