मक्का की मुख्य मस्जिद के पूर्व इमाम शेख अदील अल-कलबनी ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा है कि इस्लामिक स्टेट और सऊदी अरब के इस्लामवादियों की विचारधारा में कोई अधिक अंतर नहीं है. इमाम ने कहा कि सऊदी अरब भी कुरान से निकली शरीयत कानून का ही पालन करता है.
दुबई के एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उनहोंने कहा, 'हम इस्लामिक स्टेट जैसी ही विचारधारा का पालन करते हैं, लेकिन हम इसे बेहतर और परिष्कृत तरीके से लागू करते हैं.' यही नहीं, उन्होंने आगे कहा कि आईएस के सिद्धांत हमारी अपनी किताबों से है. शेख अदील ने आगे यह भी कहा कि वह उस सोच की आलोचना नहीं करते, जिस पर आईएस आधारित है.
'खुफिया एजेंसियों ने की IS के विकास में मदद'
इंटरव्यू के दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या वह मानते हैं IS का उदय इस्लामी नवजागरणवाद का परिणाम है, उन्होंने सकारात्मक अंदाज में जवाब दिया, 'खुफिया एजेंसियों और अन्य देशों ने निश्चय ही उनके विकास में मदद की है. उन्हें हथियार और गोलाबारूद मुहैया करवाए और निर्देश दिया गया.'
ब्रिटेन ने 2013 में नहीं दिया था वीजा
गौरतलब है कि 2013 में शेख अदील अल-कलबनी को ब्रिटेन ने वीजा देने से इनकार कर दिया था. इसके पीछे शिया मुसलमानों को लेकर शेख की सोच को आधार बनाया गया था. पूर्व इमाम का मानना है कि शिया वो लोग हैं, जिन्होंने इस्लाम को छोड़ दिया है. इंटरव्यू के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि आईएस और सऊदी अरब के इस्लामवादी इस विचार से सहमत हैं कि जिन लोगों ने इस्लाम छोड़ देते हैं उनको खत्म कर देना चाहिए.
इस्लामिक स्टेट द्वारा पत्रकारों की हत्या के बारे में सवाल का जवाब देते हुए शेख अदील ने कहा, 'उनका खून इस्लामवादियों के फतवे के आधार पर बहाया गया.'