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लोगों ने ठुकराई आजादी, ब्रिटेन का ही हिस्सा बना रहेगा स्‍कॉटलैंड, पीएम कैमरन खुश

स्कॉटलैंड ब्रिटेन का ही हिस्सा बना रहेगा. जनमत संग्रह में वहां के लोगों ने आजादी को ठुकरा दी है. स्कॉटलैंड के 32 निकायों में से ज्यादातर निकायों ने आजादी के खिलाफ वोट डाले. ब्रिटिश पीएम डेविड कैमरन ने नतीजों पर खुशी जताई है.

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स्कॉटलैंड ब्रिटेन का ही हिस्सा बना रहेगा. जनमत संग्रह में वहां के लोगों ने आजादी को ठुकरा दी है. स्कॉटलैंड के 32 निकायों में से 28 ने आजादी के खिलाफ वोट डाले. ब्रिटिश पीएम डेविड कैमरन ने नतीजों पर खुशी जताई है. उन्होंने कहा कि फैसले के बाद अब बड़ी जिम्मेदारी आ गई है.

स्कॉटलैंड में जनमत संग्रह इस बात को लेकर हुआ कि स्कॉटलैंड को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए या नहीं. स्कॉटलैंड पिछले 307 साल से ग्रेट ब्रिटेन का हिस्सा है.

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55 फीसदी लोगों ने ब्रिटेन के साथ रहने के लिए वोटिंग की जबकि 45 फीसदी अलग रहने के पक्ष में रहे. करीब 42 लाख 85 हजार मतदाताओं ने इस जनमत संग्रह में हिस्सा लिया जो स्कॉटलैंड की आबादी का करीब 97 फीसदी है. जनमत संग्रह में 16 साल से उपर के नागरिकों को भी वोटिंग का अधिकार दिया. यह स्कॉटलैंड में अब तक का सबसे बड़ा जनमत संग्रह है.

ब्रिटेन के इतिहास में यह पहला मौका है, जब स्कॉटलैंड को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करने के लिए जनमत संग्रह कराए गए. यदि स्कॉटलैंड की जनता का बहुमत स्वतंत्र राष्ट्र के पक्ष में होता, तो शेष ब्रिटेन के साथ बातचीत और समझौते के बाद 24 मार्च, 2016 को स्कॉटलैंड स्वतंत्र राष्ट्र बन जाता.

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अगर स्कॉटलैंड ब्रिटेन से अलग होता तो ब्रिटिश प्रधानमंत्री कैमरुन की कुर्सी जा सकती थी और उनकी सरकार अल्पमत में आ सकती थी. कैमरन ने लोगों से अपील की थी कि वे एक साथ रहने के लिए यूनाइटेड किंगडम को बचाने के पक्ष में मतदान करें. हालांकि, एग्जिट पोल में 54 फीसदी लोगों ने ब्रिटेन के साथ बने रहने की की बात कही थी जबकि 46 फीसदी लोग अलग होना चाहते हैं. (ग्लासगो में स्कॉटलैंड का झंडा लहराते देश की आजादी के समर्थक)

टेनिस स्टार एंडी मर्रे ने स्कॉटलैंड की स्वतंत्रता का समर्थन किया था. मर्रे ने ट्विट कर आजादी के पक्ष में वोट देने की की अपील की थी.

अक्टूबर, 2012 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और स्कॉटलैंड के पहले मंत्री एलेक्स साल्मंड (स्कॉटिश नेशनल पार्टी) ने एडिनबर्ग समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत स्कॉटलैंड को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करने के लिए 2014 में जनमत संग्रह कराने का समझौता हुआ था. हालांकि, इससे पहले भी साल 1979 और 1997 में स्कॉटलैंड में जनमत संग्रह हो चुके थे.

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