नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड इन दिनों सात दिवसीय चीन दौरे पर हैं. इस दौरान दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं. लेकिन प्रचंड ने जिनपिंग की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक ग्लोबल सेक्यूरिटी इनिशिएटिव (वैश्विक सुरक्षा पहल) में शामिल होने से इनकार कर दिया है.
नेपाल के इस कदम को चीन के लिए झटके के तौर पर देखा जा रहा है. क्योंकि चीन की ओर से नेपाल पर यह दबाव बनाया जा रहा था कि वो राष्ट्रपति शी जिनपिंग की वैश्विक सुरक्षा पहल (जीएसआई) और वैश्विक सभ्यता पहल (जीसीआई) में शामिल हो.
मंगलवार को चीन और नेपाल की ओर से जारी संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों देशों के बीच कई बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को लेकर समझौते हुए हैं लेकिन जीएसआई का उल्लेख नहीं किया गया है. हालांकि, नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने चीन की एक और महत्वाकांक्षी योजना क्रॉस-बॉर्डर कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट में शामिल होने पर सहमति जताई है.
जिनपिंग की तीन नई पहलें
दोनों देशों की ओर से जारी बयान में आगे कहा गया है कि चीन की ओर से प्रस्तावित वैश्विक विकास पहल (जीडीआई) का नेपाल समर्थन करता है और इस समूह में शामिल होने पर विचार करेगा. इसके अलावा बयान में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) प्रोजेक्ट के तहत दोनों देशों के बीच हुए समझौते का उल्लेख भी किया गया है. बीआरआई को लेकर कहा गया है कि दोनों देश इस योजना को अंतिम रूप देने के लिए एक-दूसरे के सहयोग में तेजी लाएंगे.
वैश्विक विकास पहल (जीडीआई),वैश्विक सुरक्षा पहल (जीएसआई) और वैश्विक सभ्यता पहल (जीसीआई) जिनपिंग द्वारा लॉन्च की गई तीन नई पहलें हैं, जो जिनपिंग के तीसरे कार्याकाल के दौरान चीन की विदेश नीति को रेखांकित करेंगी.
नेपाल का संतुलित कदम
दोनों देशों की ओर से जारी संयुक्त बयान नेपाल के संतुलित कदम को दर्शाता है. संयुक्त बयान से यह स्पष्ट हो रहा है कि नेपाल विकास परियोजनाओं पर चीन के साथ काम करने के लिए तैयार है लेकिन सुरक्षा सहयोग से संबंधित मामलों में वह संतुलित और सतर्क रुख अपनाए रखना पसंद कर रहा है.
तिब्बत को लेकर अपने रुख को दोहराते हुए नेपाल ने कहा है कि वह नेपाल की धरती पर चीन के खिलाफ किसी भी अलगाववादी गतिविधियों की कभी अनुमति नहीं देगा. वहीं, चीन ने भी कहा है कि वह अपनी स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने में नेपाल का दृढ़ता का समर्थन करता है.
नेपाल ने भले ही जीएसआई का समर्थन देने से परहेज किया है. लेकिन साथ में उसने सुरक्षा सहयोग के कुछ बिंदुओं पर सहमति भी जताई है. संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों देश चीन-नेपाल सीमा का संयुक्त निरीक्षण करेंगे. साथ ही इस बात पर भी नेपाल ने सहमति व्यक्ति की है कि कानून प्रवर्तन सहयोग दोनों देशों की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. दोनों देशों ने सूचना के आदान-प्रदान और सहयोग को और मजबूत करने पर सहमति व्यक्ति की है.
संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों देश बंदरगाहों, सड़कों, रेलवे, वायुमार्ग और ग्रिड जैसे क्षेत्रों में भी कनेक्टिविटी को मजबूत करने पर सहमत हुए हैं.