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दो पार्टियों के सिस्टम से आगे बढ़ पाएगा US? क्या मस्क की तीसरी पार्टी के आड़े आएगा अमेरिकी कानून?

अमेरिकी पॉलिटिकल सिस्टम में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन इन दो प्रमुख पार्टियों के अलावा तीसरे मोर्चे या तीसरी पार्टी की कोई खास जगह नहीं है. इसकी वजह है कि अमेरिका में Two Party System है.

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डोनाल्ड ट्रंप, एलॉन मस्क और जो बाइडेन
डोनाल्ड ट्रंप, एलॉन मस्क और जो बाइडेन

अमेरिका में इस समय भारी उथल-पुथल जारी है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अरबपति कारोबारी एलॉन मस्क के बीच की तल्खियां बढ़ती जा रही हैं. One Big, Beautiful Bill को लेकर दोनों में तनातनी बनी हुई है. इस बीच यह बिल अमेरिकी सीनेट से पारित हो गया है. ऐसे में मस्क ने नई राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान किया. पर सवाल है कि क्या असल में दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियों वाले मुल्क में तीसरे मोर्चे की जगह है? क्या अमेरिका में तीसरा प्रमुख राजनीतिक दल कारगर साबित होगा?

अमेरिका में फिलहाल दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियां रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक है. ये दोनों ही पार्टियां 1850 के दशक से केंद्र की राजनीति में प्रभावी हैं. हालांकि, अमेरिका में कई अन्य पार्टियां जैसे- लिबरेटियन पार्टी, ग्रीन पार्टी, कॉन्स्टिट्यूशन पार्टी और अलायंस पार्टी भी है. लेकिन रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टियों के सामने इनका वजूद ना के बराबर है. ऐसे में एलॉन मस्क की नई पार्टी की महत्वाकांक्षा कितनी सफल होगी. यह तो समय बताएगा. लेकिन असल में जानना जरूरी है कि अमेरिका जैसे देश में तीसरे मोर्चे का वजूद ना के बराबर क्यों है?

अमेरिका में टू पार्टी सिस्टम 19वीं सदी से मजबूत है. डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियां लंबे समय से सत्ता पर काबिज हैं, जिससे नई पार्टियों के लिए जगह बनाना मुश्किल है. 1850 के दशक में रिपब्लिकन पार्टी जब अस्तित्व में आई, तो उसने थर्ड पार्टी के तौर पर ही शुरुआत की थी. उस समय डेमोक्रेटिक और Whigs ही दो प्रमुख पार्टियां हुआ करती थी. हालांकि, 19वीं सदी में गुलामी पर छिड़ी बहस के बाद अन्य पार्टियों का भी गठन हुआ. लिबर्टी और फ्री सॉयल पार्टियां गुलामी के विरोध की वजह से अस्तित्व में आई थीं. 

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अमेरिका में तीसरी प्रमुख पार्टी का वजूद क्यों नहीं?

अमेरिकी पॉलिटिकल सिस्टम में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन इन दो प्रमुख पार्टियों के अलावा तीसरे मोर्चे या तीसरी पार्टी की कोई खास जगह नहीं है. इसकी वजह है कि अमेरिका में Two Party System है. अमेरिका का राजनीतिक ताना-बाना कुछ इस तरह का है कि यहां सबसे अधिक वोट पाने वाला उम्मीदवार ही जीतता है. ज्यादा वोट पाना संसद पहुंचने की गारंटी नहीं होता. ऐसे में तीसरे पक्ष के लिए जीतना लगभग असंभव है क्योंकि वोटर्स अपना वोट बर्बाद होने के डर से दो प्रमुख पार्टियों में से ही चुनाव करते हैं. 

इसे ब्रिटेन के पॉलिटिकल सिस्टम के उदाहरण से समझ सकते हैं. ब्रिटेन जैसे देशों में Proportional Representation है यानी यहां अनुपात के हिसाब से प्रतिनिधित्व होता है, जो छोटी पार्टियों को संसद में सीटें दिलाने में मदद करता है. लेकिन अमेरिका में ऐसी व्यवस्था नहीं है.

एक बड़ी वजह बैलेट पेपर भी है. अमेरिका में तीसरे पक्ष को बैलेट में जगह पाने के लिए कठिन नियमों का पालन करना पड़ता है. मसलन, हस्ताक्षर इकट्ठा करना, जो बहुत महंगी और टाइम टेकिंग प्रक्रिया है. वहीं, राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम छोटी पार्टियों के लिए जीत को और मुश्किल बनाता है, क्योंकि इसके लिए पूरे राज्य में बहुमत चाहिए.

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वहीं, डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियों के पास भारी-भरकम वित्तीय संसाधन और संगठनात्मक ढांचा है, जो किसी तीसरी पार्टी के पास नहीं है. अन्य पार्टियों को बड़े पैमाने पर धन जुटाने और प्रचार करने में कठिनाई होती है. हालांकि, मस्क के लिए चुनाव लड़ने के लिए धनराशि जुटाना टेढ़ी खीर साबित नहीं होगा. लेकिन डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन जैसी दशकों पुरानी पार्टियों के सामने मस्क का पार्टी बनाकर चुनाव जीतना उतना भी आसान नहीं होगा. 

अगर 2024 के राष्ट्रपति चुनाव की बात करें तो अन्य पार्टियों की परफॉर्मेंस बेहद सीमित रही. लिबरेटियन पार्टी और ग्रीन पार्टी ने उम्मीदवार उतारे, लेकिन उनकी कोई बड़ी सफलता नहीं मिली. रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर ने निर्दलीय ही चुनाव में उतरने का फैसला किया. लेकिन वह कुछ खास चुनौती नहीं दे सके.  

अमेरिकी कानून क्या कहता है?

अमेरिकी संविधान में नई पार्टियों के गठन की प्रक्रिया बहुत साफ शब्दों में बताई गई है. अमेरिका में कोई भी व्यक्ति या समूह नई राजनीतिक पार्टी बना सकता है. इसके लिए कोई विशिष्ट संघीय कानून नहीं है जो पार्टी गठन को नियंत्रित करता हो. लेकिन नई पार्टियों की राह बहुत मुश्किल है. इसकी राह में कई कानूनी और व्यावहारिक चुनौतियां हैं. जैसे- कुछ राज्यों में पार्टी को रजिस्टर्ड कराने के लिए न्यूनतम समर्थकों के हस्ताक्षर और एक औपचारिक याचिका की जरूरत होती है.

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अगर कोई नई पार्टी राष्ट्रपति या संघीय स्तर के चुनावों में हिस्सा लेना  चाहती है, तो उसे FEC के नियमों का पालन करना होगा, जो मुश्किल होगा क्योंकि इसमें धन जुटाने और खर्च की सीमाएं हैं. वहीं, राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम अन्य पार्टियों की जीत को लगभग असंभव बनाता है, क्योंकि इसके लिए पूरे राज्य में बहुमत चाहिए, जो संभव नहीं है. 

बता दें कि अमेरिकी पॉलिटिकल सिस्टम में थर्ड पार्टियों के लिए राह बहुत मुश्किल है, जब तक चुनाव प्रणाली में सुधार नहीं होंगे. रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टियों को कोई नई या पुरानी पार्टी टक्कर देने की स्थिति में नहीं पहुंच पाएगी. 

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