Fenugreek Farming: देश में किसान अब धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं. पारंपरिक फसलों के साथ-साथ वे कम समय में बढ़िया मुनाफा देने वाली फसलों की भी खेती करने लगे हैं. इस दौरान किसानों ने सीजनल सब्जियों की खेती की तरफ तेजी से रुख किया है. मेथी भी कुछ इसी तरह की फसल है, जो बेहद कम वक्त में किसान को ठीक-ठाक मुनाफा दे जाती है.
मेथी की पत्तियों से लेकर दाने तक की होती है बिक्री
मेथी के बीज यानी दानों से लेकर पत्तियां और साग तक बाजार में हाथों हाथ बिक जाता है. मेथी सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है. अगर आप मेथी की फसल से बढ़िया पैदावार हासिल करना चाहते हैं तो पूसा कसूरी, आरटीएम- 305, राजेंद्र क्रांति एएफजी-2 और हिसार सोनाली जैसी किस्मों को अपने खेतों में उगा सकते हैं.
कैसे करें मेथी की बुवाई?
मेथी के बीजों को बुवाई से पहले 8 से 12 घंटे के लिए पानी में भिगो दें और 4 ग्राम थीरम, 50% कार्बेंडाजिम से रासायनिक उपचार या फिर गौ मूत्र का इस्तेमाल करके जैविक बीज उपचार सकते हैं. बता दें कि बीजोपचार के 8 घंटे बाद ही मेथी के बीजों को खेतों में लगाना चाहिये. खेतों में इसकी बुवाई छिड़काव या ड्रिल विधि से की जाती है. इसके लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए. मेथी की बुवाई के लिए सितंबर माह सबसे उपयुक्त होता है. मैदानी इलाकों में इसकी बुवाई के लिये सितंबर से लेकर मार्च का समय, जबकि पहाड़ी इलाकों में जुलाई से लेकर अगस्त तक का समय सबसे बढ़िया माना जाता है.
सिंचाई की प्रकिया
मेथी के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है. मेथी के बीजो के अंकुरण के लिए खेत में नमी की आवश्यकता होती है. इसलिए खेत में नमी बनाये रखने के लिए समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए .
कब करें कटाई?
मेथी की फसल को तैयार होने के लिए 130 से 140 दिन का समय लग जाता है. जब इसके पौधों पर पत्तियां पीले रंग की दिखाई देने लगें तो तब इनकी कटाई कर लेनी चाहिए. फसल की कटाई के बाद इसके पौधों को धूप में अच्छे से सूखा लेना चाहिए. सूखी हुई फसल से मशीन की सहायता से दानो को निकल लें. एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 12 क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो जाती है.मेथी के दानों का बाज़ारी भाव 5 हज़ार रुपये प्रति क्विंटल थोक के रूप में होता है. ऐसे में एक हेक्टेयर में भी मेथी की फसल लगाकर किसान बढ़िया मुनाफा हासिल कर सकता है.