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'इनको घर से निकालो...', सीरिया में अलावी मुसलमानों का जीना हराम, राजधानी से खदेड़ रहे सुन्नी अधिकारी

सीरिया की राजधानी दमिश्क में बड़ी संख्या में अलावी मुसलमान बसे हुए हैं. अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल असद ने अलावी मुसलमानों को शीर्ष सरकारी पद दिए थे जिस वजह से दमिश्क में बड़ी संख्या में अलावी रहते हैं. लेकिन नई सुन्नी सरकार के आने के बाद अलावी मुसलमानों से बंदूक की नोक पर घर खाली कराए जा रहे हैं.

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सीरिया स बशर अल असद के जाने के बाद अलावी मुसलमानों को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है (Photo- Reuters)
सीरिया स बशर अल असद के जाने के बाद अलावी मुसलमानों को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है (Photo- Reuters)

जनवरी की एक शाम, 12 नकाबपोश लोगों ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में उम हसन के घर पर हमला कर दिया. हसन के परिवार वालों के चेहरों पर एके-47 राइफलें तान दी गईं और उन्हें वहां से चले जाने का आदेश दिया गया. जब हसन ने डॉक्यूमेंट्स दिखाते हुए कहा कि वो घर उनका है और वो कहीं नहीं जाएंगे तो बौखलाए बंदूकधारियों ने उनके सबसे बड़े भाई को गिरफ्तार कर लिया गया. बंदूकधारियों ने हसन से कहा कि वो अपने भाई को तभी वापस पा सकते हैं जब वो अपना घर छोड़कर वहां से चले जाएंगे. 

परिवार ने 24 घंटे बाद घर छोड़ दिया और हसन ने भाई की तलाश शुरू की. उनके भाई लोकल जनरल सिक्योरिटी सर्विस हेडक्वार्टर में बुरी तरह से घायल अवस्था में मिले.

हसन और उनका परिवार सीरिया के अल्पसंख्यक अलावी समुदाय से ताल्लुक रखता है. अलावी सीरिया में सुन्नी मुसलमानों के बाद दूसरे सबसे बड़े धार्मिक समूह हैं. अलावी मुसलमान खुद को शिया इस्लाम का ही एक हिस्सा मानते हैं. सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद भी अलावी समुदाय से थे जिनके परिवार ने पांच दशकों तक सीरिया पर क्रूर शासन किया जिसमें सुन्नी मुसलमानों पर काफी अत्याचार किए गए.

असद के जाने के बाद से सीरिया में अलावी मुसलमानों का कत्लेआम

पिछले साल दिसंबर में असद को सत्ता से बेदखल कर दिया गया जिसके बाद उन्होंने परिवार समेत रूस में राजनीतिक शरण ले रखी है. असद के जाने के बाद सीरिया में अलावी मुसलमानों का कत्लेआम और उनके साथ हिंसा जारी है. उम हसन का परिवार अकेला नहीं है जिसे अपना घर छोड़ना पड़ा है बल्कि दमिश्क के हजारों अलावी मुसमलानों को अपना घर छोड़ना पड़ा है.

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असद के जाने के बाद दिसंबर में अहमद अल शरा सीरिया के राष्ट्रपति बन गए और तब से ही दमिश्क से अलावी मुसमलानों को खदेड़ा जा रहा है.

मानवाधिकार संगठन सीरियन्स फॉर ट्रूथ एंड जस्टिस (STJ) के कार्यकारी निदेशक बशम अल अहमद ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए कहा, 'हम एक घटना की तो बात ही नहीं कर रहे, हम ऐसे सैकड़ों घटनाओं की बात कर रहे हैं जहां अलावियों को उनके घरों से निकाला गया.'

अलावी मुसलमानों के साथ इतने बड़े पैमाने पर अत्याचार की घटनाएं पहले कभी सामने नहीं आई थीं. सीरिया पर असद और उनके पिता ने 50 सालों तक शासन किया और अपने सभी सुन्नी विपक्षियों को कुचल दिया. सीरिया की आबादी में 70% सुन्नी मुसलमान हैं बावजूद इसके असद ने सरकार, सेना और बिजनेस के सभी शीर्ष पदों पर अलावी मुसलमानों को नियुक्त कर रखा था.

अलावी मुसलमानों का कहना है कि कभी अलकायदा से जुड़े संगठन के मुखिया और अब सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल शरा उन्हें निशाना बनाकर बदला ले रहे हैं.

सीरिया में भड़की हिंसा में मारे गए थे सैकड़ों अलावी

मार्च के महीने में सीरिया में भयंकर हिंसा भड़क उठी थी. पश्चिमी तटीय इलाके में भड़की हिंसा में सैकड़ों अलावी मारे गए थे.

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दो सरकारी अधिकारियों ने बताया कि शरा के विद्रोही बलों ने दमिश्क से हजारों अलावी मुसलमानों को उनके घरों से निकाल दिया है. अधिकारियों ने बताया कि ये वो लोग हैं जो सरकारी नौकरियां करते थे और सरकारी घरों में रह रहे थे. असद के बाद उनकी नौकरियां चली गईं और अब उनसे उनके घर भी छीन लिए गए हैं.

दमिश्क के एक छोटे से टाउन के अलावी मेयर ने नाम न बताने की शर्त पर मार्च में बताया था कि वहां के 2,000 परिवारों में से 250 परिवारों को बेदखल कर दिया गया है.

उन्होंने बताया कि शरा के विद्रोही लड़ाकों से बनी एक नई एजेंसी जनरल सिक्योरिटी सर्विस (GSS) के एक सदस्य ने उन्हें मार्च में फोन किया और कहा कि उसे किराए का एक अपार्टमेंट चाहिए. जब मेयर ने कहा कि कोई अपार्टमेंट खाली नहीं है तो जीएसएस सदस्य ने अलावी मुसलमानों का जिक्र करते हुए कहा था, 'जिन घरों में वो सुअर (अलावी मुसलमान) रह रहे हैं, उनमें से कोई एक घर खाली कराओ.'

मुसलमान सूअरों को अपवित्र और गंदा मानते हैं और किसी को सूअर कहना बेहद अपमानजनक माना जाता है.

जीएसएस के तीन वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, नए अधिकारियों ने असद शासन से जुड़े माने जाने वाले लोगों की संपत्तियों को मैनेज करने के लिए दो समितियां गठित की हैं. लोगों ने बताया कि एक समिति जब्ती के लिए जिम्मेदार है, जबकि दूसरी शिकायतों का समाधान करती है.

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मानवाधिकार संगठन STJ के अल अहमद ने कहा, 'अलावी मुसलमानों को दमिश्क से बेदखल करने से निश्चित रूप से शहर की जनसांख्यिकी में बदलाव आएगा, ठीक वैसे ही जैसे असद ने सुन्नी क्षेत्रों में अपने विरोधियों के खिलाफ बदलाव किए थे. ट्रेंड वही है लेकिन इस बार पीड़ित कोई और है.'

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