अफगानिस्तान में 20 साल तक जंग लड़ने के बाद अमेरिका अब वहां से वापस लौट आया है. 30 अगस्त को अमेरिका ने आधिकारिक रूप से अपनी जंग खत्म करने का ऐलान किया और आखिरी विमान ने वहां से उड़ान भरी. लेकिन अमेरिकी नागरिकों को बिना किसी दिक्कत के एयरपोर्ट तक पहुंचाने में तालिबान के लड़ाकों ने भी अहम भूमिका निभाई है.
अमेरिकी मीडिया CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी सेना और तालिबान के लड़ाकों के बीच एक सीक्रेट डील हुई थी, जिसके तहत अमेरिकी नागरिकों को बिना किसी दिक्कत के एयरपोर्ट तक का पैसेज तैयार किया गया था.
अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट पर कुछ कॉल सेंटर्स तैयार किए थे और सीक्रेट गेट भी तैयार किया था. इन कॉल सेंटर्स की मदद से अमेरिकी सेना अपने नागरिकों को एयरपोर्ट तक आने के लिए गाइड कर रही थी और सीक्रेट गेट पर तालिबान के लड़ाकों ने उन्हें आने में मदद की.
शुरुआत में रोके जा रहे थे अमेरिकी नागरिक
दरअसल, शुरुआत में जब तेजी से रेस्क्यू मिशन शुरू हुआ तब तालिबान के लड़ाकों द्वारा जगह-जगह पर अमेरिकी नागरिकों, अमेरिका समर्थित अफगान नागरिकों को रोका जा रहा था. इसी के बाद अमेरिका ने तालिबान से बातचीत की और इस मसले को हल किया. इसी के बाद अमेरिकी नागरिकों और अफगान नागरिकों को तालिबान के लड़ाकों द्वारा सेफ पैसेज दिया गया, जिन्होंने सभी को एयरपोर्ट तक पहुंचने में मदद की.
हालांकि, रिपोर्ट में ये दावा नहीं किया गया कि इस रूट से कितने अमेरिकी और अफगान नागरिकों को एयरपोर्ट तक लाने में मदद मिली. लेकिन, आखिरी दिनों में इसने अमेरिकी रेस्क्यू ऑपरेशन को रफ्तार जरूर दी.
गौरतलब है कि अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट को अपने कंट्रोल में किया हुआ था. आखिरी कुछ दिनों में काबुल एयरपोर्ट पर काफी अलर्ट था, यहां पर ISIS-K द्वारा हमला भी किया गया, जिसमें कई अमेरिकी सैनिकों की भी मौत हुई थी. हालांकि, तालिबान ने इस हमले से अपने आप को अलग किया था.
लेकिन अब अमेरिका पूरी तरह से अफगानिस्तान छोड़ चुका है. अभी भी करीब 200 अमेरिकी नागरिक अफगानिस्तान में मौजूद हैं, जिनमें से कुछ को जल्द ही वापस लाया जाएगा. अमेरिका अब कतर के रास्ते अपने बचे हुए नागरिकों को वापस लाने की व्यवस्था कर रहा है.