1. मालदीव में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है. 9 राजनीतिक बंदियों की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट और सरकार में सीधा टकराव हो गया है. जनता सड़क पर आ गई है. ऐहतियातन सेना को हाईअलर्ट कर दिया गया है. राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानने से साफ इनकार कर दिया है.
2. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद नशीद समेत 9 राजनीतिक लोगों को रिहा करने और 12 विधायकों को फिर से बहाल करने का आदेश दिया था. राष्ट्रपति यामीन ने उन्हें पार्टी से अलग होने पर बर्खास्त कर दिया था. नशीद फिलहाल ब्रिटेन में निर्वासित जीवन जी रहे हैं.
3. सरकार ने देश की सेना से कहा है कि वे राष्ट्रपति के खिलाफ लाए गए महाभियोग को नहीं माने. देश के अटार्नी जनरल मोहम्मद अनिल ने इस बाबत एक संदेश भी जारी किया है.
4. चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद ने सरकार की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. चीफ जस्टिस ने आरोप लगाए हैं कि उन्हें तथा साथी जज अली हामिद और जूडिशल ऐडमिनिस्ट्रेटर हसन सईद को धमकियां मिल रही हैं. जस्टिस ने कहा है कि वे रात कोर्ट में ही बिताएंगे. इसके बाद कोर्ट कैंपस की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
5. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के न हटने पर देश की जनता भी सड़कों पर उतर आई है. अपने राष्ट्रपति के अड़ियल रवैये का जनता विरोध कर रही है.
6. संयुक्त राष्ट्र और भारत समेत कई देशों ने यामीन से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करने को कहा है लेकिन अब तक उन्होंने इसकी अनदेखी की है. राजधानी माले में ऐहतियातन सभी सरकारी कार्यालयों और रिपब्लिक स्क्वायर के नजदीक पुलिस को तैनात कर दिया गया है.
7. देश में मुख्य विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ने आशंका जताई है कि सत्ता पर यामीन की पकड़ मजबूत करने के लिए सेना सत्ता संभाल सकती है.
8. भारत मालदीव के सियासी हालात पर करीबी से नजर रखे हुए है. भारत ने मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन से सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानने को कहा है. विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि सभी परिस्थितियों में मालदीव प्रशासन भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.
9. अब सुप्रीम कोर्ट ने लोकतांत्रिक देशों से मालदीव में कानून का राज बनाए रखने के लिए मदद मांगी है. राष्ट्रपति के अड़ियल रुख और धमकी मिलने के चलते सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस घर जाने की बजाए रात कोर्ट में ही बिताई.
10. कोलंबो स्थित एमडीपी के प्रवक्ता अब्दुल गफूर ने कहा है कि राष्ट्रपति यामीन ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश 36 घंटे से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी नहीं माना है. लिहाजा उन्हें अपदस्थ किया जाना चाहिए.