प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर चीन पहुंच गए हैं. वुहान एयरपोर्ट पर पीएम मोदी को विदेश मंत्रालय के असिस्टेंट मिनिस्टर कॉग जुआंगयू और हुबेई के वाइस गवर्नर टॉग डाओचा ने रिसीव किया. चीन के शहर वुहान में आयोजित होने वाले शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से आज यानी शुक्रवार को मिलेंगे. इस मुलाकात में दोनों नेताओं के बीच भारत-चीन से जुड़े कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी. खास बात ये है कि इस बैठक में न कोई समझौता होगा और न ही कोई साझा बयान जारी किया जाएगा. 2014 में सत्ता में आने के बाद से मोदी की यह चौथी चीन यात्रा होगी.
#WATCH: Prime Minister Narendra Modi arrives in Wuhan, #China. The PM was received by Kong Xuanyou, Assistant Minister of the Ministry of foreign affairs of China, Luo Zhaohui (Ambassador), Tong Daochi (Vice-Governor of Hubei) and many others. pic.twitter.com/Kuq2k2j8gy
— ANI (@ANI) April 26, 2018
चीन रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया कि मैं चीन के वुहान की यात्रा पर जा रहा हूं, जहां 27-28 अप्रैल को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अनौपचारिक शिखर बैठक होगी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शी और मैं द्विपक्षीय और वैश्विक महत्व के विविध विषयों पर व्यापक चर्चा करेंगे और विचारों का आदान प्रदान करेंगे. हम अपनी अपनी दृष्टि और राष्ट्रीय विकास के बारे में प्राथमिकताओं पर चर्चा करेंगे, जिसमें खास तौर पर वर्तमान एवं भविष्य के अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य के विषय शामिल होंगे. मोदी ने कहा कि इसमें भारत-चीन संबंधों के सामरिक और दीर्घकालिक पहलुओं के संदर्भ में समीक्षा की जाएगी.
PM @narendramodi landed in China a short while ago. pic.twitter.com/YwJAYASlYJ
— PMO India (@PMOIndia) April 26, 2018
भारत की इन चिंताओं पर हो सकती है चर्चा
1. सीमा विवाद
मोदी और जिनपिंग की मीटिंग में भारत-चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद पर भी चर्चा हो सकती है. दोनों नेता डोकलाम विवाद को लेकर भी चर्चा कर सकते हैं. बता दें, चीन की ओर से डोकलाम में सड़क निर्माण की कोशिशों के बीच ये विवाद जारी हुआ था. इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था.
2. व्यापार असंतुलन
इस मीटिंग में दोनों देशों के बीच व्या पार को लेकर भी चर्चा हो सकती है. इसमें व्याीपार असंतुलन का मुद्दा अहम होगा. बता दें, चीन भारत के मार्केट पर काफी हद तक कब्जा जमाए हुए हैं. इतना भारत की ओर से चीन के मार्केट के लिए नहीं किया गया. इसी व्याभपारिक असंतुलन पर दोनों देशों के नेता चर्चा कर सकते हैं.
3. PoK में चीन के दखल पर चर्चा
हाल के दिनों में देखने में आया है कि पाकिस्ताकन अधिकृत कश्मीोर (POK) में चीन का दखल बढ़ रहा है. ऐसी भी जानकारी है कि पाकिस्ता न इस इलाके की सीमा के पास चीन की सहायता से सड़क निर्माण में लगा है. ऐसे में भारत के लिए ये चिंता का विषय बना हुआ है. इन दोनों नेताओं की मीटिंग में इस मुद्दे पर भी चर्चा हो सकती है.
4. आतंकी मसूद अजहर
चीन मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कराने की भारत की कोशिशों में अड़ंगा लगाता रहा है. ऐसे में इस मीटिंग में मसूद अजहर पर भी चर्चा हो सकती है. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि जैश-ए- मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से पाबंदी लगाए जाने जैसे मुद्दे इस मीटिंग में नहीं उठने चाहिए. क्योंसकि शिखर वार्ता ऐसा मंच नहीं है जहां मसूद के बारे में बात की जाए. लेकिन भारत के लिए ये भी चिंता का विषय बना हुआ है.
5. ब्रह्मपुत्र नदी पर हाइड्रोपावर परियोजना
इसके अलावा भारत और चीन के बीच ब्रह्मपुत्र नदी पर हाइड्रोपावर परियोजना को लेकर भी चर्चा हो सकती है. सिर्फ सुरक्षा ही नहीं, चीन की इस परियोजना को लेकर पर्यावरणीय चिन्ताएं भी बनी हुई है. इसके अलावा भी भारत की कई चिंताएं हैं जिसको लेकर दोनों देशों के बीच बात हो सकती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे से पहले ड्रैगन ने भारत में बढ़ते अपने निवेश को लेकर खुशी जताई है. उसने जानकारी दी है कि साल 2017 के अंत तक भारत में चीन का निवेश 532 अरब रुपये का आंकड़ा पार कर गया है. चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता गाओ फेंग ने भारत में बढ़ते निवेश को दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने वाला कदम बताया.
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी के बीच की इस शिखर वार्ता को अनौपचारिक कहा गया है. ऐसा इसलिए कि इस वार्ता के दौरान किसी समझौते पर दस्तखत नहीं होगा. कोई साझा बयान जारी नहीं होगा और शिष्टमंडल स्तर की भी बातचीत जैसा मामला नहीं होगा. ये मौक़ा दोनों देशों के प्रमुखों के बीच अनौपचारिक सीधी आपसी बातचीत का होगा.
मोदी 9 और 10 जून को क्विंगदाओ शहर में होने जा रहे एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भी चीन जा सकते हैं. डोकलाम विवाद के कारण दोनों देशों के संबंधों में आए खटास को दूर करने के लिये हाल के समय में दोनों पक्षों ने कई कदम उठाये हैं. इस दिशा में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने चीन की यात्रा की थी.
इसके बाद, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज आठ देशों के शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन गई थीं. इसी दौरान रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी चीन के दौरे पर पहुंचीं.
शिखर सम्मेलन के लिए शी जिनपिंग आज ही वुहान शहर पहुंच गए हैं. पीएम मोदी कल इस शिखर सम्मेीलन में पहुंचेंगे. वुहान शिखर सम्मेलन में अनौपचारिक माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है, इसमें बिना किसी तय एजेंडा के कई व्यापक मसलों पर बात होगी और अगले 100 साल के लिए एक खाका तैयार हो सकता है. दोनों नेता अब डोकलाम से आगे बढ़ जाने की बात करेंगे.