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व्हाइट हाउस में फैलो चुनी गईं दो भारतीय अमेरिकी महिलाएं, पूरे US से सेलेक्ट हुये सिर्फ 15 लोग

व्हाइट हाउस में फैलो के लिए पूरे अमेरिका से 15 लोगों को चुना गया. इनमें भारतीय अमेरिकी मूल की दो महिलाएं भी शामिल हैं. एक का नाम पद्मिनी पिल्लई है, जो बोस्टन की रहने वाली हैं. वहीं, दूसरी नलिनी टाटा हैं, जो न्यूयॉर्क की रहने वाली हैं.

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White House (File Photo)
White House (File Photo)

अमेरिका के व्हाइट हाउस में दो भारतीय अमेरिकी महिलाओं को फैलो चुना गया है. जिन महिलाओं को फैलो चुना गया है, उनमें बोस्टन से पद्मिनी पिल्लई और न्यूयॉर्क से नलिनी टाटा शामिल हैं. दोनों को व्हाइट हाउस फेलो के 2024-2025 वर्ग में नियुक्ति मिली है.

इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम के लिए पूरे अमेरिका से सिर्फ 15 प्रतिभाशाली व्यक्तियों को चुना गया है. ये फैलो एक साल तक व्हाइट हाउस के सीनियर कर्मचारियों, कैबिनेट सचिवों और दूसरे शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों के साथ काम करेंगे. बता दें कि एक साल बाद ये फैलो अपने ग्रुप में बेहतर लीडर के रूप में सेवा करने के लिए प्रशासन से सुसज्जित होकर निकलते हैं.

कौन हैं पद्मिनी पिल्लई?

व्हाइट हाउस की तरफ से बताया गया कि नलिनी टाटा को व्हाइट हाउस के कैबिनेट मामलों के दफ्तर में नियुक्ति मिली है, जबकि पद्मिनी पिल्लई को सामाजिक सुरक्षा प्रशासन में नियुक्त किया गया है. बता दें कि पद्मिनी पिल्लई एक इम्यूनोइंजीनियर हैं, जो इम्यूनोलॉजी में खोजों और मानवीय रोगों के उपचार के लिए बायोमटेरियल डिजाइन में प्रगति के बीच की खाई को पाट रही हैं.

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टीम लीड करती हैं पद्मिनी

पद्मिनी पिल्लई ने MIT में एक टीम का नेतृत्व किया है, जो मुश्किल से ठीक होने वाले कैंसर को खत्म करने के लिए ट्यूमर-चयनात्मक नैनोथेरेपी डेवलप कर रही है. कोविड-19 महामारी के दौरान, पिल्लई को 'सीएनबीसी', 'द अटलांटिक' और 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' सहित कई मीडिया आउटलेट्स में टीकाकरण, प्रतिरक्षा और कमजोर समुदायों पर महामारी के असंगत प्रभाव पर चर्चा करने के लिए दिखाया गया था.

कौन हैं नलिनी टाटा?

पिल्लई ने येल विश्वविद्यालय से इम्यूनोबायोलॉजी में PHD और रेजिस कॉलेज से बायोकेमिस्ट्री में बीए की डिग्री प्राप्त की है. वहीं नलिनी टाटा न्यूयॉर्क-प्रेस्बिटेरियन वेइल कॉर्नेल मेडिकल सेंटर/मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर में न्यूरोसर्जरी रेजिडेंट हैं, जहां वह लेवल-1 ट्रॉमा सेंटर और विश्व प्रसिद्ध कैंसर संस्थान के बीच आपातकालीन और वैकल्पिक न्यूरोसर्जिकल स्थितियों के स्पेक्ट्रम का इलाज करने में मदद करती हैं.

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