scorecardresearch
 

इस्लामिक मुल्क में हिंदू मंदिर... जानें- UAE के लिए इतना खास कैसे बना भारत

भारत ने 1972 में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को मान्यता दी थी. लेकिन दोनों देशों के बीच 2017 के बाद नए रणनीतिक और आर्थिक संबंध स्थापित हुए. दोनों मुल्कों के बीच सालाना कारोबार 85 अरब डॉलर का रहा है, जो अगले पांच सालों में बढ़कर 100 अरब डॉलर होने का लक्ष्य है. भारत में यूएई लगभग 11.67 अरब डॉलर निवेश करता है. यूएई की आबादी लगभग एक करोड़ है, जिसमें 38 लाख भारतीय हैं.

Advertisement
X
भारत और यूएई के लगातार मजबूत हो रहे संबंध
भारत और यूएई के लगातार मजबूत हो रहे संबंध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की राजधानी अबू धाबी में हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया. यूएई जैसे कट्टर इस्लामिक देश में 27 एकड़ जमीन पर हिंदू मंदिर के निर्माण को मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है. मोदी ने इससे पहले अबू धाबी में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा था कि 2015 में जब मैंने यूएई के क्राउन प्रिंस रहे शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के सामने यहां हिंदू मंदिर बनाने का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने बिना एक पल गंवाए कह दिया कि जिस जमीन पर लकीर खींच दोगे, वो दे दूंगा. ये महज एक बयान नहीं था बल्कि दोनों नेताओं के बीच मजबूत होते रिश्तों का प्रमाण था.

लेकिन आज भारत और यूएई के रिश्ते जिस दौर में हैं, वैसे शायद पहले ही कभी रहे हों. एक वक्त ऐसा भी था, जब दोनों मुल्कों के बीच तल्खी चरम पर पहुंच गई थी. 1999 में भारत के ICI183 विमान को हाईजैक कर कंधार ले जाने से पहले यूएई ले जाया गया था. यह विमान जहां उतरा था, उस एयरबेस में यूएई ने भारतीय राजदूत को जाने से रोक दिया गया था. भारत दरअसल वहां कमांडो ऑपरेशन शुरू करना चाहता था, जिसे यूएई ने सिरे से खारिज कर दिया था. 

इसके बाद से लगातार दोनों देशों के रिश्तों में उतार-चढ़ाव आता रहा. लेकिन रिश्तों पर जमी ये बर्फ उस समय पिघलनी शुरू हुई, जब नरेंद्र मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद 2015 में यूएई की यात्रा की. ये 34 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यूएई की पहली यात्रा थी. उनसे पहले 1981 में इंदिरा गांधी यूएई का दौरा कर चुकी थीं. इंदिरा का ये दौरा भी कई मायनों में खास था. 

Advertisement

5000 साल पुरानी है रिश्तों की जड़ें

भारत और यूएई के बीच रिश्तों की जड़ें 5 हजार साल से भी ज्यादा पुरानी मानी जातीं हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक,  तीन हजार ईसा पूर्व से भी पहले भारत और अमीरातों के बीच कारोबार हुआ करता था. उस समय एक संघ के तौर पर यूएई की स्थापना नहीं हुई थी. प्राचीन समय में दोनों के बीच कारोबार के तीन अहम केंद्र हुआ करते थे. इनमें मेलुहा (हिंदू घाटी की सभ्यता यानी आज का भारत), मगन (ओमान और यूएई के कुछ हिस्से) और दिलमुन (बहरीन और सऊदी अरब का कुछ इलाका) शामिल था. लेकिन फिर आया साल 1971, जब यूएई सात अमीरातों के संघ के रूप में अस्तित्व में आया, जिसमें अबू धाबी,  दुबई,  शारजाह,  अजमान, उम्म अल-क्वैन. फुजैराह और रास अल खैमा शामिल हैं. अमीरात को असल में रियासत कहा जाता है. इसके सालभर के भीतर 1972 में भारत ने यूएई के साथ राजनयिक संबंधों को स्थापित कर दिया.

पीएम मोदी और नाहयान की दोस्ती की नींव

यूं तो 2015 से ही भारत सरकार की फॉरेन पॉलिसी में खाड़ी मुल्कों से संबंध में सुधार प्राथमिकता रहा है. लेकिन मोदी का 2015 का यूएई दौरा दोनों देशों के संबंधों के लिए रामबाण साबित हुआ. उस समय यूएई के क्राउन प्रिंस रहे शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने प्रोटोकॉल को दरकिनार कर एयरपोर्ट पर पीएम मोदी का स्वागत किया. कहा जाता है कि यहीं से दोनों नेताओं की दोस्ती की नींव पड़ गई थी.

Advertisement

ये नींव इतनी गहरी थी कि अगले साल 2016 में ही नाहयान पीएम मोदी के न्योते पर भारत आए. इसके बाद 2017 में गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में उन्हें बतौर चीफ गेस्ट आमंत्रित किया गया. यहां भी गौर करने वाली बात ये है कि 2017 में नाहयान यूएई के क्राउन प्रिंस ही थे, जबकि रिपब्लिक डे कार्यक्रम के लिए किसी भी देश के शासक को बतौर चीफ गेस्ट इनवायट करने का रिवाज है. 

2018 में मोदी एक बार फिर यूएई के दौरे पर गए,  जो एक स्टेट विजिट था. यह मोदी का स्वागत हुआ. नाहयान की मेजबानी में एक भव्य भोज का आयोजन किया गया. इस तरह 2015 से 2023 तक मोदी कुल सात बार यूएई का दौरा कर चुके हैं और नाहयान चार बार भारत आ चुके हैं. 

इस साल की शुरुआत में नाहयान वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में हिस्सा लेना भारत आए थे. उन्हें भारत सरकार ने बतौर चीफ गेस्ट इनवायट किया था. इस दौरान पीएम मोदी और नाहयान का रोड शो भी हुआ था. 

ये पीएम मोदी और नाहयान की दोस्ती ही है कि यूएई ने मोदी को दुबई में होने जा रहे वर्ल्ड गवर्मेंट ग्लोबल समिट में बतौर चीफ गेस्ट इनवायट किया है. 

खरीदारी और बिक्री से ऊपर उठे दोनों मुल्कों के रिश्ते

Advertisement

2015 से पहले तक भारत और यूएई के रिश्ते सिर्फ कारोबार तक ही सीमित थे. दोनों मुल्क खरीदारी और बिक्री की चर्चा में ही मशगूल थे, लेकिन मोदी के सत्ता में आने के बाद वे यूएई के साथ भारत के संबंधों को निजी स्तर तक लेकर गए. इस दौरान दोनों मुल्कों के रिश्तों में गुणात्मक सुधार आया है. 

भारत ने 1972 में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को मान्यता दी थी. लेकिन दोनों देशों के बीच 2017 के बाद नए रणनीतिक और आर्थिक संबंध स्थापित हुए. दोनों मुल्कों के बीच सालाना कारोबार 85 अरब डॉलर का रहा है, जो अगले पांच सालों में बढ़कर 100 अरब डॉलर होने का लक्ष्य है. भारत में यूएई लगभग 11.67 अरब डॉलर निवेश करता है. यूएई की आबादी लगभग एक करोड़ है, जिसमें 38 लाख भारतीय हैं.

1970 के दशक में भारत और यूएई के बीच कारोबार 18 करोड़ डॉलर था, 2023 में 85 हो गया. कॉप 28 में मंच से भाषण हुआ, 

दुबई के COP-28 समिट में मोदी थे सेंटर ऑफ अट्रेक्शन

पिछले साल नवंबर-दिसंबर में हुए समिट में पीएम मोदी भी पहुंचे थे. वर्ल्ड क्लाइमेट एक्शन समिट की सालाना बैठक में कार्बन उत्सर्जन को कम करने सहित जलवायु परिवर्तन से निपटने को लेकर मंथन हुआ था. इस समिट में दुनियाभर के नेताओं को बुलाया गया था लेकिन उद्घाटन सत्र में सिर्फ पीएम मोदी ही अकेले ऐसे शख्स थे, जो किसी सरकार के प्रमुख थे. 

Advertisement

यूएई में हिंदू मंदिर के मायने

यूएई एक इस्लामिक राष्ट्र है और इसकी राजधानी अबू धाबी को कमोबेश अधिक कट्टरपंथी जगह माना जाता है. किसी ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि अबू धाबी जैसी बेहद कट्टरपंथी जगह पर हिंदू मंदिर खुलेगा. लेकिन इसका खुलना बेहद स्पष्ट और सकारात्मक संदेश देता है. इसे मोदी सरकार की कायमाबी के तौर पर देखा जा सकता है. कहा जा रहा है कि मोदी ने यूएई के राष्ट्रपति नाहयान के साथ घनिष्ठ दोस्ती की, जिसके बाद उन्होंने भारत को मंदिर निर्माण के लिए 27 एकड़ की जमीन गिफ्ट में दी.

लेकिन यहां सवाल यूएई में 27 एकड़ जमीन पर हिंदू मंदिर खुलने का नहीं है बल्कि दोनों मुल्कों के लगातार मजबूत होते उन रिश्तों का है, जिस वजह से इस्लामिक देश में इतना भव्य हिंदू मंदिर का खुलना संभव हो पाया. अबू धाबी का ये हिंदू मंदिर मिडिल ईस्ट का पहला ऐसा मंदिर है, जिसे ध्रुव की दो धुरी पर खड़े मुल्कों के रिश्तों के प्रतीक के तौर पर देखा जाएगा. 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement