
नेपाल में रविवार को हुआ प्लेन क्रैश इतना भयावह था कि एक भी यात्री के जिंदा बचने की उम्मीद नहीं है. यहां तक कि कई लोगों के शव भी बरामद नहीं हुए हैं और जिनके बरामद भी हुए हैं, उनकी शिनाख्त करना मुश्किल है.
रविवार को नेपाल में यति एयरलाइंस का विमान एटीआर-72 लैंडिंग से ठीक पहले कास्की जिले में क्रैश हो गया था. प्लेन में कुल 72 लोग सवार थे, जिनमें से पांच भारतीय नागरिक भी सवार थे.
नेपाल के इस प्लेन में सवार कोई यात्री बेटे के जन्म की खुशी में मन्नत पूरी करने मंदिर जा रहा था तो कोई पहाड़ों की ऊंची चोटियों को फतह करने. प्लेन में सवार होते वक्त इनमें से ही शायद ही किसी ने कल्पना की होगी कि उनका सफर किस दर्दनाक तरीके से खत्म होने वाला है.
दुनिया के अलग-अलग देशों में कई ऐसे प्लेन क्रैश के मामले हुए हैं, जिनमें एक या दो लोगों को छोड़कर सभी की मौत हो गई. आपको लग रहा होगा कि वाकई ये लोग किस्मत के धनी होंगे.
यह बात बेशक ठीक हो लेकिन जिन खौफनाक पलों को इन लोगों ने जिया, वह इतना है कि पूरी जिंदगी भी उसे भुला नहीं सकते. आज हम आपको उन चार लोगों के अनुभव बताएंगे, जो हवाई जहाज के हादसों में जिंदा बचकर घर लौटे हैं.
जब प्लेन क्रैश में बची थी सिर्फ चार साल की बच्ची
बात 1987 की है, यानी करीब 36 साल पहले अमेरिका के डेट्रायट मेट्रो एयरपोर्ट से नॉर्थवेस्ट फ्लाइट 255 ने उड़ान भर रहा था, अचानक उसके दोनों विंग ठीक से नहीं खुले. प्लेन का लेफ्ट विंग एक बिजली खंभे से टकरा गया, जिसके बाद प्लेन नीचे गया और उसमें आग लग गई. जब बचाव राहत टीम मौके पर पहुंची तो उन्हें सिर्फ एक चार साल की बच्ची ही जिंदा मिली.
यह चार साल की बच्ची सीट बेल्ट से बंधी हुई थी. इस हादसे में बच्ची के माता-पिता और भाई की मौत हो चुकी थी. हादसे में बच्ची को भी काफी चोटें आई थीं. बच्ची के एक पैर की कई हड्डियां टूट चुकी थीं. वहीं जलने के भी गहरे घाव उसके शरीर पर थे.
ससीलिया शिहान (Cecelia Cichan) नाम की यह बच्ची अब काफी बड़ी हो गई है. साल 2013 में न्यूज चैनल एबीसी से इंटरव्यू के दौरान कहा था कि, इस हादसे को लेकर वह हर रोज सोचती हैं. उन्होंने बताया कि, ''जब मुझे पता चला कि मैं प्लेन क्रैश की अकेली सर्वाइवर थीं, उस समय मैं मिडिल या हाईस्कूल में थीं.
Cichan आगे कहती हैं कि क्यों मेरा भाई इस हादसे में नहीं बच पाया? क्यों और लोग नहीं बच पाए? सिर्फ मैं ही क्यों बची?

वियतनाम एयरलाइंस फ्लाइट 474 क्रैश, जिंदा बची थी सिर्फ एक महिला
साल 1992 में वियतनाम एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या 474 वियतनाम के एक जंगल में क्रैश हो गई. इस क्रैश में सिर्फ अनेट हरकिंस नाम की महिला जिंदा बच पाई, जो उस समय 31 साल की रही होंगी. हरकिंस के लिए यह अनुभव इतना खौफनाक रहा कि वे जिंदगी भर इस दर्द को कम नहीं कर सकती हैं.
इसी फ्लाइट क्रैश में हरकिंस के मंगेतर की भी मौत हो गई. जब प्लेन क्रैश हुआ तो उनके कमर से नीचे के हिस्से में फ्रैक्चर था. वहीं उनके जबड़े में भी गंभीर चोट थी. उसके बावजूद हरकिंस किसी तरह प्लेन से बाहर आईं और किसी तरह वहां पानी ढूंढकर खुद को जिंदा रखने की कोशिश की. इसी दौरान बचाव दल के एक सदस्य ने महिला का रेस्क्यू कर लिया.
बचाव राहत दल ने महिला को पैसेंजर लिस्ट भी दिखाई. महिला ने ऊंगली रखकर अपना नाम बताया. महिला के अनुभव के ऊपर एक किताब भी पब्लिश की जा चुकी है. इस किताब का नाम ''Turbulence: A True Story of Survival'' है.

महिला ने यह भी बताया कि बचाव राहत कार्य पर लगी टीम अपने हाथों में शवों को डालने के लिए बॉडी बैग्स लेकर आई थीं. उन्हें शायद यह उम्मीद रही होगी कि इस हादसे में एक भी यात्री या प्लेन का स्टाफ नहीं बचा होगा. हालांकि, वे किस्मत वाली थीं और जिंदा बचकर आज अपना जीवन जी रही हैं.
फिलीपींस के राष्ट्रपति रेमन मेग्सेसे का प्लेन हुआ था क्रैश, जिंदा बचा था सिर्फ एक पत्रकार
साल 1957 फिलीपींस के लिए दुखों से भरा था. उस साल वैश्विक नेता और देश के राष्ट्रपति रेमन मेग्सेसे का प्लेन पहाड़ी से टकराकर क्रैश हो गया था, जिसमें उनका और उनके साथ मौजूद सभी स्टाफ व सदस्यों का निधन हो गया था. हालांकि, प्लेन में सवार एक पत्रकार नेस्टर माटा जिंदा बच गया था.
क्रैश के बाद पत्रकार की हालत बेहद खराब थी. पत्रकार माटा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि क्रैश होने के बाद वे बुरी तरह घायल हो गए थे. उनके शरीर पर जलने के गहरे घाव थे. किसी तरह उन्हें रेस्क्यू करने के बाद हादसे की साइट से से नीचे उतारा गया, जिसमें कम से कम 18 घंटे लग गए. वह समय पत्रकार माटा के लिए बेहद डरावना और खौफनाक था.

2015 में हुए प्लेन क्रैश में जिंदा बचे थे सिर्फ मां और बच्चा, ऐसे किया सर्वाइव
साल 2015 में एक छोटा सेसना प्लेन जंगल में किसी कारण से क्रैश हो गया. प्लेन में सवार 18 साल की महिला अपने एक साल के बच्चे के साथ जिंदा बच गई. हालांकि, जिंदा बचने के बाद उनकी असली जंग जिंदगी को बनाए रखनी की थी. करीब पांच दिन मां और उसका बच्चा जंगल में फंसे रहे.
पांच दिन बाद कोलंबियन एयरफोर्स ने दोनों को रेस्क्यू किया. एयरफोर्स को लग रहा था कि इस प्लेन क्रैश में कोई नहीं बचा होगा, लेकिन आखिरकार वे तलाशते हुए महिला और बच्चे तक पहुंच गए. दोनों को एक नदी किनारे से रेस्क्यू किया गया. महिला ने जिंदा रहने के लिए पांच दिन लगातार वहां मौजूद नारियल पानी पीती रही.
दोनों मां और बेटा गंभीर रूप से घायल हो चुके थे. एक तरफ पानी की प्यास उन्हें मार रही थी, दूसरी तरफ शरीर में जलने के गहरे घाव थे. रेस्क्यू के बाद दोनों को आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया. महिला के लिए यह एक ऐसा अनुभव था, जो शायद जीवनभर भूल भी नहीं पाएंगी.
