पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता की आजादी को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी दिसंबर 2022 में इस सच्चाई को स्वीकार किया था कि पाकिस्तान में लगातार हिंसक घटनाओं से अल्पसंख्यक खुद को कमजोर और डरा हुआ महसूस कर रहे हैं.
शहबाज शरीफ ने क्रिसमस समारोह को संबोधित करते हुए हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों और पारसियों सहित पाकिस्तान में सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने का वादा किया था. पाक प्रधानमंत्री के वादों के विपरीत पाकिस्तान एक बार फिर कट्टर इस्लामिक कानून पास किया है.
पाकिस्तान की संसद ने सोमवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें सिफारिश की गई है कि देश के सभी विश्वविद्यालयों में कुरान की पढ़ाई अनिवार्य कर दी जाए.
प्रस्ताव के अनुसार, पाकिस्तान के सभी विश्वविद्यालय में कुरान को अनुवाद के साथ पढ़ाया जाएगा. तजवीद और तफसीर को सभी विश्वविद्यालयों और सभी विषयों के छात्रों के लिए अनिवार्य कर दिया जाएगा.
अंग्रेजी अखबार 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' के अनुसार, इसकी कोई परीक्षा नहीं होगी. न ही इसके कोई अतिरिक्त अंक दिए जाएंगे. परीक्षा या मार्किंग नहीं करने का मकसद यह है कि यह अध्ययन सिर्फ पढ़ने और ज्ञान अर्जित करने पर केंद्रित है.
पैगंबर मोहम्मद के बारे में पढ़ाया जाएगा
रिपोर्ट के अनुसार, एक अन्य प्रस्ताव में पाकिस्तानी संसद के ऊपरी सदन ने कहा कि इस प्रस्ताव का मकसद युवा पीढ़ी के मन में पैगंबर मोहम्मद के सीराह के विस्तृत और व्यापक ज्ञान को विकसित करना है. इस प्रस्ताव में यह बताया गया है कि यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्रों को पैंगबर मोहम्मद के बारे में कैसे बताया जाएगा.
इस दोनों प्रस्ताव को जमात-ए-इस्लामी पार्टी के सांसद मुश्ताक अहमद ने पेश किया. प्रस्ताव को पेश करते हुए उन्होंने कहा कि ये दोनों प्रस्ताव संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप हैं.
क्या कहा था शहबाज शरीफ ने
पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने इस्लामाबाद के एक चर्च में क्रिसमस समारोह समारोह को संबोधित करते हुए कहा था कि हम चाहते हैं कि पाकिस्तान सभी धर्मों के बीच शांति और भाईचारे का आह्वान करने वाले कायद-ए-आजम और अल्लामा मोहम्मद इकबाल की सोच और शिक्षाओं के अनुसार आगे बढ़े.
पाकिस्तानी प्रधान मंत्री ने इस तथ्य को स्वीकार किया था कि पाकिस्तान में हिंसक घटनाओं की वजह से अल्पसंख्यक कमजोर और डरा हुआ महसूस कर रहे हैं. संबोधन के दौरान शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान में सभी अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने का वादा किया था.
उन्होंने कहा था कि दुनियाभर में सभी धर्मों के लोग शांति और सद्भाव से रहना चाहते हैं. किसी को भी दूसरों पर अत्याचार और अन्याय नहीं करना चाहिए. इस्लाम या कोई भी अन्य धर्म दूसरों के अधिकारों का हनन करने और एक दूसरे का धर्म परिवर्तन करने की इजाजत नहीं देता है.