भारत और कनाडा में जारी राजनयिक विवाद के बीच कनाडा में भारत विरोधी एजेंडा थमने का नाम नहीं ले रहा है. कनाडा में फल-फूल रहे भारत विरोधी संगठन सिख फॉर जस्टिस ने एक बार फिर अलग देश खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह करवाया है. एसएफजे ने दावा किया है कि इस जनमत संग्रह के बाद अब तक हुए दो जनमत संग्रह में कुल मिलाकर दो लाख से ज्यादा लोगों ने वोटिंग की है.
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, अनौपचारिक खालिस्तान जनमत संग्रह का यह दूसरा चरण था, जिसे कट्टरपंथी समूह सिख फॉर जस्टिस ने कराया था. यह जनमत संग्रह 29 अक्टूबर को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के सर्रे शहर में आयोजित किया गया. एसएफजे के प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा कि इस जनमत संग्रह में कुल साठ हजार से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया.
इससे पहले 10 सितंबर 2023 को भी इसी गुरुद्वारे में जनमत संग्रह का आयोजन किया गया था. यह जनमत संग्रह भी ऐसे समय में आयोजित किया गया था जब उसी दिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान कनाडाई समकक्ष जस्टिन ट्रूडो को कनाडा में चरमपंथी तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियों से अवगत कराते हुए चिंता व्यक्त की थी.
जहां हुई थी निज्जर की हत्या, वहीं जनमत संग्रह का आयोजन
भारत विरोधी संगठन सिख फॉर जस्टिस द्वारा आयोजित यह जनमत संग्रह इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि यह जनमत संग्रह उसी गुरुद्वारे में हुई है, जिस गुरुद्वारे के बाहर जून 2023 में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर में निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाते हुए नई दिल्ली के एक सीनियर डिप्लोमैट को निष्कासित कर दिया था. इसके कुछ घंटे बाद ही भारत ने भी कनाडा के एक सीनियर डिप्लोमैट को निष्कासित कर देश छोड़ने के लिए कहा था. इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है.
आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के नेतृत्व में जनमत संग्रह
सिख फॉर जस्टिस के प्रवक्ता ने दावा किया है कि जनमत संग्रह के पहले और दूसरे चरण के मतदाओं की कुल संख्या को जोड़ा जाए तो कुल संख्या दो लाख से ज्यादा हो गई है. हालांकि, एसएफजे को भारत सरकार ने 2019 में ही गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया था. भारत सरकार ने 2019 में सिख फॉर जस्टिस संगठन पर UAPA (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम ) के तहत एक आतंकवादी संगठन मानते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था.
भारत के विरोध के बावजूद एसएफजे कनाडा में फल-फूल रहा है. और समय-समय पर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देता रहता है.
जनमत संग्रह कराने वाले और कुख्यात खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि 2024 में एबॉट्सफोर्ड, एडमॉन्टन और मॉन्ट्रियल में जनमत संग्रह की योजना है.
खालिस्तान को लेकर क्या है मांग?
प्रवासी कैब ड्राइवर से अटॉर्नी बने गुरपतवंत सिंह पन्नू ने साल 2007 में सिख फॉर जस्टिस' नाम का संगठन बनाया था. दावा किया गया था कि यह संगठन 1984 के दंगों के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग करने के लिए बनाया गया है.
2019 में केंद्र सरकार ने इस संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया. सिख फॉर जस्टिस ने चार साल पहले पंजाब को भारत से अलग करने के विषय पर प्रवासी सिखों के बीच 2020 में जनमत संग्रह कराने की घोषणा कर दी.
अक्टूबर 2021 में सिख फॉर जस्टिस ने खालिस्तान का नक्शा जारी किया. इस नक्शे में सिर्फ पंजाब ही नहीं, बल्कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के कुछ जिलों को भी खालिस्तान का हिस्सा बताया.
इस नक्शे में राजस्थान के गंगानगर, बीकानेर, जोधपुर, बूंदी, कोटा, अलवर और भरतपुर जिलों को हिस्सा बताया. यूपी के भी हरदोई, सीतापुर, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, बहराइज जैसे जिलों को शामिल किया. इनके अलावा हिमाचल के शिमला, किन्नौर, चंबा और लाहौल स्पिति, उत्तराखंड के हरिद्वार और देहरादून, हरियाणा के गुरुग्राम और रेवाड़ी जैसे जिलों को खालिस्तान का हिस्सा बताया.