बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने मोहम्मद यूनुस पर जोरदार सियासी प्रहार किया है. शेख हसीना ने कहा है कि मोहम्मद यूनुस ने लोगों के सामने अपनी "Cute image" खो दी है, क्योंकि लोगों को एहसास हो गया है कि वह कितना बड़ा "धोखेबाज, भ्रष्ट और बड़ा आतंकवादी है". एक वर्चुअल संबोधन में अपनी पार्टी अवामी लीग पर यूनुस सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने की धमकियों के खिलाफ कड़ी चेतावनी देते हुए शेख हसीना ने कहा कि उनकी पार्टी कोई "परजीवी" नहीं है और न ही बाढ़ के पानी के साथ उभरी है.
बांग्लादेश में छात्रों द्वारा कथित तख्तापलट के बाद शेख हसीना भारत में रह रही हैं और उन्होंने भारत से ही अपनी पार्टी आवामी लीग के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया.
शेख हसीना ने कहा, "अंतरिम सरकार का दुस्साहस पूर्ण रवैया मुझे चकित करती है."
हसीना ने कहा कि अवामी लीग की स्थापना 1948 में तत्कालीन पाकिस्तान में पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए अभियान चलाने के लिए शेख मुजीबुर्रहमान की अगुआई में स्वतंत्रता संग्राम चलाने के लिए की गई थी.
बांग्लादेश का इतिहास याद दिलाते हुए 77 साल की शेख हसीना ने कहा, "जिस देश में वे अब रहते हैं उसका नाम भी बंगबंधु शेख मुजीब ने दिया है. उन्होंने अवामी लीग के संगठनात्मक ढांचे का उपयोग करके बंगाल के लोगों को एकजुट किया था और देश को स्वतंत्र बनाया था, किसी को भी इस तथ्य को नहीं भूलना चाहिए."
हसीना ने सवाल किया कि प्रतिबंध की मांग करने वालों के पास क्या अधिकार हैं. उन्होंने कहा कि यूनुस खुद एक फासीवादी हैं क्योंकि उन्होंने श्रमिकों, शिक्षकों, छात्रों और अन्य लोगों पर क्रूर कार्रवाई की है जो अपनी उचित मांगों के लिए अभियान चलाने की कोशिश कर रहे थे.
बता दें कि नई-नई बनी छात्रों की पार्टी एनसीपी और कुछ कट्टरपंथी पार्टियों ने आवामी लीग को खत्म करने और 1972 के संविधान को दफन की कसम खाई है. इन संगठनों ने इस संविधान को मुजीब का चार्टर कहा है.
हालांकि, आश्चर्यजनक रूप से अवामी लीग पर प्रतिबंध की मांग को उसकी कट्टर प्रतिद्वंद्वी पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और अन्य अधिकांश राजनीतिक समूहों से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
पूर्व प्रधानमंत्री ने यूनुस पर तीखा हमला करते हुए उन्हें हड़पने वाला बताया और कहा कि उनके पास देश चलाने के लिए कोई संवैधानिक आधार या जनादेश नहीं है, जबकि उन्होंने विदेशों से प्राप्त धन से एक “सुनियोजित योजना” के तहत सत्ता संभाली, और आम छात्रों और लोगों को गुमराह किया.
बागी छात्रों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, “उस समय उन्हें वास्तव में इस योजना का एहसास नहीं था. अब उन्हें समझ में आ गया होगा और मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं है.”
हसीना ने कहा: “लेकिन जिन लोगों ने यूनुस के पैसे से इस योजना को लागू किया है, उनका मुकदमा एक दिन बांग्लादेश की धरती पर जरूर चलेगा. और यूनुस अपने कुकृत्य से कैसे छुटकारा पाएंगे... उनका असली चेहरा अब दुनिया के लोगों के सामने बेनकाब हो चुका है.”
शेख हसीना ने कहा कि मोहम्मद यूनुस ने लोगों के सामने अपनी “Cute image- प्यारी छवि” खो दी है क्योंकि लोगों को एहसास हो गया है कि वह कितना “धोखेबाज, भ्रष्ट और कितना बड़ा आतंकवादी है”.
“वास्तव में वह किसी जन आंदोलन के जरिए सत्ता में नहीं आया, बल्कि एक चालाकी भरी योजना के जरिए आया... उसके आदेशों का क्या मूल्य या वैधता है?... क्या यूनुस या उसकी सलाहकार परिषद की कोई वैधता है,” हसीना ने अपने हमलों को धार देते हुए कहा.
पूर्व प्रधानमंत्री ने एनसीपी नेताओं पर भी निशाना साधा, लेकिन उनकी पार्टी पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने के लिए उनका नाम लिए बिना कहा कि “उनकी हिम्मत मुझे हैरान करती है”.
शेख हसीना ने कहा उन्हें यह नहीं सोचना चाहिए कि मैं सब कुछ छोड़कर चली गई हूं. संविधान के अनुसार लोगों के चुने हुए प्रतिनिधि और संसद सदस्यों के चुने हुए उम्मीदवार के रूप में मैं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हूं उनकी सत्ता की कोई वैधता नहीं है.