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US: क्लीन एनर्जी के लिए बाइडेन लाए 555 अरब डॉलर का बिल, लेकिन संसद में ही अटक गया

बाइडेन सरकार ने शुक्रवार को 2 ट्रिलियन डॉलर का क्लाइमेट बिल पेश किया. इसमें से 555 अरब डॉलर क्लीन एनर्जी के लिए रखे गए हैं. इस बिल का जहां कुछ समर्थन कर रहे हैं तो कुछ नेता इसका विरोध भी कर रहे हैं.

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (फाइल फोटो)
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 2 ट्रिलियन डॉलर का क्लाइमेट बिल
  • 555 अरब डॉलर क्लीन एनर्जी के लिए

जलवायु परिवर्तन के गहराते संकट के बीच अमेरिका की जो बाइडेन सरकार ने शुक्रवार को 2 ट्रिलियन डॉलर का क्लाइमेट बिल पेश किया. इसमें से 555 अरब डॉलर क्लीन एनर्जी के लिए रखे गए हैं. बाइडेन सरकार की क्लीन एनर्जी पर खर्च होने वाला ये बजट न सिर्फ अमेरिका बल्कि पड़ोसी देशों पर भी असर डालेगा. माना जा रहा है कि यही बजट तय करेगा कि आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन में सुधार होता है या फिर और गंभीर होता है. 

अमेरिका के ह्यूस्टन शहर के मेयर सिल्वेस्टर टर्नर ने बाइडेन सरकार के इस बजट का स्वागत किया है. उन्होंने बताया कि हम जैसे ही एक तूफान से निपटने का काम पूरा करते हैं, वैसे ही दूसरा तूफान आ जाता है. बीते 6 सालों में हम ऐसे 5 तूफानों का सामना कर चुके हैं. हालांकि, कुछ नेता ऐसा भी हैं जो इस बिल का विरोध कर रहे हैं. सीनेट में वेस्ट वर्जिनिया से आने वाले डेमोक्रेटिक सांसद जो मैनचिन ने बिल में कटौती करने की मांग की है. इसके साथ ही इस बिल में लाए गए नियमों में भी ढील देने की मांग की है. ऐसे में ये बिल अमेरिकी सीनेट में अटक भी सकता है.

क्लाइमेट साइंटिस्ट और एनर्जी एनालिस्ट जैक होस्फेदर (Zeke Hausfeather) बताते हैं कि अगर ये बिल पास हो जाता है तो अमेरिका ने कार्बन उत्सर्जन में कटौती का जो टारगेट सेट किया है, उसका 5% 2030 तक ही हासिल कर लेगा. लेकिन अगर ये बिल पास नहीं होता है कि इस दशक के अंत तक कार्बन उत्सर्जन में 20 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी होने का खतरा भी है. वो कहते हैं कि अमेरिका को दूसरे देशों को भी अपने साथ जोड़ने की जरूरत है, लेकिन ये तभी हो सकता है जब अमेरिका खुद पहल करे. 

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जैक होस्फेदर कहते हैं कि चीन दुनिया में सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करता है. दूसरे नंबर पर अमेरिका है और तीसरे नंबर पर भारत है. तीनों देशों के उत्सर्जन से पृथ्वी गर्म हो रही है और इसका असर भी दिख रहा है. 

ग्लासगो में बांग्लादेश के क्लाइमेट नेगोशिएटर कामरूल चौधरी इस बात पर अड़ गए थे कि अमेरिका समेत उन सभी देशों को जल्द से जल्द सख्त कदम उठाने चाहिए जो सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करते हैं. चौधरी ने ये भी कहा था कि डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार ने क्लाइमेट चेंज को लेकर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. उनकी सरकार में ओबामा सरकार के दौरान क्लीन एनर्जी को प्रमोट करने वाले प्रोजेक्ट को भी बंद कर दिया. 

वहीं, यूटा से आने वाले रिपब्लिकन से आने वाले सीनेटर जॉन कर्टिस ने कहा कि हम सब जानते हैं कि उत्सर्जन को कैसे कम किया जा सकता है, लेकिन हमें इस पर एक व्यापक चर्चा करने की जरूरत है. फिलहाल ये बिल अमेरिकी सीनेट में है और इसके पास होने में अब कई विवाद खड़े हो रहे हैं.

 

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