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Conclave15: आतंकियों की कैद से निकले दो लोगों ने साझा किए अपने अनुभव

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में शनिवार को आतंकियों की कैद से निकले दो लोगों ने रोंगटे खड़े कर देने वाले अनुभव साझा किए. फ्रांस के पत्रकार निकोलस हेनिन आतंकी संगठन IS की कैद से आजाद हुए थे, जबकि थ्यो पैडनोस जभात-अल-नुसरा नाम के संगठन की कैद से छूटे थे. पैनल में इन दोनों के साथ अफगानिस्तान में नेशनल डायरेक्टरेट ऑफ सिक्योरिटी के डायरेक्टर अमरूला सालेह और नियर ईस्टर्न स्टडीज केप्रोफेसर बर्नार्ड हेकेल भी शामिल थे.

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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में शनिवार को आतंकियों की कैद से निकले दो लोगों ने रोंगटे खड़े कर देने वाले अनुभव साझा किए. फ्रांस के पत्रकार निकोलस हेनिन आतंकी संगठन IS की कैद से आजाद हुए थे, जबकि थ्यो पैडनोस जभात-अल-नुसरा नाम के संगठन की कैद से छूटे थे. पैनल में इन दोनों के साथ अफगानिस्तान में नेशनल डायरेक्टरेट ऑफ सिक्योरिटी के डायरेक्टर अमरूला सालेह और नियर ईस्टर्न स्टडीज के प्रोफेसर बर्नार्ड हेकेल भी शामिल थे.

टार्चर रूम
थ्यो पैडनोस ने बताया कि हर दूसरी रात को कोई न कोई टॉर्चर रूम में होता था. जब उनके पास कुछ करने के लिए नहीं होता था, तब वो बंधकों को प्रताड़ित करते थे. वो हमें कमजोर और खुद को ताकतवर साबित करने के लिए हमें प्रताडि़त करते थे.

एक ही सेल में थे निकोलस और पैडनोस
पैडनोस ने बताया कि वो और निकोलस कैद में एक ही सेल में थे. उन्होंने कहा कि वो अपनी अच्छी किस्मत की वजह से बंधकों की कैद से छूट गए, लेकिन सबकी किस्मत ऐसी नहीं होती.

सीरिया से रहो दूर
पैडनोस ने सभी को सीरिया से दूर रहने की सलाह दी है, ताकि कोई उस तरह की मुसीबत में न फंसे, जैसी मुसीबत में वो फंसे थे.

कैद के अनुभव
निकोलस हेनिन ने बताया, 'कैद में आतंकी हमें उकसाते थे और झटके भी देते थे. वो हमें कैद में ज्यादा जानकारी नहीं देते थे और हमारे मन में तरह-तरह के सवाल चलते रहते थे. हेनिन ने कहा, हमारे पास दो जिंदगी होती हैं, दूसरी का पता तब चलता है, जब महसूस होता है कि आपके पास एक ही जीवन है.

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भारतीय मुसलमानों का भरोसा
बर्नार्ड हेकेल बोले कि आतंकियों की तमाम कोशिशों के बावजूद भारत के मुसलमानों को भरोसा है कि वो इस देश का ही हिस्सा हैं. भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से यह बहुत अच्छी बात है.

पाक को सीख
अमरूला सालेह ने बताया कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने मुझे कई बार पाकिस्तान भेजा, ताकि मैं उन्हें समझा सकूं कि आतंकवाद किसी के लिए भी फायदेमंद नहीं है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के हालात भी आतंकी संगठन IS जैसे ही हैं.

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