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अमेरिकी महिलाओं के लिए खुल सकता है युद्धक्षेत्र का रास्ता

अमेरिकी सेना में जल्द ही एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. अमेरिकी सैन्य सेवाएं महिलाओं को अग्रिम मोर्चों पर ड्यूटी की अनुमति दे सकती हैं. इसमें युद्धक अभियानों, स्पेशल ऑपरेशन फोर्स में तैनाती आदि जिम्मेदारियां भी शामिल हैं.

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अमेरिकी सेना में जल्द ही एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. अमेरिकी सैन्य सेवाएं महिलाओं को अग्रिम मोर्चों पर ड्यूटी की अनुमति दे सकती हैं. इसमें युद्धक अभियानों, स्पेशल ऑपरेशन फोर्स में तैनाती आदि जिम्मेदारियां भी शामिल हैं.

सभी सेवाओं से मांगी रिपोर्ट

हाल ही में दो महिलाओं ने अमेरिकी सेना का मुश्किल रेंजर टेस्ट पास किया है. हालांकि, इसके आगे की राह उनके लिए काफी मुश्किल, खतरनाक और दुष्कर है. शुरुआती जानकारी के मुताबिक, थल सेना, नौसेना और वायुसेना तीनों ही उन क्षेत्रों में बदलाव कर सकते हैं जहां महिलाओं की तैनाती की अनुमति नहीं हैं. हालांकि, मरीन कोर अभी भी इंफैंट्री में महिलाओं की तैनाती से छूट मांगने की तैयारी में है. सभी सेवाओं की ओर से अपनी रिपोर्टें तैयार कराई जा रही हैं. इनकी सिफारिशें रक्षा मंत्री के पास जाएंगी. हालांकि, अभी ये सारी चर्चाएं विभागों के बीच ही चल रही हैं.

एकराय बनाने की कोशिश

लेकिन मरीन्स को इस मामले पर नौसेना और रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से विरोध का सामना करना पड़ सकता है जिनका मानना है कि सभी विभाग इस मामले पर एकराय से फैसले लें. स्पेशल ऑपरेशन कमांड महिलाओं को मिलिटरी कमांडो जॉब के लिए दौड़ में शामिल होने की अनुमति देने को तैयार दिख रहा है. इसमें नेवी सील और सेना का डेल्टा फोर्स भी शामिल है. हालांकि इन सेवाओं तक पहुंचने के लिए जरूरी अनुभव हासिल करने में अभी कई साल का वक्त लग सकता है.

कई क्षेत्रों में जुड़ीं महिलाएं

हालांकि, पिछले कुछ समय से अमेरिका में सैन्य सेवाओं में तेजी से बदलाव आ रहे हैं. महिलाएं सेना से जुड़ी विभिन्न सेवाओं में तेजी से आगे बढ़ रही हैं. जिसमें आर्मी की 160वीं स्पेशल ऑपरेशन एविएशन रेजिमेंट भी शामिल हैं. 160वीं स्पेशल ऑपरेशन एविएशन रेजिमेंट को हेलीकॉप्टर दस्ते के रूप में जाना जाता है और लादेन को मारने के ऑपरेशन में नेवी सील्स को ठिकाने तक ले जाने की जिम्मेदारी निभाई थी. नेवी सबमरीन और आर्मी की आर्टिलरी यूनिट में भी महिलाएं काम कर रही हैं.

बदलाव की शुरुआत

शुक्रवार का दिन अमेरिकी इतिहास में एक अहम दिन के रूप में जुड़ा जब दो महिलाएं जॉर्जिया के फोर्ट बेनिंग से ग्रेजुएट हुईं. दो महीने के कठिन रेजर टेस्ट पास कर ये महिलाएं अमेरिकी सैन्य सेवाओं में शामिल हुई हैं. इस दौरान उन्होंने मुश्किल युद्धक प्रशिक्षण भी हासिल किया. अपनी कड़ी मेहनत के बल पर इन महिलाओं ने रेंजर ब्लैक एंड गोल्ड टैब पहना लेकिन इतने से ही वें रेंजर रेजिमेंट का हिस्सा नहीं बन गईं. ये सारी चर्चाएं न केवल अमेरिका में महिलाओं की बदलती भूमिका पर फोकस करके हैं बल्कि सैन्य सेवाओं में भी बड़े बदलाव की सूचक है. अभी तक नौसेना और वायुसेना में भी महिलाओं की भूमिका केवल कुछ क्षेत्र तक सिमटी हुई है.

कई सेवाओं से दूर रखने की सिफारिश

पिछले साल अमेरिकी नेवी ने इस मामले में अनुमति मांगी थी जिसके मुताबिक महिलाओं को पुराने गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट्स, माइन-काउंटरमेजर शिप और पेट्रोल कोस्ट क्राफ्ट जैसी सेवाओं से दूर रहने की बात कही गई थी. ये सारी सुविधाएं आने वाले कुछ सालों में फेज आउट होने वाली हैं और इनमें महिलाओं के लिए जरूरी सुविधाओं के विकास के लिए बड़ा खर्च आएगा. इसे कारण बताकर इन सेवाओं से महिलाओं को दूर रखने की दलील दी गई थी.

अभी लगेगा वक्त

लेकिन नौसेना सचिव रे मबुस ने इस योजना को पिछले माह वापस ले लिया था. ये बात समझ ली गई कि इसी तरह के अन्य जहाजों पर महिलाएं पहले से ही ड्यूटी कर रहीं हैं. मरीन कोर ने इस साल एक टास्क फोर्स का गठन किया था जिसकी जिम्मेदारी थी महिलाओं को विभिन्न टीमों में शामिल करने के लिए स्टैंडर्ड जॉब माहौल बना सके. सेना की ओर से भी इसी तरह का वैज्ञानिक अध्ययन कराया गया था. जिसमें युद्धक ड्यूटी के लिए जरूरी सभी कार्यों की सूची तैयार की गई. इसके आधार पर सैन्य सेवाओं के लिए मानक तैयार किए गए हैं. हालांकि, सेना में आर्टिलरी और अन्य कुछ सेवाओं में महिलाओं के लिए रास्ते भी खोले गए हैं.

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