बुधवार को संयुक्त राष्ट्र ने तुर्की का नाम बदलकर तुर्किए (Turkiye) करने के फैसले को मंजूरी दे दी. तुर्की को अब तुर्किए नाम से जाना जाएगा. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन ने पिछले दिसंबर में अपना रिब्रांडिंग कैंपेन चलाया था. देश का नाम बदलने को लेकर एर्दोआन ने कहा था कि तुर्किए तुर्की के लोगों की संस्कृति, सभ्यता और मूल्यों का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व और अभिव्यक्ति है.
तुर्की की भू-राजनीतिक भूमिका बढ़ती जा रही है. इसे देखते हुए तुर्की अपनी छवि को लेकर और अधिक सचेत हो गया है. राष्ट्रपति एर्दोआन इस बात को लेकर अब अधिक संवेदनशील दिखते हैं कि तुर्की को विश्व में कैसे देखा जा रहा है. अपनी राष्ट्रवादी प्रवृति के कारण उन्हें ये रास नहीं आया कि उनके देश का नाम तुर्की (तुर्की में लोग अपने देश को टर्की कहते हैं) टर्की नामक एक चिड़िया से मेल खाता है.
टर्की चिड़िया का नाम तुर्की के नाम पर ही रखा गया है. इन पक्षियों को सबसे पहले तुर्की से यूरोप लाया गया था.
एर्दोआन के रिब्रांडिंग कैंपेन के दौरान ही तुर्की के सरकारी चैनल टीआरटी वर्ल्ड ने देश के नाम को तुर्किए कहना शुरू कर दिया था. नाम बदलने के पीछे कारण ये दिया गया था कि कैंब्रिज डिक्शनरी में टर्की/तुर्की का अर्थ पराजित या बेवकूफ होता है.
इसी तरह कई और देशों ने भी अपने नाम में कुछ कारणों से बदलाव किए हैं जिनके बारे में हम आपको बता रहे हैं-
नीदरलैंड्स (The Netherlands)
नीदरलैंड्स का पुराना नाम हॉलैंड है जिसे कुछ सालों पहले ही बदला गया है. नीदरलैंड्स की सरकार ने देश की छवि को सुधारने के मकसद से ये कदम उठाया. डॉयचे वेले की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हॉलैंड के नाम के साथ मनोरंजक नशीली दवाओं और कानूनी वेश्यावृति का धब्बा लगा था जिससे पीछा छुड़ाने के लिए सरकार ने देश का नाम बदलकर नीदरलैंड्स कर दिया.
2020 से ही सभी सरकारी और गैर-सरकारी जगहों पर हॉलैंड की जगह नीदरलैंड्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. नीदरलैंड्स के 12 राज्यों में से दो राज्यों, साउथ हॉलैंड और नॉर्थ हॉलैंड का नाम अब भी हॉलैंड से जुड़ा हुआ है.
नॉर्थ मैसेडोनिया (North Macedonia)
2019 में, मैसेडोनिया गणराज्य आधिकारिक तौर पर नॉर्थ मैसेडोनिया गणराज्य बन गया. देश का नाम बदलने के पीछे राजनीतिक कारण था. उत्तर मैसेडोनिया और ग्रीस के संबंधों में मैसेडोनिया नाम को लेकर काफी विवाद रहा. ग्रीस में एक जगह का नाम मैसेडोनिया है और वो नहीं चाहता था कि उसके पड़ोसी देश का नाम भी मैसेडोनिया हो. मैसेडोनिया एक ग्रीक साम्राज्य भी था. नाम के अलावा भी दोनों देशों के बीच कई बातों को लेकर विवाद था.
जब नॉर्थ मैसेडोनिया को NATO में शामिल होने के लिए ग्रीस के मदद की जरूरत पड़ी तब उसने ग्रीस से संबंध सुधारने शुरू किए. इसी क्रम में मैसेडोनिया का नाम नॉर्थ मैसेडोनिया कर दिया गया.
इस्वातिनि (Eswatini)
अप्रैल 2018 में राजा मस्वाती तृतीय ने देश का नाम स्वाजीलैंड से बदलकर इस्वातिनी कर दिया. ऐसा देश के औपनिवेशिक अतीत से मुक्त होने के लिए किया गया. ऐसा कहा जाता है देश के शासक इस बात से भी नाखुश थे कि लोगों को स्विटरलैंड और स्वाजीलैंड के नाम में भ्रम हो जाता है.
अफ्रीकी देश के गठन की 50 वीं वर्षगांठ पर देश का नाम बदलकर इस्वातिनि कर दिया गया. गुलामी के पहले देश का यही नाम था जिसका अर्थ होता है- स्वाजियों की धरती
चेकिया (Czhechia)
चेक गणराज्य ने मार्केटिंग को ध्यान में रखते हुए देश का नाम बदलकर चेकिया कर दिया. साल 2016 में देश ने अपने नाम का छोटा रूप पेश किया चेकिया. जिस तरह फ्रांस का आधिकारिक नाम फ्रांस गणराज्य है, उसे देखते हुए चेक गणराज्य ने भी अपना नाम का छोटा रूप दुनिया के सामने पेश किया.
यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र और कुछ बड़ी कंपनियां इसे चेकिया को नाम से ही संबोधित करती हैं, फिर भी ये नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय नहीं हुआ है. चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री लेडी बाबिस को भी ये नाम पसंद नहीं आया है. साल 2020 में उन्होंने द वॉल स्ट्रीट जर्नल से कहा था कि उन्हें चेकिया नाम पसंद नहीं है.
केबो वर्डे (Cabo Verde)
सेनेगल के तट से लगभग 700 किलोमीटर दूर अटलांटिक महासागर में स्थित इस द्वीप राष्ट्र ने 2013 में नाम बदलने के लिए आधिकारिक रूप से अनुरोध किया. पहले इस देश द्वीप देश को केप वर्डे कहा जाता था जो मूल पुर्तगाली केबो वर्डे का आंशिक रूप से अंग्रेजी नाम है. इसका अर्थ होता है- ग्रीन केप.
नाम बदलने के पीछे व्यावहारिक कारण भी बताया जाता है. उस समय के संस्कृति मंत्री ने कहा था कि देश एक मानकीकृत नाम चाहता है जिसका अनुवाद करने की जरूरत न पड़े.
श्रीलंका (Sri Lanka)
इस्वातिनी की तरह, श्रीलंका ने औपनिवेशिक पहचान से अलग होने के लिए सिलोन से अपना नाम बदलकर श्रीलंका कर लिया. जब श्रीलंका ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ तब साल 1972 में आधिकारिक रूप से सीलोन का नाम बदलकर श्रीलंका कर दिया गया. साल 2011 के आते-आते श्रीलंका ने सरकारी इस्तेमाल से भी सिलोन के इस्तेमाल को हटा दिया.