तालिबान के खिलाफ पाकिस्तानी सेना के अभियान के दौरान विस्थापित हुए उत्तरी वजीरिस्तान के लोग अब अपने घरों को लौट रहे हैं. दो महीने बीतने के बाद भी 20 लाख परिवारों में से अभी तक केवल 300 परिवारों ने घर वापसी की है. कारण, पाकिस्तान सरकार की ओर से जारी 'कोड ऑफ कंडक्ट' जिसपर हस्ताक्षर किए बिना कबीले के लोग वापस नहीं लौट सकते.
दरअसल, पाक सरकार ने एक 'सोशल कॉन्ट्रैक्ट' जारी किया है. इसपर हस्ताक्षर करने के बाद ही उत्तरी वजीरिस्तान के लोगों अपने घर-बार में वापसी कर सकते हैं. इस कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार कबीले को लोगों को वचन देना होगा कि वो पाकिस्तान सरकार के प्रति 'वफादार' रहेंगे. इसके अलावा कबीले को लोगों को इस बात की 'जिम्मेदारी' भी लेनी होगी कि उनकी वजह से ही इलाके में जिहादियों ने पैर पसारा था.
हर कबीले को बनाना होगा 'कौमी सलवेशी'
सरकार ने लोगों को माथे ये जिम्मा भी मढ़ दिया है कि हर कबीले में 40 लोगों को एक समूह होगा जो 'कौमी सलवेशी' के नाम से जाना जाएगा. इस समूह
के लोगों की ड्यूटी है कि वो इलाके पर निगरानी रखें और अगर कोई आतंकी इलाके में पनाह लेता है तो ना सिर्फ उसकी जानकारी सरकार को देनी होगी,
बल्कि उसे रोकने की हरसंभव कोशिश भी करनी होगी. अगर इस काम में लोग विफल होते हैं, तो फिर सरकार इलाके में दोबारा आर्मी ऑपरेशन शुरू करेगी
जिसके एवज में लोगों को कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा.
पिछले साल जून में पाकिस्तान सेना ने तालिबानियों के खिलाफ देश के उत्तर-पश्चिमी इलाके में ऑपरेशन लॉन्च किया था. इस दौरान करीब 67 हजार घर बर्बाद हो गए. विस्थापितों के पुनर्वास के लिए सरकार ने दूसरे देशों से करीब 800 मिलियन डॉलर यानी करीब 51 अरब रुपये की मदद मांगी है.