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हर नए बच्चे के लिए छोटा होता जा रहा रोटी का टुकड़ा, उस मुल्क की कहानी जहां हर मां के हैं 6-7 बच्चे

नाइजर पश्चिमी अफ्रीका का गरीब और रेगिस्तान में बसा देश है. यहां का प्रजनन दर आज दुनिया में सबसे अधिक है. विश्व बैंक के 2022-2023 के आंकड़ों के अनुसार यहां एक महिला औसतन अपने जीवन काल में 6.8 बच्चों को जन्म देती है. यह आंकड़ा न केवल नाइजर की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को दर्शाता है, बल्कि वहां की आने वाली चुनौती को उजागर करता है.

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नाइजर के 20% लोगों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता है. (Photo-AFP)
नाइजर के 20% लोगों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता है. (Photo-AFP)

दुनिया के 10 वो देश/क्षेत्र जहां जनसंख्या सबसे तेजी से बढ़ रही है उनमें से 6 देश अफ्रीका में हैं, 3 एशिया में और एक ओशिनिया में स्थित है. विश्व  के 11 देश ऐसे हैं जहां अभी आबादी की बढ़ोतरी दर 3 प्रतिशत से अधिक है. इस वक्त अफ्रीका के जिन देशों में आबादी सबसे तेजी से बढ़ रही है उनमें टॉप में नाइजर, सोमालिया, चाड़, डेमोक्रेटिक रिपबल्कि ऑफ कांगो, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक शामिल हैं. 

नाइजर, सोमालिया, चाड़ और डेमोक्रेटिक रिपबल्कि ऑफ कांगो इस वक्त दुनिया के वो देश हैं जहां इस वक्त माताएं अपने जीवन काल में 6 से ज्यादा बच्चे पैदा करती हैं. ये आंकड़े वर्ल्ड बैंक के डाटा के आधार पर हैं. आज विश्व जनसंख्या दिवस पर उत्तर अफ्रीकी देश नाइजर की कहानी आपको बताते हैं.

इस वक्त नाइजर की जनसंख्या लगभग 2 करोड़ 79 लाख है. अगले 25 सालों में यानी कि 2050 तक इस देश की जनसंख्या तीन गुनी हो जाने की उम्मीद है. इस दर से नाइजर की जनसंख्या 2050 तक 7 करोड़ हो जाएगी.

दुनिया में सबसे अधिक प्रजनन दर

नाइजर पश्चिमी अफ्रीका का गरीब और रेगिस्तान में बसा देश है. यहां की प्रजनन दर आज दुनिया में सबसे अधिक है. विश्व बैंक के 2022-2023 के आंकड़ों के अनुसार यहां औसतन एक महिला अपने जीवन काल में 6.8 बच्चों को जन्म देती है. यह आंकड़ा न केवल नाइजर की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को दर्शाता है, बल्कि एक ऐसी चुनौती को भी उजागर करता है जो इस देश के भविष्य को और जटिल बना रही है.

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नाइजर की तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या जिसका 49% हिस्सा 15 साल से कम उम्र का है एक जनसांख्यिकीय संकट की ओर इशारा करता है.

ऊंची प्रजनन दर की वजह क्या है?

सवाल यह है कि इस देश की अत्यधिक प्रजनन दर की वजह क्या है. नाइजर की अधिकांश आबादी (लगभग 80%) ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जहां खेती और पशुपालन आजीविका के मुख्य स्रोत हैं. नाइजर का दो-तिहाई हिस्सा सहारा रेगिस्तान में है, और केवल दक्षिणी हिस्सा कृषि के लिए उपजाऊ है. 

यहां की मिट्टी और जलवायु परिवर्तन की मार ने खेती को और मुश्किल बना दिया है. इसके बावजूद बड़े परिवारों को यहां सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है. अधिक बच्चे मतलब अधिक मजदूर जो खेतों में मदद कर सकते हैं. साथ ही कम शिक्षा और जागरूकता के कारण इस अफ्रीकी देश में गर्भनिरोधक साधनों का उपयोग बेहद कम है. 2023 में केवल 8% महिलाएं ही यहां आधुनिक गर्भनिरोधक साधनों का उपयोग करती थीं.

नाइजर में लगातार प्रदर्शन होते रहते हैं. (Photo-AFP)

इसके अलावा नाइजर में प्रारंभिक विवाह की प्रथा आम है. लड़कियों की विवाह की औसत आयु 15-16 साल है. और कई लड़कियां 12-13 साल की उम्र में ही मां बन जाती हैं. यह प्रथा सांस्कृतिक रूप से गहरी जड़ें रखती है और परिवारों में बच्चों की संख्या बढ़ाने में योगदान देती है. 

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लेकिन यहां असली समस्या शिशु मृत्यु दर है. इस देश में 1000 बच्चों में से 274 की मृत्यु 1 से 4 साल की उम्र में हो जाती है. इस उच्च मृत्यु दर के कारण परिवार अधिक बच्चे पैदा करते हैं ताकि कुछ जीवित रह सकें. स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, कुपोषण और स्वच्छ पानी की कमी इस समस्या को और गंभीर बनाती है.

20 फीसदी लोगों को नहीं मिलता पर्याप्त खाना

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में नाइजर 121 देशों में 115वें स्थान पर है, जहां 20% आबादी को पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है. खाने की किल्लत झेल रहे इस देश में हर नए बच्चे के लिए रोटी का टुकड़ा और छोटा होता जा रहा है.

यहां सिर्फ 34% बच्चे पढ़ने जाते हैं, लड़कियों में तो ये आंकड़ा 27% है. बेरोजगारी और गरीबी के इस रेगिस्तान में युवा आबादी बम की तरह टिक-टिक कर रही है जो कभी भी सामाजिक अस्थिरता में फट सकती है. 

विश्व बैंक का अनुमान और रिसर्च कहता है कि अगर यहां की लड़कियों को स्कूल भेजा जाए और गर्भनिरोधक तक पहुंच बढ़े तो प्रजनन दर 2050 तक 2.7 तक गिर सकती है. 

नाइजर में सामाजिक अस्थिरता

नाइजर में हाल के वर्षों में सामाजिक अशांति का दौर चल रहा है. जुलाई 2023 में हुए सैन्य तख्तापलट में राष्ट्रपति को हटा दिया गया, जिससे राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी. सैन्य शासन ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया, पत्रकारों और विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया। आर्थिक प्रतिबंधों और सीमा बंदी से खाद्य पदार्थों की कमी और कीमतों में वृद्धि हुई, जिससे जनता में असंतोष बढ़ा है. यहां गरीबी, बेरोजगारी और शिक्षा की कमी ने भी सामाजिक तनाव को बढ़ावा दिया है. 

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