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25 मजदूरों का काम करने में सक्षम ये मशीन, फसल काटने के साथ-साथ बना देती है गठरियां

Agriculture Machinery: फसलों की कटाई के लिए रीपर बाइंडर मशीन काफी उपयोगी है. इस मशीन से आप आसानी से किसी भी फसल की कटाई कर सकते हैं. साथ ही यह फसल को काटकर उसकी बाइडिंग भी कर देती है. इससे फसल को थ्रेसिंग करने में भी आसानी होती है.

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Reaper Binder Machine (File Photo)
Reaper Binder Machine (File Photo)

पुराने वक्त में गेहूं की कटाई मजदूरों के सहारे हसियां से की जाती थी. अब वक्त बदलने के साथ तकनीकें भी बदली हैं. आधुनिक मशीनों के आने के साथ ही मजदूरों की संख्या में भी भारी कमी हुई तो कटाई शिफ्ट हो गई मशीनों पर. फिलहाल बाजार में कई तरह की क्रॉप कटर मशीनें उपलब्ध हैं. रीपर बाइंडर भी इन्हीं मशीनों में से एक हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि ये मशीन 1 घंटे में तकरीबन 25 मजदूरों के बराबर कटाई कर लेती है. इससे किसान का वक्त और खर्च दोनों में कमी आती है. इस मशीन को आप किराए पर देकर भी ठीक मुनाफा कमा सकते हैं.

बाजार में दो रीपर बाइंडर मशीन

फसलों की कटाई के लिए रीपर बाइंडर मशीन काफी उपयोगी है. इस मशीन से आप आसानी से किसी भी फसल की कटाई कर सकते हैं. इस वक्त बाजार में दो रीपर बाइंडर मशीनें उपलब्ध हैं. एक ऑटोमेटिक मशीन है तो दूसरी ट्रैक्टर से जोड़ कर चलाई जाती है. यह मशीन फसल को काटकर फसल की बाइडिंग भी कर देती है. इससे फसल को थ्रेसिंग करने में भी काफी आसानी होती है.

कंबाइन की जगह रीपर बाइंडर मशीन

बता दें कि छोटे किसान कंबाइन हार्वेस्टर की जगह रीपर बाइंडर मशीन को प्राथमिकता देने लगे हैं. इस मशीन से 5 से 7 सेमी ऊपर फसल की कटाई आसानी से की जा सकती है. इससे भूसे का नुकसान नहीं होता है. साथ ही फसल के ठूठ भी इससे आसानी से निकाले जा सकते हैं. वहीं, कंबाइन हार्वेस्टर खेत में करीब 30 सेमी से ऊपर फसल की ही कटाई करता है. कटाई के बाद फसल का ठूठ खेत में ही खड़े रह जाते हैं. इसे किसानों को जलाना पड़ता है, जिसके चलते पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. ऐसे में किसानों के बीच रीपर बाइंडर का उपयोग बहुत अच्छा माना जाने लगा है. 

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सरकार द्वारा मिलती है सब्सिडी

बता दें कि बाजार में ऑटोमैटिक रीपर बाइंडर मशीन 50 हजार रुपए से लेकर 2.5 लाख रुपए में मिलता है. वहीं, ट्रैक्टर से चलने वाली रीपर की कीमत 80 हजार से 2 लाख रुपये तक है. केंद्र सरकार इन फार्म मशीनरी ऐप के जरिए इस मशीन पर सब्सिडी भी देती है. इसके अलावा राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर कृषि मशीनरी पर अनुदन देती हैं, जिसमें ये मशीन शामिल है.


 

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