
Sri Lanka Crisis: श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने देश छोड़ दिया है. वो मालदीव भाग गए हैं. बिना इस्तीफा दिए उनके देश छोड़ने से लोगों का गुस्सा और फूट पड़ा है. हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं. इससे पहले गोटाबाया राजपक्षे ने 13 जुलाई को इस्तीफा देने की बात कही थी. लेकिन वो बिना इस्तीफा दिए ही देश छोड़कर भाग गए हैं, जिससे अब श्रीलंका में नया राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है.
1948 में आजाद हुआ श्रीलंका अपने अब तक के सबसे बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है. वहां खाने-पीने का सामान और दवा जैसी बुनियादी जरूरतों की भी कमी हो गई है. पेट्रोल-डीजल खत्म होने के कगार पर है. इस आर्थिक संकट के लिए राजपक्षे परिवार को जिम्मेदार माना जा रहा है.
श्रीलंका की सड़कों पर राजपक्षे परिवार के खिलाफ महीनों से प्रदर्शन हो रहे हैं. इससे पहले लोगों के सड़कों पर उतरने के बाद महिंदा राजपक्षे ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. बीते हफ्ते जब लोग फिर सड़कों पर उतरे और राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया, तो गोटाबाया राजपक्षे ने 13 जुलाई को अपना इस्तीफा देने का वादा कर दिया. हालांकि, अभी तक उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है.
गोटाबाया राजपक्षे पहले ऐसे राष्ट्रप्रमुख नहीं है, जिन्हें मुसीबत आने पर देश छोड़कर भागना पड़ा है. इससे पहले भी कई नेताओं को हालात बदलते ही रातोरात देश छोड़ना पड़ गया था.
1. अफगानिस्तानः अशरफ गनी
पिछले साल अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान छोड़ दिया था. इसके बाद वहां तालिबान ने धीरे-धीरे करके कब्जा करना शुरू कर दिया था.
15 अगस्त 2021 को तालिबानियों ने अफगान के राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया था. और इसी के साथ वहां तालिबान का शासन शुरू हो गया था.
तालिबानियों के राष्ट्रपति भवन में घुसने से पहले ही वहां के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया था. वो संयुक्त अरब अमीरात भाग गए थे.
अगले दिन अशरफ गनी ने यूएई से अफगानिस्तान की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि अगर वो वहां से नहीं जाते, तो बहुत खून बहता.

2. यूक्रेनः विक्टर यानुकोविच
- फरवरी 2010 में यूक्रेन में राष्ट्रपति चुनाव हुए. इस चुनाव में विक्टर यानुकोविच की जीत हुई. यानुकोविच ने रूस के साथ-साथ यूरोपियन यूनियन के साथ भी संबंध बेहतर बनाने का वादा किया.
- नवंबर 2013 में यूरोपियन यूनियन का यूक्रेन के साथ एक समझौता होना था, लेकिन यानुकोविच इससे पीछे हट गए. इसके बाद यूक्रेन में विद्रोह हो गया.
- इसी दौरान यानुकोविच पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे. 22 फरवरी 2014 को यूक्रेन की संसद में यानुकोविच को पद से हटाने के प्रस्ताव पर वोटिंग हुई. इसमें 447 में से 328 सदस्यों ने उन्हें हटाने के पक्ष में वोट दिया. लेकिन इससे पहले ही यानुकोविच देश छोड़कर रूस भाग गए.
3. पाकिस्तानः नवाज शरीफ
- पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को दो बार देश छोड़ना पड़ा था. पहली बार उन्हें 1999 के कारगिल युद्ध के बाद देश छोड़ना पड़ा था.
- कारगिल युद्ध के बाद नवाज शरीफ तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ को हटाना चाहते थे. मुशर्रफ को इसकी भनक लग गई. उनके वफादारों ने नवाज शरीफ को नजरंबद कर लिया और जेल में डाल दिया. बाद में नवाज शरीफ को 10 साल के लिए सऊदी अरब भेज दिया गया.
- 2007 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शरीफ अपने परिवार के साथ फिर पाकिस्तान लौटे. 2013 में शरीफ तीसरी बार प्रधानमंत्री बने. पनामा पेपर लीक में उनका नाम सामने आने के बाद मुश्किलें बढ़ गईं.
- सुप्रीम कोर्ट ने शरीफ पर आजीवन किसी भी सरकारी पद पर आने पर रोक लगा दी. जुलाई 2018 में उन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी पाया और 10 साल कैद की सजा सुनाई. हालांकि, शरीफ फिर सऊदी अरब चले गए. शरीफ अभी भी पाकिस्तान से बाहर ही हैं.

4. पाकिस्तानः परवेज मुशर्रफ
- 2013 के चुनाव में जीत के बाद नवाज शरीफ की पार्टी PML-N सत्ता में आई. नवाज शरीफ प्रधानमंत्री बने. शरीफ सरकार ने मुशर्रफ पर देशद्रोह का केस दर्ज किया.
- 31 मार्च 2014 को मुशर्रफ को आरोपी बनाया गया. इसी बीच 18 मार्च 2016 को मुशर्रफ इलाज के लिए दुबई चले गए. तब से वो लौटे ही नहीं.
- मुशर्रफ अभी भी दुबई में ही हैं और उनकी तबीयत बहुत खराब है. हाल ही में खबर आई थी कि मुशर्रफ की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है.
5. ईरानः रजा शाह पहलवी
- ईरान में पहलवी वंश का शासन चल रहा था. 1949 में ईरान का नया संविधान लागू हुआ. उस समय देश के राजा थे रजा शाह पहलवी. 1952 में मोहम्मद मोसद्दिक प्रधानमंत्री बने, लेकिन 1953 में उनका तख्तापलट हो गया और इसके बाद शाह पहलवी देश के सर्वेसर्वा हो गए.
- ये तख्तापलट जनता को पसंद नहीं आया. लोगों की नजरों में रजा पहलवी अमेरिका की कठपुतली बन चुके थे. उस समय शाह पहलवी के विरोधी नेता थे आयोतल्लाह रुहोल्लाह खौमेनी. 1964 में शाह पहलवी ने खौमेनी को देश निकाला दे दिया.
- सितंबर 1978 में ईरान में शाह पहलवी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. लाखों लोग सड़कों पर आ गए. इसे इस्लामिक क्रांति भी कहा जाता है. 16 जनवरी 1979 को शाह पहलवी अपने परिवार के साथ ईरान छोड़कर अमेरिका चले गए. फरवरी 1979 में खौमेनी फ्रांस से ईरान लौट आए.