नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से अलग हो चुके कम्युनिस्ट पार्टी के समूह ने राजधानी में एक विशाल जनप्रदर्शन किया है. नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी दो फाड़ हो चुकी है और दोनों गुट पार्टी पर अपना-अपना दावा पेश कर रहे हैं. ओली विरोधी समूह के नेता प्रचंड और माधव नेपाल के नेतृत्व में हजारों की संख्या में उनके कार्यकर्ता व समर्थक ओली के संसद भंग करने का विरोध कर रहे हैं.
बुधवार को काठमांडू की सड़कों पर ही विरोध सभा करते हुए प्रचंड ने एकबार फिर ओली पर निशाना साधा. उन्होंने संसद विघटन को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक कदम बताया. प्रचंड ने ओली पर देश की लोकतंत्र की हत्या करने और देश में तानाशाही चलाने का आरोप भी लगाया है.
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने कुछ महीने पहले राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से सिफारिश कर संसद भंग करवा दी थी. दरअसल, ओली विरोधी खेमे में उनके इस्तीफे की मांग तेज होती जा रही थी. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ओली ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने से बचने के लिए संसद भंग करने का कदम उठाया. राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, नेपाल में 30 अप्रैल को पहले चरण के मतदान होंगे और दूसरे चरण का मतदान 10 मई को होगा.
प्रचंड के नेतृत्व में पार्टी का दूसरा खेमा ओली के इस कदम को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहा है. नेपाल की सर्वोच्च अदालत में भी इस मामले पर सुनवाई चल रही है.
प्रचंड ने अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट ने ओली के कदम के पक्ष में फैसला दिया तो वो उस फैसले को नहीं मानेंगे और उसके बाद अदालत के खिलाफ आंदोलन शुरू किया जाएगा.
इतना ही नहीं, प्रचंड ने पार्टी की आधिकारिकता के विवाद के निपटारे को लेकर निर्वाचन आयोग को भी धमकाया है. आयोग को चेतावनी देते हुए प्रचंड ने कहा कि यदि ओली के दबाव में पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न ओली पक्ष को दिया गया तो इसका परिणाम ठीक नहीं होगा.