नदियों का प्रदूषण गंभीर रूख अख्तियार करते जा रहा है. फसलों के साथ-साथ अब पानी में रहने वाले जीवों के लिए भी इन नदियों का पानी खतरा बनते जा रही हैं. बारामती की निरा नदी भी अब इसी राह पर चल पड़ी है. दूषित पानी के चलते इस नदी की हजारों मछलियां मर गई है.
सिंचाई के लायक नहीं रहा इस नदी का पानी
निरा नदी के तल में पानी का प्रचुर भंडार है. यहां के आसपास के इलाकों में सिंचाई की समस्या से निपटा जा सकता है. किसानों के लिए ये नदी वरदान साबित हो सकती है. हालांकि, अब प्रदूषण के चलते इस नदी के पानी का खेतों में उपयोग करना संभव नहीं है. इसके पानी को अगर सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है तो फसल को कई तरह की बीमारियां लग सकती है. प्रदूषित पानी से सिंचित फसल का सेवन भी मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती है.
हजारों मछलियों के मरने की खबर
बता दें कि नदी के किनारे स्थित सहकारी चीनी मिलों और निजी कंपनियों द्वारा नदी के तल में रासायनिक रूप से मिश्रित पानी छोड़े जाने के कारण पानी को प्रदूषित हो गई है. नतीजतन होल, कोरहले खुर्द, कांबलेश्वर, लेट, शीर्षने के बांधों में फंसा पानी प्रदूषित हो गया है. इस दूषित पानी के कारण नदी में हजारों मछलियां मर चुकी हैं.
जहर में तब्दील हो चुका है नदी का पानी
बारामती में बागवानी फसलों की बड़े पैमाने पर खेती होती है. हालांकि, अब स्थिति पहले जैसी नहीं रही. निरा नदी का पानी पूरी तरह से जहर में तब्दील हो गया है. आज बेचारे किसान इस नदी के जहरीले पानी की मार झेल रहे हैं. उन्हें अपने इस्तेमाल के लिए इसी काले पानी का उपयोग करना पड़ रहा है. पानी की उपलब्धता के बाद भी वह किसी काम का नहीं रहा.