ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन फायदेमंद व्यवसाय साबित हो रहा है. सरकार भी इस व्यवसाय को बढ़ावा दे रही है. राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत किसानों को मुर्गी पालन पर बंपर सब्सिडी भी दी जा रही है. इसका फायदा उठाकर ग्रामीण क्षेत्रों में कई किसान अच्छा-खासा मुनाफा भी कमा रहे हैं.
अगर आप पोल्ट्री फार्मिंग की शुरुआत करना चाहते हैं तो एक बेहतर प्लानिंग की जरूरत है. सबसे पहले इस व्यवसाय के लिए एक उपयुक्त जगह का चुनाव करें. योजना बनाते वक्त ये जरूर तय करें कि आपके द्वारा मुर्गी पालन करने का उद्देश्य क्या है. इस उद्देश्य के तौर पर आप अपने बेड़े के लिए मुर्गियों का चयन कर सकते हैं.
ब्रायलर मुर्गियां
इन मुर्गियों की विकास दर ऊंची होती है. ये 8 सप्ताह में पूरी तरह से विकसित अवस्था में पहुंच जाती है. इनमें मांस भी अधिक मात्रा में होता है.
लेयर मुर्गियां
इस मुर्गियों की नस्ल 18-19 सप्ताह से अंडे देना शुरू कर देती है. जो 72-78 सप्ताह तक जारी रह सकती है. वे हर साल 250 से अधिक अंडे का उत्पादन कर सकते हैं.
रोस्टर मुर्गियां
ये मुर्गियां जब छोटी होती हैं तो उन्हें कॉकरेल कहा जाता है. ये जब वयस्क हो जाती हैं तो उन्हें रोस्टर के रूप में जाना जाता है. ये बढ़ने में समय लेती हैं. अपनी क्षेत्रीय प्रवृत्ति के कारण ये अंडे देने वाली मुर्गियों की रक्षा करते हैं.
मुर्गी पालन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बाकि और व्यवसायों की तरह, आपको इसकी शुरुआत करने में ज्यादा राशि नहीं लगानी पड़ती है. कम राशि की मदद से आप मुर्गी पालन की शुरुआत कर सकते हैं. जब तक आप बहुत बड़े स्तर पर मुर्गी पालन की शुरुआत न करना चाहें, तब तक आपको बड़ी जगह की जरूरत नहीं होती है. आप अपने ही घर या गांव में किसी खाली जगह में मुर्गी पालन कर सकते हैं.