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युद्ध के बीच मोटी सैलरी पर इजरायल जा रहे भारतीय क्या काम कर रहे हैं?

इजरायल के कंस्ट्रक्शन सेक्टर में लगभग एक-तिहाई श्रमिक फिलिस्तीनी थे. लेकिन हमास से जंग छिड़ने के बाद गाजा और कब्जे वाले वेस्ट बैंक के श्रमिकों के परमिट को रद्द कर दिया गया. इससे इजरायल में श्रमिकों की कमी हो गई. जिसके बाद इजरायल ने हजारों की संख्या में भारतीय श्रमिकों की भर्ती की है.

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इजराइल काम करने जाने के लिए लखनऊ के एक ITI में आयोजित भर्ती अभियान के दौरान भारतीय श्रमिक
इजराइल काम करने जाने के लिए लखनऊ के एक ITI में आयोजित भर्ती अभियान के दौरान भारतीय श्रमिक

हमास से जारी युद्ध के कारण इजरायल ने हजारों फिलिस्तीनी कामगारों पर प्रतिबंध लगा दिया है. ऐसे में इजरायल में कामगारों की कमी हो गई. जिसके बाद इजरायल ने हजारों की संख्या में भारतीय श्रमिकों की भर्ती की है. इजरायल की कंपनियां भारतीय श्रमिकों को मोटी सैलरी पर काम पर ले गई है.

युद्ध के बीच इजरायल की कंपनियों द्वारा भारतीय मजदूरों की भर्ती को लेकर यहां के ट्रेड यूनियनों ने विरोध भी जताया है. आलोचकों का कहना है कि युद्ध के बीच इजरायल द्वारा भारतीय श्रमिकों की भर्ती करना जोखिमों से भरा है. सरकार को श्रमिकों की सुरक्षा और भलाई को प्राथमिकता देने की जरूरत है. हालांकि, जोखिमों के बावजूद भारतीय श्रमिक इजरायल में काम करने के अवसर को गरीबी से उबरने और अपनीै आर्थिक स्थिति को ठीक करने के रूप में देख रहे हैं.

ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुचेता डे का कहना है कि श्रमिकों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से उन्हें इजरायल भेजे जाने के पीछे के तर्क की जांच करने की जरूरत है. उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने इसी इजरायल में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए पिछले साल अक्टूबर में 'ऑपरेशन विजय' शुरू किया था. भारत ने ऑपरेशन विजय के तहत लगभग 1200 भारतीय को इजरायल से बाहर निकाला था.

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इजरायल में क्या काम कर रहे हैं भारतीय श्रमिक?

अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट scmp के मुताबिक, इजरायल की कंपनियां लगभग 10 हजार से ज्यादा लोगों को काम करने के लिए इजरायल ले जा चुकी हैं. जिनमें से तीन हजार बढ़ई, तीन हजार वेल्डर्स, दो हजार टाइल्स लगाने वाले और लगभग दो हजार प्लस्तर करने वाले हैं.

इजरायल जाने वाले युवक क्या कह रहे हैं?

हरियाणा के पानीपत के रहने वाले 37 साल के कंस्ट्रक्शन वर्कर विकास का कहना है, "पिछले साल नवंबर तक मैं पुलिस, सीमा सुरक्षा बल और केंद्रीय रिजर्व पुलिस जैसी नौकरियों के लिए परीक्षा दी थी. लेकिन नौकरी नहीं मिली. इजरायल में हो रहे युद्ध के बावजूद बेरोजगारी और पारिवारिक जिम्मेदारियों ने मुझे जोखिम लेने और इजरायल में नौकरी करने के लिए मजबूर कर दिया है."

एक अन्य युवक चंदन कुमार (32 वर्ष) का कहना है, "भारत में रोजगार की सीमित संभावनाओं को देखते हुए मैंने इजरायल में काम करना बेहतर समझा. भारत में काम करने के बहुत कम मौके हैं. ऐसे में हम निराशा के दौर से गुजर रहे हैं. भले ही वहां (इजरायल) हमारे साथ बुरा हो, कम से कम हमारे परिवारों को उनके खर्चों के लिए कुछ वित्तीय मदद तो मिलेगी. इजरायल में नौकरी करने से ठीक-ठाक वेतन मिलेगा और वहां उज्जवल भविष्य भी है."

इजराइल काम करने जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराते भारतीय श्रमिक
  इजराइल काम करने जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराते भारतीय श्रमिक

मई 2022 में दोनों देशों के बीच हुआ था समझौता

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मई 2022 में इजरायल के विदेश मंत्री एली कोहेन भारत दौरे पर आए थे. इसी दौरान भारत सरकार ने इजरायल सरकार को 42 हजार भारतीय श्रमिकों को काम पर ले जाने की अनुमति दी थी. रिपोर्ट के मुताबिक, 42 हजार में से सबसे ज्यादा 34 हजार लोग कंस्ट्रक्शन कार्य के लिए चाहिए थे. वहीं, आठ हजार नर्स की जरूरत थी.

लेकिन अक्टूबर में हमास और इजरायल के बीच शुरू हुए युद्ध के बाद इजरायल की निर्माण कंपनियों ने कथित रूप से फिलिस्तीनी मजदूरों के बदले 10 हजार भारतीय मजदूरों को काम पर रखने के लिए सरकार से अनुमति मांगी. जिसके बाद इजरायल की कंपनियां हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों से कामगारों को ले गई हैं.

मोटा वेतन दे रहा है इजरायल

भारत में इजरायल में काम करने के लिए चलाए जा रहे विज्ञापनों में कहा जा रहा है कि श्रमिकों को प्रति माह $1,400 (1,16,383 रुपये) से $1,700 (1,41,323 रुपये) तक वेतन दिया जाएगा. 

मीडिया रिपोर्टों और इजरायली अधिकारियों के अनुसार, लगभग 17,000 भारतीय कर्मचारी अब इजरायल में रहते हैं, जिनमें से ज्यादातर नर्सिंग सेक्टर में काम करते हैं.

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