
Who is Viktor Yanukovych: रूस और यूक्रेन में जंग जारी है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन की सत्ता से वोलोडिमीर जेलेंस्की को हटाकर उनकी जगह विक्टर यानुकोविच को बैठाना चाहते हैं. इस बात का दावा यूक्रेन की मीडिया में किया जा रहा है. यूक्रेन की मीडिया के मुताबिक, कीव पर कब्जा होने के बाद विक्टर यानुकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति बन जाएंगे. विक्टर यानुकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति रहे हैं और 8 साल पहले बगावत के चलते उन्हें देश छोड़ना पड़ा था.
विक्टर यानुकोविच 2010 में यूक्रेन के राष्ट्रपति चुने गए थे. उन्होंने उस समय यूरोपियन यूनियन के साथ रिश्ते बढ़ाने का वादा किया था. लेकिन नवंबर 2013 में यानुकोविच यूरोपियन यूनियन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने से पीछे हट गए थे. इस समझौते के तहत यूक्रेन को 15 अरब डॉलर का आर्थिक पैकेज मिलने वाला था.
जब यानुकोविच इस समझौते से पीछे हटे तो उनके खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए. फरवरी 2014 में यूक्रेन की संसद ने भी उन्हें पद से हटाने वाले प्रस्ताव को पास कर दिया, लेकिन उससे पहले ही यानुकोविच यूक्रेन छोड़कर भाग गए.
17 साल की उम्र में जेल गए
विक्टर यानुकोविच का जन्म डोनेत्स्क के येनाकीव शहर में एक गांव में हुआ था. उनकी मां रूसी नर्स थीं, जबकि पिता लोको पायलट थे. यानुकोविच जब दो साल के थे, तभी उनकी मां की मौत हो गई. कुछ सालों बाद उनके पिता की भी मौत हो गई. यानुकोविच की उम्र जब 17 साल थी, तब चोरी और मारपीट के मामले में उन्हें 3 साल की जेल हो गई. 1970 में उन्हें फिर मारपीट के मामले में 2 साल की कैद और हुई.
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पहले प्रधानमंत्री और फिर राष्ट्रपति बने
- यानुकोविच का राजनीतिक सफर अगस्त 1996 से शुरू हुआ, जब उन्हें डोनेत्स्क का वाइस हेड नियुक्त किया गया. मई 1997 में उन्हें गवर्नर बनाया गया.
- नवंबर 2002 में यूक्रेन के तब के प्रधानमंत्री एनाटोली किनाख ने इस्तीफा दे दिया. तब तत्कालीन राष्ट्रपति लियोनिड कुचमा ने यानुकोविच को प्रधानमंत्री नियुक्त किया.
- 2004 में यूक्रेन में राष्ट्रपति का चुनाव हुआ. यानुकोविच इस चुनाव में खड़े हुए. इस चुनाव में पहले राउंड में यानुकोविच जीत गए, लेकिन विपक्षी पार्टी समेत अंतरराष्ट्रीय जगत ने धांधली के आरोप लगाए. बाद में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में फिर से गिनती हुई और यानुकोविच हार गए.
- इसी बीच 2006 में यानुकोविच दोबारा प्रधानमंत्री बन गए. 2010 में यूक्रेन में राष्ट्रपति चुनाव हुए. यानुकोविच दोबारा इसमें खड़े हुए. यानुकोविच पर इस बार प्रचार के दौरान वित्तीय गड़बड़ी करने का आरोप लगा. अनुमान था कि इस चुनाव में यानुकोविच ने 100 से 150 मिलियन डॉलर का खर्च किया.
- फरवरी 2010 में वोटों की गिनती हुई. यानुकोविच को करीब 49 फीसदी वोट मिले, जबकि विपक्षी उम्मीदवार यूलिया तिमोशेंको को 46 फीसदी वोट मिले.
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ऐसी बगावत हुई कि देश छोड़कर भागना पड़ा
- यानुकोविच जब राष्ट्रपति बने तो कहा, 'हम एक संतुलित नीति बनाएंगे जो पूर्वी सीमा पर हमारे देश के हितों की सुरक्षा करेगी, मेरा मतलब रूस से है और हां यूरोपियन यूनियन के साथ भी.' यानुकोविच का कहना था कि वो यूक्रेन को एक न्यूट्रल देश बनाएंगे, जिसके सभी के साथ अच्छे संबंध हों.
- हालांकि, नवंबर 2013 में यानुकोविच अपने वादे से मुकर गए और यूरोपियन यूनियन के साथ समझौता करने से पीछे हट गए. इस फैसले के खिलाफ कीव की सड़कों पर लोग उतर आए. देखते ही देखते देशभर में विरोध शुरू हो गया और दंगे जैसे हालात बन गए.
- इसी दौरान यानुकोविच की सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे. 22 फरवरी 2014 को यूक्रेन की संसद में यानुकोविच को पद से हटाने के प्रस्ताव पर वोटिंग हुई. 447 में से 328 सदस्यों ने उन्हें हटाने के पक्ष में वोट दिया. हालांकि, उससे पहले ही यानुकोविच देश छोड़कर रूस चले गए.
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'सोने के महल' में रहते थे यानुकोविच
- 2002 में यानुकोविच जब प्रधानमंत्री बने तो उन्हें डोनेत्स्क से कीव आना पड़ा. कीव में उन्हें सरकारी बंगला मिला, लेकिन उन्होंने इसे लेने से मना कर दिया. उन्होंने कीव में निप्रो नदी के किनारे बने लक्जीरियस बंगले Mezhyhirya में रहने को कहा. उन्होंने इसका किराया देने की बात कही.
- Mezhyhirya 14वीं सदी में बना था और काफी लक्जीरियस था. यहां सारी सुविधाएं थीं. इस पर सोने की कलर का पेंट किया गया था, इसलिए इसे 'सोने का महल' भी कहा जाता है. ये 5 मंजिला रेसिडेंस 350 एकड़ में फैला हुआ था. ये सरकारी इमारत थी. 2005 में यानुकोविच ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया तो उन्हें ये घर छोड़ना पड़ा.
- 2009 में यानुकोविच ने इस घर पर अपना दावा कर दिया. उन्होंने दावा किया कि इसे उन्होंने खरीद लिया है और अब ये प्राइवेट प्रॉपर्टी है. हालांकि, उन्होंने ये नहीं बताया कि इसे कितने में खरीदा. अनुमान लगाया गया कि इस घर की कीमत 75 से 100 मिलियन डॉलर होगी. हालांकि, कई आरोप भी लगे. बाद में विपक्ष ने इसे भ्रष्टाचार का केंद्र भी बताया.
- फरवरी 2014 में जब यानुकोविच देश छोड़कर भाग गए तो दो दिन बाद ही संसद में एक प्रस्ताव पास कर Mezhyhirya को फिर से सरकारी संपत्ति बना दिया गया. बाद में नवंबर 2014 में Mezhyhirya को म्यूजियम घोषित कर दिया गया.