देश के ग्रामीण क्षेत्रों में नए-नए बिजनेस की आपार संभावनाएं हैं. सरकार भी किसानों को आर्थिक रुप से सशक्त बनाने के लिए नए-नए व्यवसायों को बढ़ावा दे रही है. इस बीच गांवों में वर्मीकंपोस्ट का बिजनेस गांवों में फलने-फूलने लगा है. पशुपालक और किसान वर्मीकंपोस्ट बना कर जरूरतमंद किसानों को अच्छे दामों पर बेचकर बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं.
कैसे केंचुआ खाद बनाकर किसान कमा सकता है लाखों का मुनाफा
बता दें कि केंचुआ खाद यानी वर्मीकंपोस्ट बनाने के लिए अंधेरे वाला स्थान चुनना चाहिए. यह जगह गीली और नरम होनी चाहिए. ध्यान रखें कि जहां केंचुओं का उत्पादन किया जा रहा है उस स्थान पर सूर्य की किरणें सीधी नहीं पड़ें. सबसे पहले मिट्टी की मोटी परत के ऊपर पानी छिड़ककर मिट्टी को 50 से 60 प्रतिशत नम कर लें. फिर 1000 केंचुआ प्रति वर्ग मीटर की दर से मिट्टी में छोड़ दें. इसके बाद मिट्टी की मोटी परत के ऊपर गोबर या उपले थोड़ी-थोड़ी दूर 8 से 10 जगह पर डाल दें तथा फिर उसके ऊपर तीन से चार इंच की सूखे पत्ते, घास या पुआल की मोटी तह बिछा दें.
तीस दिन के बाद ढकने वाले टाट के बोरों, ताड़ या नारियल के पत्तों को हटाकर इसमें वानस्पतिक कचरे को या सूखे वानस्पतिक पदार्थों के साथ 60:40 के अनुपात में हरा वानस्पतिक पदार्थ मिलाकर दो से तीन इंच मोटी परत फैलाई जाती है . इसके ऊपर 8 से 10 गोबर के छोटे-छोटे ढेर रख दिये जाते हैं. गड्ढा भर जाने के 45 दिन बाद केंचुआ खाद तैयार हो जाती है. अब इस खाद को आप किसानों को बेच कर बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार रासायनिक खाद के मुकाबले वर्मीकंपोस्ट का उपयोग करने से खेती में लागत भी कम आती है और उपज भी बढ़ती है.
राजस्थान के जयपुर के श्रवण यादव वर्मी कंपोस्ट के बिजनेस कमा रहे बंपर मुनाफा
वर्मीकंपोस्ट से बंपर कमाई की जा सकती है. राजस्थान के जयपुर के रहने वाले श्रवण यादव ने ऐसा कर दिखाया है. वह एक हजार से ज्यादा बेड के माध्यम से हर महीने 400 कुंतल वर्मीकंपोस्ट का उत्पादन करते हैं. कुल मिलाकर वह 40 हजार किलो वर्मीकंपोस्ट का महीने भर में उत्पादन करते हैं. एक किलो वर्मी कंपोस्ट को वह 10 रुपये में बेचते हैं. इसमें तकरीबन 2500 केंचुए होते हैं. 40 हजार किलो वर्मीकंपोस्ट बिकने पर वह महीने भर में दो लाख रुपये तक का शुद्ध मुनाफा कमा सकते हैं.
राज्य सरकारें भी किसानों से खरीद रही हैं गोबर
बता दें कि कई राज्य सरकारों ने भी किसानों से गोबर खरीदना शुरू कर दिया है. इसका उपयोग कर वह वर्मी कंपोस्ट से लेकर ईंधन बनाते हैं. इसके एवज में वह किसानों को ठीक-ठाक पैसे भी देते हैं. इन सबसे इतर सरकार किसानों से गोमूत्र भी खरीद रही है. इसका उपयोग वह फसलों के लिए जैविक कीटनाशक बनाने में करते हैं.