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सिंध, बलूचिस्तान और गिलगित-बाल्टिस्तान... कौन-कौन चाहता है पाकिस्तान से आजादी?

पाकिस्तान इस समय बगावत की आग में झुलस रहा है और देश पर कई टुकड़ों में बंटने का खतरा मंडरा रहा है. सिंध देश से लेकर बलूचिस्तान में आजादी की मांग तेज हो रही है और लोग पाकिस्तान के चंगुल से छुटकारा पाना चाहते हैं. बलूचिस्तान के नेताओं ने पाकिस्तान से आजादी का ऐलान भी कर दिया है और ऐसे ही प्रदर्शन देश के बाकी हिस्सों में भी चल रहे हैं.

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पाकिस्तान में तेज हुए बगावत के सुर
पाकिस्तान में तेज हुए बगावत के सुर

पाकिस्तान की आर्थिक हालत बहुत खराब है और कर्ज के पैसे से पूरा देश चल रहा है. आतंकवाद को परोसने वाला पड़ोसी देश अपने नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मुहैया करा पा रहा है. ऐसे में देश के कई हिस्सों में विद्रोह की आवाज बुलंद हो गई है. बलूचिस्तान पहले ही खुद के पाकिस्तान के कब्जे से आजाद होने का ऐलान कर चुका है और अब सिंध प्रांत में भी बगावत शुरू हो गई है.

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सिंध देश की मांग को लेकर प्रदर्शन

सिंध के राष्ट्रवादी समूह और आम लोग पाकिस्तान की सरकार पर मानव अधिकारों के उल्लंघन के आरोप लगाते हुए आजादी की मांग पर अड़ गए हैं. सिंधु देश की वकालत करने वाले एक समूह ने बीते दिनों सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किए और पाकिस्तानी जेलों में बंद सिंधी नागरिकों की रिहाई की मांग की. सिंध प्रांत में जय सिंध फ्रीडम मूवमेंट (JSFM) नाम के संगठन ने पाकिस्तान के कब्जे से आजाद होने मांग उठाई है.

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संगठन से जुड़े लोगों का आरोप है कि पाकिस्तान की सरकार ने सिंध देश की मांग करने वाले राष्ट्रवादियों को झूठे आरोप में फंसाकर जेलों में डाल दिया है. प्रदर्शनकारियों का दावा है कि ऐसे लोगों का लगातार उत्पीड़न किया जा रहा है और उन्हें अगवा कर आंदोलन को दबाने की कोशिशें हो रही हैं. सिंध के राष्ट्रवादियों की जल्द से जल्द रिहाई की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने सरकार को चेताया कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो बड़े पैमाने पर पूरे प्रांत में आंदोलन किया जाएगा.

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सिंध के फ्रीडम मूवमेंट के नेताओं का कहना है कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण है और वे अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं. सिंध जब तक अलग देश नहीं बन जाता तब तक ऐसे प्रदर्शन जारी रहेंगे. संगठन से जुड़े लोगों ने मानवाधिकार की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र, एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसी वैश्विक संस्थाओं से भी दखल देने की अपील की है.

सिंध में आजादी की मांग दशकों पुरानी है और पाकिस्तान की सरकार पर सिंधी पहचान और वहां के लोगों को अधिकार छीनने के आरोप लगते रहे हैं. सिंध में भी बलूचिस्तान की तरह लोगों का उत्पीड़न किया जा रहा है और पाकिस्तान की सरकार यहां के लोगों की ज्यूडिशियल किलिंग के आरोप भी लगे हैं. पाकिस्तान की सरकार लगातार सिंध की सांस्कृतिक पहचान को खत्म करने की कोशिश कर रही है.

बलूचिस्तान की आजादी का ऐलान

सिंध की तरह बलूचिस्तान में भी पाकिस्तान से आजादी की मांग तेज हो गई है. पिछले सप्ताह एक्टिविस्ट मीर यार बलोच ने सोशल मीडिया पर बलूचिस्तान की आजादी का ऐलान करते हुए इस इलाके को एक स्वतंत्र देश की तरह मान्यता देने की मांग की थी. साथ ही उन्होंने दिल्ली में अपने दूतावास को मंजूरी देने के लिए भारत सरकार से भी गुहार लगाई.

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बलूच लड़ाकों ने अपनी आजादी की लड़ाई में पाकिस्तानी सरकार और सेना की नाक में दम कर रखा है. हाल ही में जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक करने के बाद बलूच लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान की सेना पर भीषण हमला किया था, जिसमें कथित तौर पर 90 जवान मारे गए. बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तानी सरकार पर लंबे समय से भेदभाव का आरोप लगाते हुए आजादी की मांग कर रहे हैं और इसके लिए उन्होंने अपनी एक आर्मी भी तैयार कर ली है. 

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बलूच नेताओं का आरोप है कि पाकिस्तानी सरकार उनके संसाधनों का इस्तेमाल कर रही है और इसके बदले में वहां के लोगों को कोई फायदा नहीं मिल रहा. यही बगावत की सबसे बड़ी वजह भी है. 1947 में हुए बंटवारे के वक्त बलूचिस्तान, भारत या पाकिस्तान में से किसी का भी हिस्सा नहीं बना था और एक अलग रियासत था. हालांकि बाद में पाकिस्तान ने इस संसाधन संपन्न इलाके पर जबरन कब्जा कर लिया और इसी वजह से अवैध कब्जे के खिलाफ वहां लगातार आंदोलन चल रहे हैं. 

गिलगित-बाल्टिस्तान के साथ धोखा

गिलगित-बाल्टिस्तान में भी बगावत की आवाज बुलंद है. यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) का उत्तरी इलाका है और यहां के चरमपंथी संगठनों ने अपने अलग देश के लिए नाम तक तय कर रखा है- बलवारिस्तान यानी ऊंचाइयों का देश. इस नाम के पीछे इलाके की भौगोलिक संरचना को वजह माना जाता है क्योंकि ये पूरा इलाका ही पहाड़ों और वादियों से घिरा हुआ है. यहां के नेताओं का आरोप है कि पाकिस्तान का सबसे बेहतरीन पर्यटन केंद्र होने के बावजूद सरकार ने इस इलाके के साथ धोखा किया है और यहां सरकारी योजनाएं पूरी तरह से लागू नहीं होतीं. इसी वजह से गिलगित-बाल्टिस्तान में आजादी की मांग हो रही है.

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गिलगित बाल्टिस्तान की जनता के साथ पाकिस्तान की सरकार ने दोयम दर्जे का बर्ताव किया है और इस्लामाबाद में बन रहीं नीतियों की पहुंच इस इलाके तक नहीं है. रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाला जरूरी सामान भी पहले पंजाब प्रांत और पाकिस्तान के प्रमुख इलाकों में पहुंचाया जाता है और फिर इस इलाके को मिलता है. ऐसे में सौतेले व्यवहार से यहां की जनता परेशान हो चुकी है और इस इलाके में खाने-पीने तक के सामान की किल्लत रहती है.

PoK को बनाया आतंक का अड्डा

भारत के अभिन्न अंग कश्मीर के आधे हिस्से पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा कर रखा है और उस इलाके को PoK के नाम से जाना जाता है. पाकिस्तान ने पीओके का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए किया और वहां आतंकियों के लॉन्च पैड बने हुए हैं. पीओके की जनता पाकिस्तान सरकार की नीतियों के खिलाफ खड़ी है और भारत में विलय करना चाहती है.

भारत ने भी अपना रुख साफ करते हुए पाकिस्तान से सिर्फ पीओके के मुद्दे पर बातचीत का मन बनाया है. अब तक पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को लेकर दुनियाभर के मंचों पर झूठ परोसता था. लेकिन अब भारत का साफ कहना है कि कश्मीर बातचीत का मुद्दा ही नहीं है और अब सिर्फ पीओके को वापस लौटाने के मुद्दे पर ही पाकिस्तान के साथ किसी तरह की बातचीत मुमकिन है.

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पाकिस्तान के आर्थिक हालात जिस तरह से बिगड़ रहे हैं, वहां की सरकार के लिए अलग-अलग इलाकों के विद्रोह को ज्यादा दिनों तक दबाना आसान नहीं होगा. सभी इलाकों से एक तरह की आवाजें आ हो रही हैं और लोग अपने अधिकारी की रक्षा के लिए पाकिस्तान से अलग होकर आजाद मुल्क बनाना चाहते हैं.

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