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सिंधु पर खून बहाने की बात करने वाले पाक को याद आया कानून, अब लीगल लड़ाई की घुड़की

पहले पाकिस्तानी नेता 'सिंधु में पानी बहेगा या फिर खून बहेगा' जैसे बड़े-बड़े बयान दे रहे थे. लेकिन अब उन्हें भी अपनी औकात का पता चल चुका है. इसी वजह से सिंधु जल संधि सस्पेंड करने के भारत के कदम को लेकर पाकिस्तान अब अंतरराष्ट्रीय कानूनी कार्रवाई शुरू करने की तैयारी कर रहा है.

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भारत ने सिंधु जल समझौता किया सस्पेंड (फाइल फोटो)
भारत ने सिंधु जल समझौता किया सस्पेंड (फाइल फोटो)

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए 6 दशक पुराने सिंधु जल समझौते को सस्पेंड कर दिया है. इस फैसले से पाकिस्तान में बुरी तरह बौखलाहट है और वह लगातार भारत को गीदड़भभकी दे रहा है. लेकिन अब भारत की तैयारियां देखकर पाकिस्तान की हवा निकल चुकी है और सिंधु जल संधि स्थगित होने के बाद पड़ोसी देश कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है.

6 दशक पुराना समझौता सस्पेंड

भारत ने पाकिस्तान के साथ 1965, 1971 और 1999 की जंग के बाद भी सिंधु जल समझौते को स्थगित नहीं किया था. यहां तक कि पुलवामा और उरी अटैक के बाद भी भारत ने संधि को जारी रखा था. लेकिन इस बार पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की बारी है और यही वजह है कि पहलगाम हमले के बाद भारत ने तुरंत अपनी तरफ 1960 में हुए इस जल समझौते को स्थगित कर दिया है.

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पहले पाकिस्तानी नेता 'सिंधु में पानी बहेगा या फिर खून बहेगा' जैसे बड़े-बड़े बयान दे रहे थे. लेकिन अब उन्हें भी अपनी औकात का पता चल चुका है. इसी वजह से सिंधु जल संधि सस्पेंड करने के भारत के कदम को लेकर पाकिस्तान अब अंतरराष्ट्रीय कानूनी कार्रवाई शुरू करने की तैयारी कर रहा है. और देश की टॉप लीगल बॉडी ने इस मामले में सरकार की सहायता के लिए एक कमेटी का भी गठन किया है.

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कानूनी विकल्प खोज रहा पाकिस्तान

पाकिस्तान में कानूनी मामलों के राज्य मंत्री बैरिस्टर अकील मलिक ने 'रॉयटर्स' को बताया कि सरकार कम से कम तीन अलग-अलग कानूनी विकल्पों पर काम कर रही है, जिसमें इस मुद्दे को विश्व बैंक के सामने उठाना भी शामिल है, जिसने समझौते के दौरान मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी और आज भी संधि में मध्यस्थ है.

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उन्होंने कहा कि वह स्थायी मध्यस्थता न्यायालय या हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट में कार्रवाई करने पर भी विचार कर रहा है. यहां पाकिस्तान तर्क दे सकता है कि भारत ने संधि स्थगित करके 1969 के वियना कन्वेंशन का उल्लंघन किया है. बैरिस्टर अकील ने कहा, 'कानूनी रणनीति पर विचार-विमर्श लगभग पूरा हो चुका है', उन्होंने कहा कि किन मामलों को आगे बढ़ाया जाए, इस पर जल्द फैसला लिया जाएगा, और इसमें एक से ज्यादा विकल्प शामिल होंगे.

पाकिस्तान के लिए संधि क्यों अहम

सिंधु और उसकी सहायक नदियों को पाकिस्तान की लाइफ लाइन कहा जाता है. सिंधु सिस्टम के करीब 93% पानी का इस्तेमाल पाकिस्तान सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए करता है और देश की करीब 80% कृषि भूमि इसके पानी पर निर्भर है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कृषि का अहम योगदान है. इतना ही नहीं पाकिस्तान की करीब 24 करोड़ आबादी अपनी जल जरूरतों की पूर्ति इन्हीं नदियों से करती हैं. ऐसे में भारत की ओर से समझौता रोकने के बाद पाकिस्तान के सामने गंभीर समस्या पैदा हो गई है. 

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एक्सपर्ट के मुताबिक सिंधु जल समझौता स्थगित होने का मतलब है कि भारत अब पश्चिमी नदियों पर प्रोजेक्ट के बारे में पाकिस्तान को सूचित नहीं करना करेगा, न ही कोई डेटा शेयर करेगा. ऐसे में पहले से अलर्ट या वॉर्निंग न होने से कभी नदी में ज्यादा पानी छोड़े जाने पर पाकिस्तान में बाढ़ आ सकती है और पानी रोके जाने पर सूखे जैसी आपदा आ सकती है. 

पाकिस्तान अगर मध्यस्थता कोर्ट के पास शिकायत लेकर जाता है तो भारत के पास विकल्प मौजूद है. सामरिक विशेषज्ञ चेलानी का मानना है कि भारत के पास सिंधु जल संधि से कानूनी रूप से बाहर निकलने का विकल्प है. विएना कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ ट्रीटीज, 1969 का अनुच्छेद 60 किसी राज्य को दूसरे पक्ष की ओर से भौतिक उल्लंघन की स्थिति में संधि को निलंबित करने या उससे बाहर निकलने की इजाजत देता है. ऐसे में भारत उनका संधि से जुड़े किसी फैसले को मानने के लिए बाध्य नहीं होगा.

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