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'भले PM पद छोड़ना पड़े लेकिन सोशल मीडिया से बैन नहीं हटाऊंगा...', कैबिनेट बैठक में बोले केपी ओली

नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने सोशल मीडिया प्रतिबंध को वापस नहीं लेने की बात कही है, चाहे उन्हें अपना ही क्यों न छोड़ना पड़े. उन्होंने इस फैसले को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी बताया है.

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नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली. (File Photo: PTI)
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली. (File Photo: PTI)

नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने रविवार शाम हुई कैबिनेट बैठक में कहा कि वह प्रधानमंत्री पद छोड़ सकते हैं, लेकिन 4 सितंबर को लगाए गए सोशल मीडिया प्रतिबंध को नहीं हटाएंगे. उनका यह बयान काठमांडू और अन्य शहरों में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ Gen-Z के हिंसक प्रदर्शनों के बीच आया, जिसमें अब तक 20 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 250 से ज्यादा घायल हैं.

ओली ने कैबिनेट में कहा, 'राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए 27 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन जरूरी है. मैं पद छोड़ने को तैयार हूं, पर यह प्रतिबंध नहीं हटेगा.' उनका यह बयान गृह मंत्री रमेश लेखक के इस्तीफे के बाद आया, जिन्होंने देश के कई शहरों में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों में हुई 20 मौतों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना पद छोड़ दिया.

PM ओली के अड़ियल रवैये से कांग्रेसी मंत्री नाराज

कैबिनेट बैठक में ओली ने कहा कि सरकार का फैसला सही है. उन्होंने अपने सभी मंत्रियों को इस फैसले के समर्थन में बयान देने को कहा. वहीं ओली सरकार में शामिल नेपाली कांग्रेस के मंत्रियों ने प्रतिबंध हटाने की मांग की. प्रधानमंत्री ने जवाब में कहा कि उनकी सरकार उपद्रवी जेन जी प्रोटेस्टर्स के आगे नहीं झुकेगी. पीएम ओली के इस अड़ियल रवैए से नाराज कांग्रेसी मंत्रियों ने कैबिनेट बैठक से वॉकआउट किया. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सत्ताधारी गठबंधन की आपातकालीन बैठक बुलाई है.

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ओली सरकार ने सोशल मीडिया पर क्यों लगाया बैन?

ओली सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, एक्स (पूर्व ट्विटर), यूट्यूब, लिंक्डइन, रेडिट, स्नैपचैट सहित 27 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया. सरकार ने यह कदम इन कंपनियों द्वारा नेपाल के कंपनी लॉ के तहत देश में अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कराने के कारण उठाया है. रजिस्ट्रेशन की डेडलाइन 4 सितंबर को समाप्त हो गई. प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली की सरकार ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और नियमन का मामला बताया है.

वहीं युवा प्रदर्शनकारी ओली सरकार के इस फैसले को अपना भ्रष्टाचार छिपाने और विरोधी आवाजों को दबाने की कोशिश मान रहे हैं. चाइनीज वीडियो प्लेटफॉर्म टिकटॉक (TikTok) नेपाल में अब भी चल रहा है और इस पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. टिकटॉक पर #NepoKid और #YouthAgainstCorruption जैसे हैशटैग वायरल हैं.

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काठमांडू में स्कूल-कॉलेज अनिश्चितकाल के लिए बंद

हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद काठमांडू में कर्फ्यू लागू है, और स्कूल-कॉलेज अनिश्चितकाल के लिए बंद हैं. सभी परी​क्षाएं स्थगिम कर दी गई हैं. 'हामी नेपाल' नाम का एनजीओ इन विरोध प्रदर्शनों के मुख्य आयोजकों में से एक है. उसने घोषणा की कि जब तक सरकार मौतों का जवाब नहीं देगी, शैक्षणिक संस्थान बंद रहेंगे.

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काठमांडू सहित पोखरा, बीराटनगर और बुटवल जैसे शहरों में प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर उतरकर ओली सरकार का विरोध किया. राजधानी काठमांडू में प्रदर्शनकारी संसद भवन में घुस गए, तोड़फोड़ और आगजनी की. प्रदर्शनकारी, ज्यादातर 28 वर्ष से कम उम्र के युवा हैं, जो स्कूल-कॉलेज यूनिफॉर्म पहनकर सड़कों पर उतरे. वे 'भ्रष्टाचार बंद करो, सोशल मीडिया नहीं' और 'ओली इस्तीफा दो' जैसे नारे लगा रहे थे. 

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TikTok पर #NepoKid, #NepoBabies ट्रेंड वायरल

टिकटॉक जैसे वैकल्पिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर #NepoKid ट्रेंड वायरल हो गया, जिसमें नेताओं के बच्चों की लग्जरी लाइफस्टाइल (महंगी कारें, विदेशी शिक्षा) को टैक्सपेयर्स के पैसे से जोड़ा गया. इस बीच, वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर प्रोटॉन वीपीएन (Proton VPN) ने घोषणा की है कि नेपाल से साइन-अप में केवल 3 दिनों में 6000 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, क्योंकि नागरिक सोशल मीडिया बैन से बचने के तरीके खोज रहे हैं. काठमांडू के मेयर बालेन शाह और पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया है, हालांकि उनसे हिंसक नहीं होने की अपील की है.

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