Lal Kandhari Cow: देश के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-किसानी के बाद पशुपालन ही आय का सबसे बड़ा स्रोत है. उसमें से भी किसानों के बीच गाय पालन सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. गांव वाले क्षेत्रों पर नजर डालेंगे तो देखेंगे कि कई ग्रामीण दूध के व्यवसाय से बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं.
घर लाएं लाल कंधारी गाय
लाल कंधारी गाय महाराष्ट्र के कंधार तालुका में पाई जाती है. लेकिन अब इनकी संख्या अन्य राज्यों में भी बढ़ गई हैं. इस गाय का पालन करना किसानों के लिए मुनाफे का सौदा माना जाता है. मानते हैं कि गाय की इस नस्ल को चौथी सदी में कांधार के राजाओं द्वारा विकसित किया गया था. इसे लखाल्बुन्दा भी कहा जाता है.
ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं
इस गाय के पालन में ज्याादा मेहनत की जरूरत नहीं पड़ती है. इसे खिलाने के लिए चारे की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है. इस नस्ल की गाय गहरे भूरे व गहरे लाल रंग की होती हैं.और इनके कान लंबे होते हैं. बता दें कि इस नस्ल की एक गाय 40 से 50 हजार रुपए में बिकती हैं.
जरूरत के अनुसार ही खुराक दें
इस नस्ल की गाय को जरूरत के अनुसार ही खुराक दें. फलीदार चारे को खिलाने से पहले उनमें तूड़ी या अन्य चारा मिला लें ताकी बदहजमी ना हो. इसके अलावा इनके रहने का प्रबंधन सही होना चाहिए. जितना बेहतर प्रबंधन उतना ही बेहतर उत्पादन और मुनाफा हासिल कर पाएंगे.
इतने दिनों तक दे सकती है दूध
यह नस्ल साल भर में 230 से 275 दिनों तक दूध दे सकती है. शुष्क अवधि 130 से 190 दिनों तक दूध दे सकती है. साथ ही रोजाना 1.5 से 4 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है. गाय के पहले ब्यांत की अवधि 30 से 45 महीने की होती है, तो वहीं औसत प्रजनन अंतराल 360 से 700 दिन का होता है.