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विदेश दौरे पर अम्मान पहुंचे मोदी, यूएई दौरे पर लिखेंगे नई कहानी?

यूएई की सरजमी से दोनों देश की घनिष्ठता और मित्रता, धार्मिक कट्टरवाद के खिलाफ एक कड़ा संदेश देगी. इसका शुभारंभ एक भव्य मंदिर के निर्माण से होगा जिसके लिए यूऐई सरकार ने भारत को जमीन दी है.

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फिलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ पीएम मोदी (फाइल फोटो)
फिलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ पीएम मोदी (फाइल फोटो)

प्रधानमंत्री मोदी तीन दिन के विदेश दौरे पर हैं. इस यात्रा के दौरान उनका पहला ठहराव अम्मान रहा. यहां मोदी ने जॉर्डन के शासक अबदुल्ला II बिन अल हुसैन से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद मोदी जब फोर सीजंश होटल में पहुंचे तो वहा मौजूद भारतीय मूल के लोगों ने उनका स्वागत किया. इव लोगों में मोदी के साथ सेल्फी लेने की होड़ लग गई. इस दौरान, 'भारत माता की जय' के नारे गूंजते रहे.

इसके बाद मोदी फिलीस्तीन और यूएई का दौरा करेंगे. यूएई के इस दौरे पर भारत और यूएई एक नई कहानी लिखने वाले हैं. यह कहानी है सांप्रदायिक सौहार्द और सर्व धर्म समभाव की. यूएई की सरजमी से दोनों देश की घनिष्ठता और मित्रता, धार्मिक कट्टरवाद के खिलाफ एक कड़ा संदेश देगी. इसका शुभारंभ एक भव्य मंदिर के निर्माण से होगा जिसके लिए यूऐई सरकार ने भारत को जमीन दी है.

प्रधानमंत्री जब पहली बार यूऐई आए तो उनके आने से इतिहास रचा था क्योंकि 34 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने संयुक्त अरब अमीरात कि जमीन पर कदम रखा था. तीन साल बाद उनका यह पहल मील का पत्थर साबित हो रही है.

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11 फरवरी को सुबह लगभग 9:30 बजे जब प्रधानमंत्री प्रवासी भारतीयों को संबोधित कर रहे होंगे तब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अबू धाबी के पहले मंदिर का शिला पूजन होगा. इस मंदिर के निर्माण की जिम्मेदारी स्वामीनारायण ट्रस्ट को दी गई है.

गुजरात के स्वामीनारायण मंदिर जैसे यूके, यूएस, कैनेडा समेत दुनिया भर में 12 मंदिर हैं. बताया जा रहा है कि यूएई में बनने जा रहे मंदिर का नक्शा अक्षरधाम की तर्ज पर बनाया गया है.

हालांकि, यह मंदिर थोड़ा छोटा जरूर होगा पर इसका आर्किटेक्चर न्यू जर्सी के मंदिर से मेल खाता है. जाहिर है इसमें पुस्तकालय, म्यूजियम, साधना के लिए मेडिटेशन सेंटर और बच्चों के लिए अलग से केंद्र बनाया जाएगा. इसमें लगने वाले पत्थर खासतौर पर जयपुर से मंगवाए जाएंगे.

दरअसल, 2015 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां आए थे तो तमाम प्रवासी भारतीयों ने मंदिर की मांग उठाई थी. अब इस मंदिर के निर्माण से दोनों देश चरमपंथी ताकतों और आतंकवाद फैलाने वालों को भी संदेश देना चाहते हैं. यह मंदिर न तो सिर्फ एक धार्मिक स्थल होगा बल्कि यूं ही भारत की घनिष्ठता और दोस्ती की मिसाल भी बनेगा.

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